कहानी: हिजड़ा
आईने के नुकीले टुकड़ों में सिया को उस के सवालों का जवाब नहीं मिल सका. आंखों में आंसुओं के साथ पिछली यादें किसी फिल्म की तरह सिया की आंखों के सामने से गुजरने लगी थीं.
‘छनाक’ की आवाज के साथ आईना चकनाचूर हो गया था. आईने का हर टुकड़ा सिया का अक्स दिखा रहा था. मांग में भरा सिंदूर, गले का मंगलसूत्र, कानों के कुंडल ये सब मानो सिया को चिढ़ा रहे थे. शायद समाज के दोहरेपन के आगे वह हार मान चुकी थी. एकसाथ कई सवाल उस के मन में उमड़घुमड़ रहे थे.
आईने के नुकीले टुकड़ों में सिया को उस के सवालों का जवाब नहीं मिल सका. आंखों में आंसुओं के साथ पिछली यादें किसी फिल्म की तरह सिया की आंखों के सामने से गुजरने लगी थीं.
श्री नाम था उस का. 20 साल का होतेहोते वह और उस के मांबाप ये समझ चुके थे कि श्री का शरीर भले ही एक मर्द का हो, पर उस के अंदर का मन एक औरत का ही है.
मांबाप ने श्री को कई डाक्टरों को दिखाया, इलाज भी चला, पर कोई फायदा नहीं हुआ. डाक्टरों ने श्री को ‘जैंडर आइडैंटिटी डिसऔर्डर’ का मरीज बताया, जिस में शरीर तो औरत या मर्द का हो सकता है, पर हावभाव और लक्षण विपरीत लिंग के होते हैं.
श्री के नैननक्श तीखे थे. उस के चेहरे की खूबसूरती और चमक से लड़कियों को जलन होना लाजिमी था. वह लड़कियों के कपड़े पहनता, उन की तरह हावभाव रखता, गाने गाता और लड़कियों की तरह डांस करना उसे बहुत अच्छा लगता था. किसी से बात करते समय लचकनामचकना श्री की आदत थी.
श्री 22 साल का हो चुका था. बाहर जाने पर लड़कियों जैसे कपड़े पहनने लगा था वह… मानो अब उसे जमाने के कहनेसुनने की कोई परवाह नहीं थी. उस ने अमर नाम का एक दोस्त बनाया, जिसे वह अपना बौयफ्रैंड कहता था.
अमर को इस बात का अहसास था कि श्री की हरकतें लड़कियों जैसी हैं, पर उसे तो सिर्फ श्री के पैसे से मजे करने थे, इसलिए वह उस के नाज उठाता था.
आज वे दोनों श्री का जन्मदिन मनाने के लिए किसी रैस्टोरैंट में जाने वाले थे. इस खास दिन के लिए श्री ने अपने लंबे बालों को खुला छोड़ा हुआ था और वह सलवारसूट पहने था.
उन दोनों को वापसी में रात के साढ़े 11 बजे गए थे. अमर और श्री एकदूसरे का हाथ पकड़े गाड़ी की पार्किंग की तरफ बढ़ रहे थे.
‘‘अरे लगता है, मैं अपना मोबाइल रैस्टोरैंट में ही भूल आया हूं,’’ कह कर अमर अंदर की ओर लपक गया, जबकि श्री बाहर ही उस के आने का इंतजार करने लगा.
एक बड़ी सी गाड़ी श्री के ठीक सामने आ कर खड़ी हुई और उन में से बाहर निकले एक बलशाली लड़के ने श्री को अंदर घसीट लिया और उस के मुंह पर टेप लगा दिया, ताकि वह शोर न मचा सके. गाड़ी को वे लोग एक आधी बनी बिल्डिंग के पास ले गए और श्री को बाहर घसीटा.
‘‘आज बहुत दिनों बाद कोई चिकना माल मिला है,’’ श्री के कपड़े फाड़ते हुए एक वहशी बोला, पर अगले ही पल वह बुरी तरह चौंक गया, ‘‘अरे, यह तो लड़की के वेश में लड़का है. क्यों बे, लड़की बन कर घूमने में ज्यादा मजा आता है क्या?’’ कह कर उस वहशी ने श्री के गाल पर 2-4 घूंसे रसीद कर दिए थे.
‘‘अब क्या करें, सारे मूड का तो सत्यानाश हो गया, अब मूड कैसे फ्रैश करें?’’ दूसरा लड़का बोला.
‘‘भाई तुम लोग अपना सोच लो, मुझे तो आज इस लड़के के साथ ही मजे लेना है. कभीकभी स्वाद भी तो बदलना चाहिए न,’’ इतना कह कर वह लड़का श्री के साथ जबरदस्ती करने लगा और फिर कुछ देर बाद बारीबारी से तीनों दोस्तों ने भी श्री के साथ मुंह काला किया और उसे तड़पती हालत में छोड़ कर वहां से चले गए.
