सड़क दुर्घटना में मंगेतर ने गंवाया एक पैर, फिर भी युवती ने दिया साथ, लिए सात फेरे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, हरदोई. यूपी के हरदोई में बॉलीवुड फिल्म विवाह की स्टोरी रियल लाइफ में देखने को मिली. रियल शादी और रील लाइफ की शादी में सिर्फ अंतर यह था कि यहां लड़का नहीं लड़की ने साथ निभाने की मिशाल पेश की. दरअसल, मंगेतर ने सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा दिया. जिसके बाद युवती ने अस्पताल में साथ रहकर उसकी देखभाल की. इतना ही नहीं ठीक होने पर सात फेरे लेकर उसकी अर्धांगिनी बन गई. जिले में यह शादी युवती की वजह से चर्चा का विषय बन गई है.
दरअसल, बॉलीवुड की फ़िल्म विवाह में शाहिद कपूर की मंगेतर अमृता शादी से ठीक पहले जल गई थी और अस्पताल में भर्ती हो गई थी. मगर शाहिद ने लड़की पक्ष व लड़की का विश्वास कायम रखते हुए अस्पताल में ही जाकर लड़की की मांग भर देता है और सातों जन्म साथ रहने का वादा करता है. खैर यह तो थी रील लाइफ मगर इसी तर्ज पर रियल लाइफ की संगिनी बनी सरोजनी. दरअसल मामला हरदोई के हन्नपसिगवां का है, जहां पर रहने वाले कलेक्टर के पुत्र आदित्य का विवाह खीरी जिले के जमूका गांव निवासिनी सरोजिनी के साथ तय हुआ था.
आदित्य का तिलक समारोह भी सम्पन्न हो चुका था. लेकिन एक अप्रैल की देर रात गांव से जहानीखेड़ा जाते वक्त अज्ञात वाहन ने आदित्य की बाइक में टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. बेहतर इलाज के लिए आदित्य को शाहजहांपुर ले जाया गया और फिर वहां से लखनऊ. लखनऊ में आदित्य के पैर की प्लास्टिक सर्जरी की गई, मगर वह कामयाब न रही. इसके बाद दोबारा आदित्य के पैर का ऑपरेशन किया गया और आदित्य को अपना पैर गंवाना पड़ा.
इलाज के दौरान भी की देखभाल
इलाज के दौरान भी सरोजिनी ने आदित्य का साथ नहीं छोड़ा. हमेशा उसके साथ रही और उसकी देखभाल करती रही. अस्पताल से छुट्टी हुई तो आदित्य आपने घर गया और सरोजिनी अपने घर. सरोजनी के घरवाले भी आदित्य के साथ हुए हादसे के बाद शादी को लेकर ढीले पड़ गए. उन्होंने सरोजनी को समझने का प्रयास किया, लेकिन सरोजनी ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के सामने आदित्य के संग ही शादी करने का अपना फैसला सुना दिया. सरोजनी की जिद के आगे नियत तिथि पर आदित्य और सरोजनी की शादी हो गई और अब सरोजनी अपने पति और परिवार के संग खुश है.
12 मई को लिए सात फेरे
कक्षा आठ पास सरोजिनी के पिता रामशंकर खेती करते हैं. उसकी मां की मौत हो चुकी है. पिता, दादी, बाबा ने पालन पोषण किया है. सरोजनी के 2 छोटे भाई हैं. पिछले साल जून में तिलक के बाद शादी की डेट भी सिर पर आ गई तो रिश्तेदारी में खुसुर- फुसुर शुरू हुई की जिस लड़के का पैर कट गया हो उसके साथ शादी कैसे होगी? 12 मई को होने वाली शादी के लिए रिश्तेदारों व आस पड़ोसियों के बीच सुगबुगाहट होने लगी थी कि अब कैसे ये शादी होगी. एक तरफ आदित्य ने अपना एक अंग गवांया तो वहीं दूसरी तरफ सरोजिनी को उनके रिश्तेदारों के द्वारा मानसिक तनाव मिलने लगा. लेकिन कहते हैं ना कि स्त्री के हृदय की गहराइयों तक ईश्वर भी ना जा सके और अंत मे सरोजिनी ने दिल की सुनी और नियत तिथि 12 मई को ही सरोजिनी ने आदित्य के साथ सात फेरे लेकर जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाईं.