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पति-पत्नी के बीच डर्टी पॉलिटिक्स ने जब खड़ी की दूरियों की दीवार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद इन दिनों सियासी गलियारों में चर्चाओं की नई खिचड़ी पक रही है। एक तरफ योगी के दोबारा शपथ ग्रहण की तैयारी है, वहीं भाजपा की पूर्व मंत्री स्वाति सिंह और उनके विधायक पति दयाशंकर का अलगाव खूब चर्चाओं में है। दयाशंकर और स्वाति की मोहब्बत में राजनीति दीवार बन गई। यह पहली बार नहीं है, जब पति-पत्नी के प्यार को डर्टी पॉलिटिक्स की नजर लगी हो। आइए जानते हैं यूपी की राजनीति के वो किस्से जब पति-पत्नी की मोहब्बत में राजनीति विलन बन गई।

दयाशंकर और स्वाति सुखी मोहब्बत का दर्द भरा अंत

भाजपा की राजनीति में कद्दावर नाम दयाशंकर और योगी सरकार में मंत्री बनी उनकी पत्नी स्वाति सिंह। मियां-बीबी दोनों का राजनीतिक करियर खासा है। दोनों ने लखनऊ की सरोजनी नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहा। पार्टी ने टिकट दयाशंकर को टिकट दिया। बस यहीं से पति-पत्नी के रिश्ते में पड़ी दरारें ऐसे उभरी कि आज बात तलाक तक आ पहुंची। ये वही स्वाति सिंह है, जिन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अपने पति को बचाने के लिए मोर्चा खोल दिया। पति के संरक्षण में उतरी स्वाति की राजनीति की शुरूआत ही अपने पति प्रेम से हुई। आज दोनों अलग हो रहे हैं।

अमेठी के संजय और गरिमा घर में भी राजनीतिक रण

अमेठी की विधायक गरिमा सिंह उनके पति संजय सिंह की शादीशुदा जिंदगी में राजनीति क्या आई दोनों की राहें जुदा हो गईं। किसी जमाने में पति संजय सिंह के दिल पर राज करने वाली गरिमा आज पति की राजनीतिक राह का बड़ा कांटा बन गई हैं। गरिमा भाजपा और संजय कांग्रेस के बड़े नेता हैं। 1974 में गरिमा सिंह की शादी संजय सिंह से हुई थी। दो राजघरानों का संबंध था।

साल 2014 में जब गरिमा सिंह पर भूपति महल में संजय सिंह के सैनिकों ने हमला किया, तो जनता ने गरिमा का साथ दिया और उन्हें रानी मान लिया। कुर्सी छिनते ही संजय को अपनी सत्ता जाती दिखी और उनके तेवर दिल की रानी गरिमा के लिए बदल गए। अमेठी राजघराने में गरिमा के साथ बदसुलूकी होने लगी और एक दिन संजय सिंह ने अमिता सिंह से शादी कर ली।

साल 2017 में भाजपा ने गरिमा को अमेठी से चुनाव लड़ाया। दूसरी तरफ संजय की दूसरी बीबी अमिता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं। संजय ने गरिमा के खिलाफ प्रचार भी किया। हालांकि, गरिमा चुनाव तो जीत गईं, मगर राजनीति के कारण इस शादीशुदा जोड़े का वैवाहिक जीवन हार गया।

रायबरेली की अदिति और अंगद एक घर में दो राजनीतिक धड़े

रायबरेली से कांग्रेस की विधायक रहीं अदिति सिंह उनके पति अंगद रहते एक घर में हैं, लेकिन इस घर के कमरों में दो अलग दलों की राजनीति चलती है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुकी अदिति सिंह ने 2022 के चुनाव में जीत दर्ज की है। वहीं, अदिति के पति अंगद ने कांग्रेस के टिकट पर पंजाब से चुनाव लड़ा।

साल 2019 में वैवाहिक बंधन में बंधे अदिति-अंगद की राजनीतिक विचारधारा दो अलग दलों से जुड़ चुकी है। अंगद सिंह पंजाब के चर्चित नेता दिलबाग सिंह के परिवार से आते हैं। अंगद खानदानी कांग्रेसी हैं। अब पत्नी के भाजपाई होने से अंगद की स्थिति कांग्रेस में असहज हो गई है। वहीं, भाजपा लगातार अदिति को प्रियंका के खिलाफ तैयार कर रही है।

सेलिब्रिटी से नेता बने कपल में भी मनमुटाव

शत्रुघन सिन्हा पत्नी और उनकी पत्नी पूनम के बीच भी राजनीति कलह की वजह बनी। शत्रुघन ने भाजपा की राजनीति की है, लेकिन पूनम ने 2019 को सपा ज्वाइन कर ली और लखनऊ लोकसभा से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि, पूनम भाजपा के राजनाथ सिंह से हार गईं। इस तरह राजनीति की वजह से पति-पत्नी के बीच दरार आ गई।

वहीं, उनकी पत्नी जया बच्चन भी अभिनेत्री से नेता बनीं। अमिताभ कांग्रेसी रहे हैं, लेकिन जया वर्तमान में राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद हैं। बतौर राज्यसभा सांसद यह उनका चौथा कार्यकाल है। इसी तरह अमिताभ और जया बच्चन के बीच भी राजनीति के कारण मनमुटाव हुआ। फिल्म अभिमान में जिस तरह इस कपल के बीच लोकप्रियता पाने के कारण दरार बढ़ती है, ऐसा ही कुछ इनके बीच रियल लाइफ में राजनीति के कारण हो चुका है। जब 1984 में अमिताभ ने इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता, लेकिन जल्द ही उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो गया।

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