बेहोशी की हालत में श्री कब तक रहा, उसे कुछ पता नहीं था. आंखें खुलीं, तो उस ने अपनेआप को एक अस्पताल में पाया. पुलिस वाले उस के सामने खड़े थे.
‘‘तो आप का कहना है कि आप के बेटे का रेप हुआ है,’’ पुलिस वाले ने श्री के पिता से पूछा.
‘‘जी.’’
‘‘हमें पीडि़त का बयान लेना होगा,’’ इंस्पैक्टर ने कहा और श्री से कुछ अटपटे सवाल पूछने के बाद जल्द ही कार्यवाही करने की बात कह कर बाहर निकलते हुए पुलिस कांस्टेबल इंस्पैक्टर से कह रहा था, ‘‘साहब, ये सब अमीर घर के लड़कों के चोंचले हैं, पहले लड़की बन कर घूमते हैं और फिर रेप करवा कर हमारे लिए काम बढ़ा देते हैं. हिजड़े कहीं के.’’
‘हिजड़े…’ श्री को यह शब्द गाली की तरह चुभा था. उस का कलेजा अंदर तक छलनी हो गया था.
यह पहला मौका था, जब उसे अपनी इस दोहरी जिंदगी जीने के ढंग पर शर्म आई थी.
तकरीबन 5 दिन तक अस्पताल में रहने के बाद श्री अपने मांबाप के साथ घर आया और अपने बौयफ्रैंड अमर को फोन लगाया.
काफी देर बाद अमर ने उस का फोन उठाया और सीधे शब्दों में कह दिया कि तुम्हारे साथ जो हादसा हुआ है, उस से हमारी काफी बदनामी हो गई है, इसलिए वह उस के साथ अब कोई संबंध नहीं रखना चाहता.
जिस दोस्त की अब उसे सब से ज्यादा जरूरत थी, उसी ने उस का साथ छोड़ दिया. श्री काफी परेशान हो उठा.
श्री ने अपने मर्दाना पर बेजान से पड़े हुए अंग को देखा और नफरत से भर गया. यह पहला मौका था, जब श्री ने अपना लिंग बदलवाने की बात गहराई से सोची, इस के लिए सब से पहले उस ने इंटरनैट खंगालना शुरू किया.
श्री के जैसे लक्षणों वाले और बहुत से लोग हैं इस दुनिया में. यह बात उसे पता चली, तो उस के मन को थोड़ा सुकून मिला और गहरे जाने पर उसे बहुत सी नई बातें पता चलीं. उस में से एक बात यह भी थी कि अब लिंग कोई बहुत बड़ी बात नहीं रह गई है और 10 लाख से भी कम खर्चे में भारत में ही रह कर अपना लिंग बदलवाया जा सकता है.
ये सारी बातें जान कर श्री ने अपने मांबाप से बात की, तो पहले तो वे सकते में आ गए, पर बाद में उन्होंने हामी भर दी.
कुछ और जरूरी खोजबीन के बाद डाक्टर मुकेश माथुर से अपना लिंग बदलवाने के लिए श्री गुजरात में उन से मिला और उन के अस्पताल में भरती हो गया.
डाक्टर मुकेश माथुर ने सब से पहले उसे हार्मोन के इंजैक्शन देने शुरू किए और थैरेपी व दूसरी दवाएं भी देनी शुरू कीं, जिन के असर से कभीकभी श्री परेशान हो उठता. कभी वह मूड स्विंग्स का शिकार भी हो जाता था. औरत के स्वभाव के साथसाथ उस का शरीर भी एक औरत का हो जाएगा, यह सोच कर श्री ये सारे दर्द झेलता रहा.
40 साल के डाक्टर मुकेश माथुर शहर के जानेमाने सर्जन थे और उन्होंने कई इनाम भी जीते थे. उन्हें मरीज की मनोदशा का अच्छी तरह से पता था. वह घंटों श्री का हाथ पकड़ कर उस के सिरहाने बैठे रहते और उसे हिम्मत बंधाते. श्री को उन का यह अपनापन बहुत अच्छा लगता था.
धीरेधीरे दवाएं और हार्मोन का असर श्री के शरीर पर आने लगा. सीने पर उभार आने लगे और शरीर के बाल पतले हो कर गायब होने लगे.
आखिर वह दिन भी आया, जब डाक्टर मुकेश माथुर ने श्री को औरत घोषित कर दिया.
डाक्टर माथुर ने श्री को नया नाम भी दिया, ‘‘नए शरीर के साथ तुम्हारा नया नाम होगा सिया.’’
श्री अपने नए नाम सिया को बारबार दोहरा रहा था और ऐसा करते समय उस की आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे.
श्री से सिया बन कर उस के जीने का अंदाज ही बदल गया था. सिया अपनेआप को घंटों आईने के सामने निहारती रहती थी.
