पर्दे के पीछे की वो कहानी, जिसने भाजपा की जीत को यादगार बना दिया
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ी जीत दिलाने के पीछे सिर्फ मोदी और योगी ही बड़ी वजह नहीं है। जीत की इस स्क्रिप्ट को पर्दे के पीछे बड़ी बारीकी से रचा गया। कैसे भाजपा ने लखीमपुर खीरी जैसे कठिन किले को फतह किया? कैसे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' कैंपेन कांग्रेस के लिए नहीं भाजपा की जीत में शामिल हो गया? कैसे यूपी का यादव-मुस्लिम फैक्टर मोदी-योगी बन गया?
राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि भाजपा ने विपक्ष के तमाम प्रयासों के बावजूद बड़ी सफाई से जनता को अपने साथ लिया और यूपी में जीत की नई इबारत लिखी। भाजपा की इस जीत में हालांकि योगी के 10 मंत्री (डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत) हार गए हों लेकिन, बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली। भाजपा की ऐतिहासिक जीत से उनके ये घाव भी भर गए हैं।
यूपी में M-Y का नया मतलब
यूपी में भाजपा की ऐतिहासिक जीत ने कई पुरानी कहावतों की परिभाषा दे दी। इसमें एक है- एम-वाई फैक्टर जो समाजवादी पार्टी का मुस्लिम-यादव से मोदी-योगी फैक्टर हो गया है। भाजपा ने इस जीत से साबित किया है कि सत्ता विरोधी लहर का उस पर अधिक प्रभाव न पड़ा है।
लखीमपुर खीरी में बदल दी लहर
चुनाव से पहले जहां लखीमपुर खीरी में भाजपा विरोधी लहर चल रही थी, माना जा रहा था कि भाजपा को यहां आठ सीटों पर नुकसान हो सकता है। लेकिन, तमाम लहरों को धताकर भाजपा ने आठों सीटों को जीतकर विपक्ष की हवा निकाल दी। बताते चलें कि बीते वर्ष दिसंबर माह में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष की गाड़ी से चार किसानों की मौत हो गई थी। ये सभी किसान कृषि आंदोलन को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उस वक्त इस पर काफी बवाल भी हुआ था। यहां तक कि चुनाव से ऐन पहले तक आशीष की जमानत पर विपक्ष फ्रंटफुट पर था। लेकिन चुनाव के बाद भाजपा ने सभी की बोलती बंद कर दी।
जीत की सारथी बनीं नारी शक्ति
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों ने इन चुनावों में "नारी शक्ति (महिला मतदाता)" की भूमिका को स्वीकार किया। भाजपा के टिकट पर जीतने वाली 48 महिला उम्मीदवारों में से 29 उम्मीदवार इस बात सबूत हैं। यह भाजपा की महिला विधायकों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। महिला प्रतियोगियों के साथ-साथ महिला मतदाताओं ने भी भाजपा के उस नैरेटिव को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो "गुंडो से सुरक्षा" पर केंद्रित थी।
सहयोगी दल बनीं तीसरी बड़ी पार्टी
भाजपा की चुनाव में सीट वितरण योजना पर भी बात होनी चाहिए। भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने उत्तर प्रदेश की 17 विधानसभा सीटों में से 12 पर जीत हासिल की। भाजपा और समाजवादी पार्टी के बाद राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। 2017 में, अपना दल (सोनेलाल) ने भाजपा के साथ गठबंधन में नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी में जीत हासिल की थी।
कई सीटों पर अपने गढ़ बढ़ाए
गोरखपुर की सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की। गोरखपुर शहरी सीट से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। पार्टी ने बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 19 विधानसभा सीटों और हरदोई जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों पर भी जीत हासिल की। हरदोई में भाजपा ने प्रभावशाली समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल को हराकर बड़ा उलटफेर किया। सोनभद्र में भी पार्टी ने चारों सीटों पर जीत हासिल की। जबकि सीतापुर की नौ विधानसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की।
मोदी और राजनाथ के गढ़ में भी जीत मिली
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा क्षेत्र लखनऊ में, भाजपा ने नौ विधानसभा सीटों में से सात पर जीत हासिल की। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में, भाजपा ने सात सीटें जीतीं और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को एक सीट मिली। भाजपा ने बरेली की नौ विधानसभा सीटों में से आठ और देवरिया, शाहजहांपुर और गोंडा की सात-सात सीटें जीती।