सेना में 2.5 साल से नहीं हुई हैं जवानों की भर्तियां, 65 हजार हर वर्ष हो रहे रिटायर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. सेना में ढाई साल से जवानों की भर्तियां बंद हैं। कोरोना महामारी शुरू होने से पूर्व वर्ष 2019-20 के दौरान सेना में 80 हजार से ज्यादा जवान भर्ती हुए थे। लेकिन उसके बाद से भर्तियां नहीं हुईं। सूत्रों का मानना है कि यदि भर्ती नहीं खुलती है तो इस साल के आखिर तक जवानों के रिक्त पदों की संख्या दो लाख तक पहुंच सकती है।
सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि मार्च में संसद सत्र के दौरान इस मुद्दे पर विपक्ष की ओर से सवाल पूछे जाने के बावजूद अभी तक भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को लेकर कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कब भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। सेना के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल पूर्व की स्थिति बनी हुई है।
रक्षा मंत्रालय की तरफ से मार्च में संसद में बताया गया था कि 2019-20 के दौरान सेना में 80572 भर्तियां हुई थीं। इसके बाद कोरोना महामारी के चलते भर्तियां बंद कर दी गईं। तब से जवानों की कोई भर्ती नहीं हुई है।
65 हजार जवान हर साल हो रहे रिटायर
सूत्रों ने बताया कि 60-65 हजार जवान हर साल सेवानिवृत्त होते हैं। जिनकी भरपाई के लिए हर साल इतनी ही भर्तियां जरूरी है। कई बार कुछ नई बटालियन बनती हैं तो उसके लिए अलग से भर्ती की जाती है। इसलिए हर साल भर्तियों की संख्या 60-80 हजार के बीच होती हैं।
संसद में उठा था मुद्दा
मार्च में संसद में जब यह मुद्दा उठा तो रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि एक जनवरी 2022 तक जवानों के 81 हजार पद रिक्त थे। उसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मार्च में यह संख्या सवा लाख से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था। सेना का अनुमान है कि यदि इस साल भी भर्तियां नहीं हुईं तो साल के आखिर तक रिक्तियां दो लाख तक पहुंच जाएंगी।
90-100 भर्ती रैलियां
सेना में भर्ती जहां देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है, वहीं यह युवाओं के लिए रोजगार का भी एक प्रमुख जरिया है। सेना में भर्ती को लेकर युवाओं में आकर्षण है तथा वे महीनों तक शारीरिक अभ्यास इसके लिए करते हैं। इसलिए सेना देश के कोने-कोने में जाकर भर्ती रैलियां आयोजित करती हैं। ऐसी 90-100 रैलियां हर साल होती हैं। एक रैली में सात-आठ जिले शामिल होते हैं।
जवान तैयार करने में लगते हैं दो सालसूत्रों ने कहा कि अभी भर्ती बंद है और भर्ती प्रक्रिया शुरू करने से लेकर भर्ती होने में कम से कम छह महीने का समय लग जाता है। इसके बाद जवानों को प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना होता है तथा तैनाती के योग्य बनाने में दो साल लग जाते हैं। पहले ही ढाई साल का विलंब हो चुका है। यदि आज भर्ती शुरू होती है तो जवान को जंग के योग्य बनाने तक ढाई साल और लग जाएंगे।
सेना में सात फसीदी पद खाली
सेना में जवानों की स्वीकृत संख्या 1212000 है। इनमें से करीब सात फीसदी स्थान रिक्त हैं।
कटौती की आशंका
सेना के पुनगर्ठन की प्रक्रिया चल रही है। सेना को बैटल समूहों में बदला जा रहा है तथा तीनों सेनाओं का एकीकरण भी किया जा रहा है। तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है। तकनीकी बदलाव तथा बदलती परिस्थितियों के चलते कई स्थानों पर जवानों की जरूरत नहीं रह गई है। इसलिए यह भी चर्चाएं हैं कि पदों में कटौती स्थाई हो सकती है। पूर्व में तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने संसदीय समिति के समक्ष कहा भी था कि जवानों की संख्या तीन लाख तक कम की जा सकती है।
सेवानिवृत्ति की उम्र में इजाफे का भी असर
सेना में एक तिहाई जवानों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाकर 55 साल करने की तैयारी चल रही है। इसके क्रियान्वयन से भी रिक्तियों में कटौती हो सकती है। अभी जवान ज्यादातर जवान 38-40 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं।