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बिजली विभाग के 1500 से अधिक अफसरों पर पर हो सकती है कार्रवाई, जानें वजह

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बिजली महकमे ने राज्य में बिजली चोरी के मामलों को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए अब विभाग के अवर अभियंताओं और अभियंताओं के क्रियाकलापों का परीक्षण किया जा रहा है। करीब 1500 अवर अभियंता और अभियंता बिजली चोरी के प्रकरणों में तय समय के अंदर मुकदमा दर्ज नहीं कराने के दोषी पाए गए हैं। इन सबको नोटिस भेजकर एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा जा रहा है। जवाब मिल जाने के बाद गुण-दोष के आधार पर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी है। 

विद्युत वितरण कंपनियां समय से मुकदमा दर्ज नहीं कराने और बिजली चोरी के मामलों में अन्य लापरवाही बरतने वाले अभियंताओं को जो नोटिस भेज  रही हैं उसमें विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 135 का हवाला दिया जा रहा है। जिसमें यह व्यवस्था है कि बिजली चोरी के मामले पकड़े जाने पर 24 घंटे के अंदर संबंधित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया जाना अनिवार्य है। इसके अलावा उ.प्र. पावर कारपोरेशन के एक पत्र का हवाला दिया जा रहा है जिसमें लिखा है कि बिजली चोरी के मामलों में चोरी का प्रमाण मिलते ही तत्काल कनेक्शन काटने के साथ ही 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज कराया जाना अनिवार्य है। 

बिजली कंपनियां चोरी के प्रकरणों में लापरवाही बरते जाने के आंकड़ें रेड मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल (आरएमएस) से ले रही हैं। जिसमें यह दिखता है कि किसी जेई, एई, एसडीओ अथवा अन्य के द्वारा एक दिन में बिजली चोरी के कितने मामले पकड़े गए। इस आंकड़े के आधार पर पुलिस में दर्ज मुकदमों की संख्या देखी जा रही है। अंतर पाए जाने पर संबंधित को नोटिस दिया जा रहा है।

मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एक अभियंता ने बताया कि बिजली चोरी के मामलों में प्राथमिकी समय से दर्ज करा पाना उनके हाथ में नहीं है। वह सारे मामलों को तय समय के अंदर पुलिस में दे देते हैं। पुलिस थानों द्वारा काम के दबाव या अन्य कारणों से कई बार प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब हो जाता है। इस तरह कार्रवाई होने लगे तो विभाग के समस्त जेई, एई, एसडीओ, एक्सईएन, एसई ही दोषी नजर आएंगे। 

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