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बाहुलियों को पड़ रहे जीत के लाले, धनंजय सिंह, विजय मिश्रा और मोनू सिंह खा गए पटकनी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. यूं तो सूबे की राजनीति में बाहुबल के जोर पर दागियों के पैर जमाने का सिलसिला पुराना रहा है, जिसकी शुरुआत पूर्वांचल से तब हुई थी जब 1985 में पहली बार जेल की सलाखों के पीछे रहकर बाहुबली हरिशंकर तिवारी ने विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद एक के बाद एक कई बाहुबली राजनीति में आते गए। माफिया मुख्तार अंसारी मऊ की सदर सीट से पांच बार विधायक बने। जेल में रहकर भी क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखा। 

माफिया अतीक अहमद व धनंजय सिंह ने बाहुबल के बूते लोकसभा तक का सफर तय किया। लेकिन, समय के साथ अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का दमखम कमजोर पड़ने लगा है। बेहतर होती कानून-व्यवस्था का असर चुनाव परिणामों में झलक रहा है। 18वीं विधानसभा में कई बाहुबली चित हो गये तो कुछ अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब भी रहे हैं।

बाहुबली धनंजय सिंह ने जौनपुर की मल्हानी सीट से जनता दल (यू) के टिकट पर दावेदारी की थी, जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इस सीट से सपा के लकी यादव ने जीत दर्ज कर बाहुबली की जीत का सपना चकनाचूर कर दिया। भदोही की ज्ञानपुर सीट से इस बार जेल की सलाखों के पीछे से ताल ठोंक रहे चार बार के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा भी चित हो गए।

गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी की भी नइया पार नहीं लग सकी। गोरखपुर की नौतनवा सीट से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे व बसपा प्रत्याशी अमनमणि त्रिपाठी भी प्रतिद्वंदी से पटखनी खा गए। वाराणसी की पिंडरा सीट से ताल ठोंकने वाले अजय राय व गाजियाबाद की लोनी सीट से चुनावी दंगल में उतरे मदन भैया भी जोर आजमाइश में कमजोर पड़े। दोनों को हार का सामना करना पड़ा। सुलतानपुर की इसौली सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बाहुबली यशभद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह भी धराशायी हो गए। वहीं कुछ बाहुबली अपना दबदबा बचाने में कामयाब भी रहे।

प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से रघुराज प्रताप सिंह ने जीत तो दर्ज की, लेकिन इस बार उनकी जीत के मतों का अंतर पिछले चुनाव के मुकाबले काफी कम रहा। आजमगढ़ की फूलपुर पवई सीट से बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव भी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। वहीं मऊ की सदर सीट से चुनाव लड़ रहे माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे व निशानेबाज अब्बास अंसारी पर पिता की साख बचाने का दारोमदार है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभाषपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अब्बास प्रतिद्वंद्वीयों से 38 हजार से अधिक मतों से आगे हैं। माना जा रहा है कि वह अंसारी कुनबे का दबदबा कायम रखने में कामयाब रहेंगे। गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से सपा के टिकट पर माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई व पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह के बेटे सुहैब अंसारी उर्फ मन्नू ने जीत दर्ज कर कुनबे का दबदबा कायम रखा है।

चंदौली की सैयदराजा सीट से भाजपा उम्मीदवार व माफिया बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह भी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहे। अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बाहुबली अभय सिंह ने भी जीत दर्ज की है। वह भाजपा प्रत्याशी आरती तिवारी को हराने में कामयाब रहे। आरती जेल में बंद बाहुबली खब्बू तिवारी की पत्नी हैं।

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