अपनी आंखों के सामने बेटे को मगरमच्छ का निवाला बनते देख सदमे में है मां
गाजीपुर न्यूज़ टीम, चंदौली. पुत्र वियोग से निस्तेज पड़े चेहरे पर अविरल बहती अश्रुधार... आंसुओं में डूबी आंखें ज्यों ही खुलती हैं, जुबां बस यही कहती है - 'हमार चंदन जरूर अइहैं...। कुछ क्षण तक रुदन-विलाप फिर लंबी खामोशी। बदहवासी। मूर्चछा...। यह हाल है उस मां सरिता का जिसकी आंखों के सामने उसके आठ साल के बेटे को नदी किनारे से मगरमच्छ खींच ले गया। असहाय-बेबस में कलपती रह गई पर बेटे को बचा न सकी। वह खौफनाक मंजर याद कर सरिता विश्वकर्मा बेटे को चंदन-चंदन पुकारते हुए बेहोश हो जा रही है। शनिवार को भी वह पूरे दिन बेसुध पड़ी रही।
पुत्र के वियोग में पिता पखंडू भी बदहवास ही पड़े हैं। सांत्वना देने पहुंचे रहे रिश्तेदार व पड़ोसी भी घटना की कल्पना मात्र से सिहर उठ रहे हैं। सिकंदरपुर के विजयपुरवा गांव निवासी चंदन विश्वकर्मा की मौत के बाद दूसरे दिन भी बस्ती में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। गांव में चर्चा यह भी रही कि अगर घर में शौचालय होता तो शायद यह हृदयविदारक घटना ही न होती।
चंदन गांव के ही परिषदीय विद्यालय में पहली कक्षा का छात्र था। शुक्रवार को वह छोटे भाई के साथ स्कूल गया था। लौटा तो मां ने कई बार समझाया कि मैैं नदी किनारे कपड़े साफ करने जा रही हूं। तुम घर में ही रहना। चंदन ने भोजन किया और घर में शौचालय न होने के कारण वह शौच के लिए मां के पीछे-पीछे चंद्रप्रभा नदी किनारे पहुंच गया। जहां वह शौच कर रहा था, बगल में ही सरिता कपड़े धो रही थी। इसी बीच नदी से निकले मगरमच्छ ने उसे दबोच लिया और मां की आंखों के सामने बीच धारा में खींच ले गया। असहाय मां दहाड़ें मार-मार कर रोती-बिलखती रही लेकिन कुछ कर न सकी।
मगरमच्छों का है कुनबा
वन विभाग के अनुसार सिकंदरपुर से भीषमपुर बीच चंद्रप्रभा नदी में लगभग दो किलोमीटर तक आधा दर्जन स्थानों पर मगरमच्छों का कुनबा है। मगरमच्छ के हमले में शुक्रवार को हुई चंदन की मौत की घटना ने लोगों को झकझोर दिया है। कई गांवों में तो लोग रतजगा भी कर रहे हैैं।
अब तक कई लोगों की जान ले चुके मगरमच्छ
चंद्रप्रभा नदी में ठिकाना बनाए मगरमच्छों ने पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों की जान ले ली है। पिछले वर्ष छह अक्टूबर को भीषमपुर निवासी जग्गू सोनकर की 45 वर्षीय पत्नी पार्वती सोनकर की मगरमच्छ के हमले में मौत हुई थी। वर्ष 2017 में विजयपुरवा गांव निवासी जीतू साहनी, 2018 में सिकंदरपुर निवासी 19 वर्षीय राहत अली की जान भी मगरमच्छों ने ली। वर्ष 2014 में नदी किनारे शौच करने गए सिकंदरपुर निवासी 48 वर्षीय राज कुमार बिंद को मगरमच्छ ने मौत की नींद सुला दिया था।
मगरमच्छ को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रदान है सुरक्षा
वन क्षेत्राधिकारी एबी सिंह कहते हैं कि काशी वन्य जीव प्रभाग के चंद्रप्रभा वन्य जीव विहार के चंद्रप्रभा बांध में बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं। इन्हें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है। इन्हें बस्ती से दूर करने के इंतजाम किए जाएंगे। लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।