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अखिलेश यादव को आई सद्बुद्धि, आजमगढ़ का होगा विकास : निरहुआ

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. आजमगढ़ लोकसभा के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने कहा कि अखिलेश भइया को शायद अब सद्बुद्धि आई है। उन्होंने आजमगढ़ संसदीय सीट को इस्तीफा देकर खाली कर दिया। जिले का विकास अब मैं कराऊंगा।

अधिकांश संख्या में एक पार्टी के जनप्रतिनिधि होने के बावजूद यह जिला विकास में पिछड़ गया है। जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुईं हैं। अब विकास योजनाओं को गति मिलेगा। वह शनिवार को शहर के मुरली टाकीज सम्राट पृथ्वी राज पिक्चर देखने पहुंचे थे, कि उसी दौरान उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने की जानकारी हुई तो मीडिया से मुखातिब हुए। कहा कि पूर्वांचल में भाजपा थोड़ा कमजोर थी, जनता को समझना होगा कि विकास के लिए मोदी-योगी ही जरूरी हैं। कहा कि पहले देश के लुटेरों का इतिहास पढ़ाया जाता था। पिक्चर के जरिए अब वीर योद्धाओं के बारे बता कर बनाने वाले ने बेहतर कार्य किया है।

भाजपा से निरहुआ तो सपा से रमाकांत ने लिया पर्चा

नामांकन प्रक्रिया के छठें दिन कलेक्ट्रेट परिसर में थोड़ी हचलच देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने तीन सेट नामांकन पर्चा लिया, तो सपा के रमाकांत यादव ने चार सेट पर्चा लेकर नई बहस छेड़ दी। इस दौरान एक निर्दल प्रत्याशी समेत अलग-अलग दलों के तीन लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन प्रक्रिया के दौरान कलेक्ट्रेट परिसर व आसपास सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।

जिला निर्वाचन अधिकारी विशाल भारद्वाज ने बताया कि आजमगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के उप चुनाव में नामांकन के छठवें दिन अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से महेंद्र चौहान ने एक सेट, भारतीय जनता पार्टी से दिनेश लाल यादव निरहुआ ने तीन सेट, समाजवादी पार्टी से रमाकांत यादव ने चार सेट, आइएनसी से श्यामदेव ने एक सेट, भारतीय जननायक पार्टी से योगेंद्र यादव ने दो सेट, इंडियन नेशनल कांग्रेस से रमेश कुमार राजभर ने दो सेट नामांकन पत्र लिया। 

वहीं जनता क्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) से जयनाथ चौहान, निर्दल प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार, प्रगतिशील समाज पार्टी से धीरज ने तीन सेटों में नामांकन पत्र जमा किया। शनिवार को नामांकन प्रक्रिया सामान्य दिनों से अलग थी। सपा से किसने नामांकन पत्र खरीदा, यह जानने के लिए लोग परेशान रहे। दरअसल, एक दिन पहले बलिहारी बाबू के बेटे सुशील आनंद का टिकट फाइनल हुआ, तो उन्होंने नामांकन पत्र भी ले लिया, जबकि दूसरे दिन रमाकांत यादव ने नामांकन पत्र लिया, तो एक नई बहस छिड़ गई।

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