उत्तर प्रदेश के 27 हजार और गांवों में लागू होगी स्वामित्व योजना, खत्म होंगे संपत्तियों से जुड़े विवाद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. राज्य और केंद्र सरकार की कोशिशें परवान चढ़ीं तो वर्ष 2024 के बाद गांवों में संपत्तियों से जुड़े विवादों की आशंका बहुत कम रह जाएगी। गांवों में संपत्तियों से जुड़े विवादों और झगड़ों की गुंजायश को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रदेश सरकार ने सूबे के 27,490 और राजस्व गांवों में स्वामित्व योजना को लागू करने का रास्ता साफ कर दिया है। स्वामित्व योजना के तहत इन गांवों के आबादी क्षेत्र की संपत्तियों का सर्वे आफ इंडिया के माध्यम से ड्रोन के जरिये हवाई सर्वेक्षण कराने के लिए राजस्व विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
ग्रामीणों की आवासीय संपत्तियों के स्वामित्व प्रमाणपत्र (ग्रामीण आवासीय अभिलेख/घरौनी) देने के उद्देश्य से केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना है। ड्रोन के जरिये गांव का हवाई सर्वेक्षण कराकर उसके आधार पर ग्रामीण आवासीय अभिलेख तैयार कराए जा रहे हैं। प्रदेश के लगभग 1.09 लाख राजस्व गांवों में से योजना के तहत पहले चरण में 82,913 का ड्रोन सर्वेक्षण कराने की अधिसूचना हो चुकी है।
हालांकि, इनमें से तकरीबन 69000 गांव ही आबाद हैं। आबाद गांवों में से 61,889 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण के बाद लगभग 15700 गांवों के 23.47 लाख घरों के मालिकों को उनकी संपत्तियों के स्वामित्व प्रमाण पत्र (घरौनी) का वितरण किया जा चुका है। लगभग 5000 और गांवों की घरौनी तैयार हैं। पहले चरण के गांवों में अक्टूबर 2023 तक और शेष 27,490 गांवों में मई 2024 तक घरौनी वितरित करने का लक्ष्य है।
यह है योजना : यह योजना केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा साल 2020 में पंचायती राज दिवस पर शुरू की गई थी। इसके तहत जिन ग्रामीणों के पास अपनी जमीन के स्वामित्व को साबित करने वाले दस्तावेज नहीं होते हैं। ऐसे में उनको उनका मालिकाना हक़ दिलवाना है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके तहत ग्रामीणों को अपनी जमीन का सरकारी दस्तावेज पाने के लिए किसी सरकारी दफ्तर में आवेदन करने की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा जिनके पास कागजात मौजूद होंगे, वे मैपिंग के समय कागजात की फोटोकॉपी जमा करा सकते हैं।