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भीषण गर्मी की वजह से उत्तर प्रदेश में बढ़ा बिजली संकट, गांव और कस्बों में हो रही जबरदस्त कटौती

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. भीषण गर्मी के चलते उत्तर प्रदेश में बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है। बिजली की मांग बढ़ने और उपलब्धता घटने से गांव से लेकर कस्बों तक में अधाधुंध बिजली कटौती की जा रही है। लोकल फाल्ट के चलते शहरवासियों को भी बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है।

दरअसल, पारा चढ़ने के साथ ही राज्य में बिजली की मांग 21,698 मेगावाट तक पहुंच गई है, जबकि उपलब्धता ढाई हजार मेगावाट घटकर 19 हजार मेगावाट के आसपास ही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति करने के लिए लगभग 454.96 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली की आवश्यकता है, लेकिन पावर कारपोरेशन 421.74 एमयू ही बिजली दे पा रहा है।

33.22 एमयू बिजली कम होने से गांव को तय शेड्यूल 18 घंटे के बजाय 27 अप्रैल को मात्र 8:12 घंटे ही बिजली आपूर्ति की गई। इसी तरह जिस बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली मिलनी चाहिए, वहां 10:55 घंटे ही दी गई। तहसील स्तरीय कस्बों को 21:30 घंटे के बजाय 14:19 घंटे और नगर पंचायतों में 14:42 घंटे ही बिजली दी गई है।

वैसे तो जिला मुख्यालय से लेकर मंडल मुख्यालय बिजली कटौती से मुक्त हैं, लेकिन जर्जर तारों और ओवरलोड ट्रांसफार्मरों के कारण कहीं न कहीं लोकल फाल्ट होता रहता है, जिससे शहरवासियों को भी घंटों बिना बिजली के रहना पड़ रहा है।

बिजली संकट पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का कहना है कि राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों में भी बिजली का गंभीर संकट बना हुआ है। राज्य में पहली बार अप्रैल में बिजली की मांग 21,698 मेगावाट तक पहुंची है। विभिन्न कारणों से बंद चल रही यूनिटों को चालू कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

हरदुआगंज की 610 मेगावाट की तीन यूनिटें चालू हो गईं हैं। बारा की 660 मेगावाट यूनिट से भी फिर से उत्पादन शुरू हो रहा है। मंत्री ने निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए उपभोक्ताओं से सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि सभी समय से बिजली का बिल जमा करें।

ठप है 2500 मेगावाट बिजली का उत्पादन : कोयला संकट सहित अन्य कारणों से राज्य के विभिन्न उत्पादन गृहों की लगभग ढाई हजार मेगावाट की यूनिटों से बिजली का उत्पादन ठप है। इनमें निजी क्षेत्र के ललितपुर पावर प्लांट की 660 मेगावाट की एक यूनिट कोयले की कमी के कारण बंद है। इसी तरह मेजा की 660 मेगावाट, हरदुआगंज विस्तार की 660 मेगावाट, ओबरा की 200 मेगावाट, अनपरा की 210 मेगावाट, रिहंद व सिंगरौली की 700 मेगावाट की यूनिटों के बंद होने से उससे मिलने वाली 272 मेगावाट बिजली भी राज्य को नहीं मिल पा रही है। बिजली संकट को देखते हुए पावर कारपोरेशन प्रबंधन की कोशिश है कि जल्द से जल्द इन यूनिटों से भी बिजली का उत्पादन शुरू हो जाए।

पहली मई से मिल सकती है राहत : बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने एक मई से लगभग दो हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली का इंतजाम किया है। सिक्किम से 400 मेगावाट हाइड्रो पावर जुटाने के अलावा पहली मई से बैंकिंग (पूर्व में दी गई बिजली के बदले अब बिजली लेने की व्यवस्था) की 300 मेगावाट विद्युत मध्यप्रदेश से और 348 मेगावाट बिजली राजस्थान से मिलेगी। इसी तरह बिडिंग के जरिये भी 450 से 800 मेगावाट बिजली की व्यवस्था प्रबंधन ने की है।

बिजली संकट से निपटने के प्रयास : पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज का कहना है कि बिजली संकट से निपटने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। एनर्जी एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली न मिलने से सभी को शेड्यूल के मुताबिक आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है। अध्यक्ष ने उम्मीद जताई कि पहली मई से लगभग डेढ़-दो हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली का इंतजाम होने से बिजली आपूर्ति की स्थिति में निश्चित तौर पर सुधार होगा।

 
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