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सरकार और संगठन में एक-एक पद पर नियुक्ति से 2024 का चुनावी मोर्चा मजबूत करेगी बीजेपी, बनी रणनीति

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पहले राज्यसभा के प्रत्याशी तय करने में लंबा मंथन, फिर विधान परिषद सदस्य चुनाव के उम्मीदवारों के लिए भरपूर वक्त लिया और अब नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इतनी प्रतीक्षा? त्वरित और साहसिक निर्णय का संदेश देती रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वर्तमान रुख संकेत देता है कि पार्टी की नजर पूरी तरह 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव पर जा ठहरी है। इसलिए एक-एक कदम बिल्कुल रणनीतिक होगा। अब उत्तर प्रदेश की नई टीम से लेकर निगम, आयोग और बोर्डों में भी नियुक्ति कमजोर क्षेत्रों में पार्टी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की रणनीति के तहत होगा।

राज्यसभा के आठ और विधान परिषद सदस्य के नौ पदों पर चुनाव होने के बाद कतार में लगे रहे दावेदारों का दावा भी अगली उम्मीदों की ओर बढ़ गया है। अब इस वर्ष छह नामित एमएलसी के पद खाली हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का सबसे अधिक जोर इन्हीं के लिए है, ताकि सीधे उच्च सदन में पहुंचा जा सके।

इसके साथ ही नए प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती के बाद प्रदेश की नई टीम के प्रमुख पदों के लिए होड़ रहेगी। प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री और प्रदेश महामंत्री के साथ ही पार्टी के छह मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारी बनाए जा सकेंगे। इसके अलावा भाजपा के पास विभिन्न निगम, आयोग और बोर्ड में पदाधिकारी बनाकर भी अपने कार्यकर्ताओं को समायोजित करने का मौका है।

इस तरह लगभग सौ प्रमुख पदों पर कार्यकर्ताओं की नजर खास तौर पर रहेगी। पार्टी सूत्र बताते हैं कि इन पदों पर नियुक्ति में जातीय समीकरण तो साधे ही जाएंगे, लेकिन खास जोर क्षेत्रीय संतुलन पर रह सकता है। दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कुछ जिले ऐसे रहे, जहां भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली।

सपा के प्रभाव वाले पूर्वांचल के उस क्षेत्र में संगठन को सक्रिय कर दिया गया है, लेकिन तैयारी है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए वहां के कार्यकर्ताओं को पद देकर प्रभाव और प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए। जातीय समीकरण इस पर भी निर्भर करेंगे कि प्रदेश अध्यक्ष किस जाति-वर्ग से बनाए जाते हैं। उनके इतर जाति को संगठन के मुख्य पदों पर प्राथमिकता दी जाएगी। उद्देश्य है कि मिशन-2024 के लिए पार्टी को हर मोर्चे पर मजबूत किया जाए।

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