गाजीपुर जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वेंटिलेटर पर, DM के निरीक्षण के बाद भी नहीं सुधरे हालात
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सूबे के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने बीते दिनों बड़ी मुस्तैदी दिखाई थी। इस औचक निरीक्षण का कहीं पर असर दिखा और कहीं पर कोई असर नहीं दिख रहा है। बात की जाए सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गाजीपुर की तो यहां की खिड़की और दरवाजों में बिजली के झटके लगने लगे थे। जिस कारण इस स्वास्थ्य केंद्र की बिजली काट दी गई थी। तभी से बिजली की समस्या यहां पर बरकरार है। किसी तरह यहां पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी बाहर से तार खींचकर बल्ब और पंखे चला पा रहे हैं। इतना ही नहीं बारिश में टपकते छत और स्वास्थ्य सेवा के लिए जरूरी उपकरणों की कमी के चलते यह स्वास्थ्य केंद्र बदहाली की मार झेल रहा है।
धर्मागतपुर न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का लगभग 4 दशक पूर्व वर्तमान एमएलसी स्वर्गीय सत्य नारायण तिवारी के प्रयास से स्थापना की गई। अगल-बगल के 95 गांवों के लोग इस अस्पताल से लाभ उठाते रहे। अब यह अस्पताल बदहाली की ओर बढ़ रहा है। स्थानीय रमेश ने बताया कि यहां पर अस्पताल खोलने से पहले चिकित्सक बिजली पंखे पानी लेकर आते हैं। तब कहीं अस्पताल चलता है, क्योंकि इस अस्पताल में विगत दिनों पूरे भवन में बिजली के करंट के झटके लोगों को मिल चुके है। जिससे इस भवन की बिजली का कनेक्शन कटवा दिया गया।
अव्यवस्थाओं से भरा है अस्पताल
छन्नू यादव ने बताया कि इस अस्पताल में बेड, बेडशीट तथा जो भी वस्तुएं है, वह दुर्दशा ग्रस्त हो चुकी हैं। जिससे लोगों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पाती है। इस अस्पताल के चहर दीवारी पूर्व में टूट गई थी, जिससे अस्पताल में मवेशियों के अलावा चोर भी अंदर प्रवेश कर जाते हैं और सामानों को लेकर चले जाते हैं। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल के पूर्व में इनवर्टर, बैटरी ,डस्टबिन भी चोरी हो चुका है।
बारिश में कुर्सी मेज हटाते हैं चिकित्सक
केंद्र प्रभारी डॉ.अजय कुमार भारती ने बताया कि इस अस्पताल में दो चिकित्सकों की पोस्टिंग है, लेकिन एक ही आता है। एक फार्मासिस्ट है जो लोगों को इलाज करता है। साथ में एक नर्स ,एएनएम , वार्ड बॉय, एक स्वीपर चौकीदार की मौजूदगी है। अस्पताल की बदहाली की सूचना दर्जनों बार उच्च अधिकारियों को दी जा चुकी है। यही नहीं खुद जिलाधिकारी भी अस्पताल की जांच कर चुके हैं, लेकिन आज तक अस्पताल सुधर नहीं पाया। बारिश के मौसम में यहां के चिकित्सक छाता लेकर भवन में बैठते हैं या तो इधर उधर कुर्सी मेज हटाते रहते हैं।