सड़कें ना पूजा के लिए और ना नमाज के लिए - CM योगी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीर सावरकर पर किताब के विमोचन समारोह में कहा कि वीर सावरकर की बात को कांग्रेस ने माना होता तो देश विभाजन की त्रास्दी से बच जाता। उस समय का नेतृत्व अगर दृढ़ इच्छाशक्ति से काम लेता तो यह नहीं होता। वीर सावरकर ने तब कहा था कि पाकिस्तान आएंगे जाएंगे, पर हिंदुस्तान हमेशा रहेगा। इस दौरान सीएम योगी ने एक और बड़ी बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राम नवमी पर कुछ स्थानों पर दंगे कराने का प्रयास हुआ, पर उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए। सड़क न पूजा के लिए होगी ना नमाज के लिए। सड़क आवागमन के लिए है, प्रदर्शन के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सड़कों पर अब धार्मिक आयोजन नहीं होते।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि नेशन फर्स्ट की नीति को अपनाया होता तो विभाजन नहीं होता, चीन हमला ना करता, आतंकवाद नहीं फैलता। हमारे सैनिक जीतते थे, पर हम तुष्टीकरण की टेबल पर हार जाते थे। प्रभात प्रकाशन द्वारा शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित विमोचन समारोह ने मुख्यमंत्री ने नेशन फर्स्ट की थ्योरी को ही आज की प्राथमिकता बताया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले अंग्रेजों ने फिर आजादी के बाद जिन लोगों के हाथों में सत्ता आई उन्होंने वीर सावरकर की प्रतिभा को छिपाने का हर संभव प्रयास किया। अटल जी की सरकार में सेल्यूलर जेल में वीर सावरकर की प्रतिमा लगाई गई थी, जिसे कांग्रेस ने हटाकर राष्ट्र नायक का अपमान किया। दुनिया में उस महानायक के समकक्ष उस सदी में कोई पैदा नहीं हुआ था। वीर सावरकर को एक ही जन्म में दो बार आजीवन कारावास मिला। सेल्यूलर जेल की दीवारों पर नाखूनों, बर्तन से लिखकर कई रचनाएं रचीं। आजादी के बाद जो सम्मान सावरकर को मिलना चाहिए था, नहीं मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदुत्व शब्द और हिंदुत्व की परिभाषा दी। दुर्भाग्य से सत्ता लोलुप दलों ने सावरकर की तुलना जिन्ना से भी करने का प्रयास किया। तब सावरकर ने इसका खंडन भी किया और कहा जिन्ना की दृष्टि संकीर्ण है, वह सिर्फ मुस्लिम की बात करता है, पर मेरी दृष्टि संपूर्ण है। मैं कहता हूं कि जो नियम हिंदू पर लागू हो, वही मुस्लिम और अन्य पर भी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि विचार कभी मरते नहीं, विचार इसलिए नहीं मरते क्योंकि शब्द ब्रह्म का प्रतीक होते हैं। शाश्वत और सत्य दृष्टि का ही आज वृहद और लघु रूप देखने को मिल रहा। इस मौके पर किताब के लेखक केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर और चिरायु पंडित ने वीर सावरकर के राष्ट्रवाद को आज की आवश्यकता बताया। समारोह में प्रभात कुमार और पीयूष कुमार ने भी वीर सावरकर को नमन करते हुए अपनी बात रखी।