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सोने को मात दे रहा मिट्टी का गहना, माटी से तैयार हो रहे नेकलेस, झुमका जैसे आभूषण

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. गहना श्रृंगार की महत्वपूर्ण कड़ी है लेकिन महंगाई के कारण सोने के गहने कई महिलाओं की पहुंच से दूर हो जाते हैं। ऐसे में सोने की तरह ही मिट्टी के आकर्षक गहने भी तैयार किए जा रहे हैं। गोरखपुर के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में टेराकोटा वाली मिट्टी से अब आकर्षक गहने सोने के गहनों को टक्कर दे रहे हैं।

इन गहनों की हो रही मांग

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार मिट्टी के नेकलेस, झुमका, बाली, कंगन सोने के गहनों की खूब मांग है। अपनी सुंदरता से ये महिलाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। पिपराइच ब्लाक में 60 महिलाएं मिट्टी के गहने बनाने में जुटी हैं और गोरखपुर सहित अन्य शहरों में भी इसकी बिक्री हो रही है।

स्वयं सहायता समूह की 60 महिलाएं टेराकोटा वाली मिट्टी से तैयार कर रहीं आभूषण

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा महिलाओं को स्वरोजगार के लिए तैयार करने के लिए 15 दिनों तक मिट्टी के गहने बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। 90 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया और इनमें से 60 ने काम भी शुरू कर दिया है। नाबार्ड की जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम) दीप्ति पंत का कहना है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित स्वयं सहायता समूह की 90 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया था।

खूब हो रही बिक्री

महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं। उनके उत्पाद भी काफी आकर्षक हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर लखनऊ में नाबार्ड द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में गोरखपुर की दो महिलाओं ने भी स्टाल लगाया था। उनके बनाए गहने लोगों को खूब पसंद आए और दो दिन में 16 हजार रुपये की बिक्री हो गई।

ऐसे तैयार होता है मिट्टी का गहना

पिपराइच के ब्लाक मिशन मैनेजर गौरव त्रिपाठी बताते हैं कि प्रशिक्षण के बाद महिलाओं का उत्साह बढ़ा है। टेराकोटा गांव औरंगाबाद के पोखरे से चिकनी मिट्टी (टेराकोटा उत्पाद तैयार करने में इसी मिट्टी का प्रयोग होता है।) मंगाई जाती है। महिलाओं को अलग-अलग काम का प्रशिक्षण दिया गया है। मिट्टी तैयार करने के बाद सांचे से आभूषण बनाए जाते हैं। उसे सुखाकर भट्टी में पकाया जाता है। पकने के बाद गहने मजबूत हो जाते हैं, झटके से ये टूटेंगे नहीं। इन गहनों को रंगकर आकर्षक बनाया जाता है और उसकी पैकिंग कर बाजार में भेजते हैं।

ऐसे उपलब्ध कराते हैं बाजार

गौरव बताते हैं कि प्रतिदिन 200 गहने तैयार होते हैं। इनकी कीमत 500 से एक हजार रुपये तक है। एक हजार में पूरा सेट मिल जाता है। स्थानीय बाजार में गहने बेचे जाते हैं। ई कामर्स वेबसाइट के जरिए भी इन्हें बेचा जा रहा है। शहर के व्यापारियों के साथ भी अनुबंध किया जा रहा है। पूरे देश में यहां से गहना भेजा जाएगा। भविष्य में गहनों की वरायटी बढ़ायी जाएगी। उम्मीद है कि एक साल में स्वयं सहायता समूह को तीन लाख रुपये की आय हो जाएगी। आने वाले समय में इसमें और बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि आनलाइन मार्केटिंग के चलते बाहर के खरीदार भी मिलेंगे। बड़े शहरों में लगने वाली प्रदर्शनी में भी इसके स्टाल लगाए जाएंगे और माल में भी इसे डिस्प्ले के लिए रखा जाएगा।

महिलाओं द्वारा मिट्टी से गहना बनाया जा रहा है। आकर्षक होने के कारण इस उत्पाद की खूब मांग है। स्थानीय बाजार में भी गहने बिक जा रहे हैं। इसे दूसरे प्रदशों में भी भेजा जाएगा। ई कामर्स वेबसाइट के माध्यम से भी ये उत्पाद बेचे जाएंगे। - इंद्रजीत सिंह, मुख्य विकास अधिकारी।

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