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गाजीपुर जिले में युवाओं के जीवन में मिठास घोलेंगी मधुमक्खियां, आप भी उठा सकते हैं लाभ

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. पहले लोग जंगलों में जाकर मधुमक्खियों का शहद निकालते थे, लेकिन अब मधुमक्खी पालन करना एक बेहतर स्वरोजगार साबित हो रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज युवाओं को मधुमक्खी पालन करने के लिए प्राेत्साहित कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र ने आर्या योजना के तहत जनपद में 25 युवाओं को मधुमक्खी पालन का न केवल प्रशिक्षण दिया, बल्कि उन्हें मधुमक्खियों सहित चार-चार बाक्स और दाे-दो खाली बाक्स भी उपलब्ध कराया है। पालक अगर मधुमक्खियों की कालोनी बढ़ाना चाहते हैं तो खाली बाक्स इसके काम आएंगे।

एक बाक्स से मिलेगा 40-50 किग्रा शहद : कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से उपलब्ध कराए गए एक बाक्स से लगभग 40-50 किलो शहद का उत्पादन होगा। फिलहाल गर्मी के मौसम में किसी तरह मधुमक्खियों को जिंदा रखना है। सितंबर-अक्टूबर से शहद का उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा। क्यों कि उस समय मधुमक्खियों को विभिन्न प्रकार के फूल आदि रस चूसने के लिए मिलेंगे, जिसके माध्यम से वह शहद बनाएंगी।

हजार रुपये किलो तक बिकता है शहद : मधुमक्खी पालन करने वालों से शहद खरीदने के लिए वैसे तो कई कंपनियां उतावली होती हैं, लेकिन वह शहद का मूल्य ढाई-तीन सौ रुपये से अधिक नहीं देती हैं। मधुमक्खी पालक अधिकतर शहद अपने आसपास के लोगों को ही बेच देते हैं। उन्हें पांच सौ से एक हजार रुपये तक प्रति किलो भाव मिल जाता है। शुद्ध शहद के नाम पर लोग मुंह मांगा पैसा देने को तैयार होते हैं।

बताया मधुमक्खी पालन का महत्व : प्रशिक्षण के पहले चरण में मौनपालकों को मधुमक्खी पालन की प्रारंभिक जानकारी दी गई। मौनपालन का महत्व बताया गया। परागण में मौनवंशों की भूमिका, मधुमक्खियों को होने वाली बीमारी और प्रबंधन, मौनबॉक्सों के रख-रखाव, शहद निकालने के तरीके बताए गए। सफल मौनपालक भूपाल सिंह ने प्रशिक्षुओं को अपने अनुभव भी बताए। दूसरे चरण में मौनपालकों को मधुमक्खी पालन यूनिट का भ्रमण कराया गया। जहां किसानों ने मधुमक्खियों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी ली।

आदर्श मधुमक्खी पालनशाला

- केवीके के डा. ओमकार सिंह के अनुसार किसी मधुमक्खी पालन शाला में मधुमक्खियों की अधिक से अधिक कालोनियां होनी चाहिए।

- कालोनियों की संख्या ही नहीं बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बहुत महत्वपूर्ण है। इन कालोनियों का प्रबंध सशक्त व सुव्यवस्थित होना चाहिए।

- मधुमक्खी पालन शाला भली प्रकार नियोजित हो तथा उसकी अच्छी साज-संभाल की जानी चाहिए।

- कालोनी की उचित वृद्धि व उत्पादकता के लिए मधुमक्खियों के लिए अनुकूल वनस्पतियां उगाने के लिए पर्याप्त फार्म क्षेत्र उपलब्ध होना चाहिए।

- छत्ते तथा अन्य उपकरण निश्चित रूप से मानक माप और गुणवत्ता वाले होने चाहिए। किसी प्रशिक्षण केन्द्र में अति श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले उपकरण का उपयोग किसानों व मधुमक्खी पालकों के लिए इन उपकरणों को अपनाने की दिशा में राजी करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। मानव उपकरणों के उपयोग से कालोनियों का प्रबंध अधिक कारगर ढंग से किया जा सकता है।

बोले अधिकारी : 25 उत्साही युवाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया है। उन्हें मधुमक्खी पालन करने वाला बाक्स भी निश्शुल्क उपलब्ध करा दिया गया है। इसके माध्यम से वह अच्छी कमाई कर सकते हैं। - डा. ओमकार सिंह, कृषि विज्ञानी-केवीके पीजी कालेज।

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