मिलावटी सरसों के तेल की घर में ही करें ऐसे जांच, इसके बारे में जानना बेहद जरूरी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. खाद्य पदार्थ में मिलावट गंभीर समस्या बन चुकी है। अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ लोग खाद्य पदार्थों में ऐसी चीजों को मिला देते हैं जिनसे लिवर, किडनी, ह्रदय और इम्यून सिस्टम गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। बनारस में ब्रांडेड कंपनियों का रैपर लगाकर नकली सरसों का तेल बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होना गंभीर चिंता की बात है।
थोड़ी सतर्कता और जागरूकता से घर में ही पता लगाया जा सकता है कि सरसों का तेल असली है या नकली। इस बारे में बता रहे हैं चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित प्रायोगिक औषधि एवं शल्य अनुशंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. संतोष कुमार सिंह।
बटर यलो डाई का इस्तेमाल :
डा. संतोष बताते हैं कि सिंथेटिक सरसों का तेल बनाने के लिए बटर यलो डाई का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है। इस डाई की थोड़ी मात्रा से कई लीटर नकली सरसों का तेल बन जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इसमें कैंसर पैदा करने वाला कार्सिनोजेनिक रसायन पाया जाता है। वहीं, आर्जीमोन मैक्सीकाना का बीज बिल्कुल सरसों की तरह दिखता है। पेराई के समय इसका तेल भी सरसों तेल में मिल जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
मिलावटी तेल का ऐसे पता लगाएं
-आर्जीमोन का पता लगाने के लिए पांच मिली लीटर तेल में पांच मिली लीटर नाइट्रिक अम्ल मिलाकर हिलाएं। यदि तेल का रंग हल्का भूरा हो जाता है तो इसमें मिलावट की गई है।
-बटर यलो डाई का पता लगाने को एक परखनली में पांच मिली लीटर तेल व पांच मिली लीटर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को डालकर हिलाएं। तेल का रंग लाल होने का मतलब इसमें मिलावट है।
शरीर के अंग खराब करता है मिलावटी तेल
चौकाघाट स्थित आयुर्वेद कालेज के डा. अजय कुमार गुप्ता बताते हैं कि सरसों का नकली तेल बनाने के लिए पाम आयल, सिंथेटिक कलर, अल्कोहल व एसेंस मिलाया जाता है। इससे कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। आर्जीमोन युक्त सरसों तेल खाने से शरीर के अंगों पर घातक असर पड़ता है। पाम आयल में भी सिंथेटिक कलर मिलाकर सरसों तेल का रंग दिया जाता है। गंध के लिए एसेंस मिलाते हैं। राइस ब्रान आयल भी कई बार मिलाया जाता है। यह कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाकर दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।