उस ने सिया के नाम से नया फेसबुक एकाउंट भी बना लिया था. सब से पहली फ्रैंड रिक्वेस्ट उस ने अमर को भेजी. एक खूबसूरत लड़की का फोटो देख कर अमर ने तुरंत ही फ्रैंडशिप स्वीकार कर ली. धीरेधीरे फोन नंबरों का आपस में बदलना हुआ और अमर और सिया में बातचीत होने लगी.
सिया ने वीडियो काल कर अमर को अपनी खूबसूरती की एक झलक भी दिखला दी थी.
अमर सिया से मिलने के लिए बेचैन हो उठा और एक रैस्टोरैंट में बुलाया, फिर उसे बहाने से एक होटल के कमरे में ले गया. उस की मंशा सिया जैसी खूबसूरत लड़की को भोगने की थी, इसलिए वह सिया को बातों मे लगा कर उस के कपड़े उतारने लगा. सिया ने भी कोई विरोध नहीं किया. कुछ देर बाद सिया बिना कपड़ों के अमर के सामने खड़ी थी.
अमर अपलक सिया को निहारे जा रहा था. उसे अपनी बांहों में भर लिया था, पर जैसे ही सिया के शरीर में अमर ने समाने की कोशिश की, सिया ने उसे जोर का धक्का दिया.
यह देख अमर थोड़ा सा चौंक उठा, ‘‘अरे सिया, अब इतना नाटक क्यों कर रही हो?’’
‘‘मैं नाटक नहीं कर रही, बल्कि मैं तुम्हें यह अहसास कराना चाहती हूं कि तुम ने क्या खोया है. यह सिया वही श्री है, जिस को तुम ने एक दिन अपनी बदनामी के डर से ठुकरा दिया था,’’ ऐसा कह कर सिया ने झट से कपड़े पहने और कमरे से बाहर निकल गई.
अमर को अपने ऊपर भरोसा नहीं हो रहा था कि यह सब हकीकत थी या कोई छलावा था.
सिया अपने मांबाप के साथ रहने लगी. महल्ले के लोगों को पता चल चुका था कि श्री ही सिया है, इसलिए सब उसे अजीब नजरों से देखते थे. कभीकभी 15-16 साल के लड़के पीठ पीछे उसे ‘हिजड़ा’ बोल कर हंसते हुए चले जाते थे.
पहलेपहल तो सिया ने ध्यान नहीं दिया, पर जब इन चीजों की हद होने लगी, तो सिया के मन में खटास आने लगी.
‘‘मैं कोई हिजड़ा नहीं, बल्कि पूरी औरत हूं,’’ सिया फुसफुसा उठती थी.
इस दौरान सिया को हार्मोन थैरेपी के लिए डाक्टर मुकेश माथुर के पास जाना पड़ता था. उस दिन 14 फरवरी यानी ‘वैलेंटाइन डे’ था. डाक्टर मुकेश माथुर ने हाथों में एक सुर्ख गुलाब ले कर सिया को दिया.
‘‘क्या आप किसी लड़की को लाल गुलाब देने का मतलब जानते हैं डाक्टर?’’ सिया ने पूछा.
‘‘अच्छी तरह जानता हूं, तभी तो दे रहा हूं.’’ डाक्टर मुकेश माथुर ने कहा, ‘‘तुम्हारी सर्जरी करने के बाद मुझे तुम से मिलतेमिलते इतना प्यार हो गया है कि अब तुम्हारे बिना मुझ से रहा नहीं जाता है, इसलिए मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’
एक ट्रांसजैंडर बनने के बाद से ही सिया एक ऐसे इनसान को ढूंढ़ रही थी, जो उस के साथ शादी करने की हिम्मत जुटा सके और उसे औरत के जिस्म का अहसास करा सके.
सिया डाक्टर मुकेश माथुर की ये बातें सुन कर फूली नहीं समा रही थी. उसे लग रहा था कि उस का सपना पूरा हो गया है.
सिया के मांबाप को भला इस फैसले से क्या एतराज होता… उन्होंने उस की हां में हां मिला दी.
एक सादा समारोह में डाक्टर मुकेश माथुर ने सिया से शादी कर ली. एक ट्रांसजैंडर की एक डाक्टर से शादी को लोकल अखबारों ने प्रमुखता से जगह दी. सोशल मीडिया पर भी डाक्टर मुकेश माथुर और सिया की शादी खूब सुर्खियों में रही.
शादी के बाद डाक्टर मुकेश और सिया जी भर कर सैक्स का सुख लेने लगे. अपने शरीर को ले कर सिया का हर तरह का डर खत्म हो गया था.
आज कुछ मीडिया वाले डाक्टर मुकेश माथुर का इंटरव्यू लेने आए थे, जो उन से बारबार वही जानना चाह रहे थे कि एक ट्रांसजैंडर के साथ शादी कर के उन्हें कैसा लग रहा है. पत्रकार घुमाफिरा कर उन के सैक्स संबंधों के बारे में ही सवाल पूछ रहे थे. उन के हर सवाल का डाक्टर मुकेश माथुर बड़ी गर्मजोशी से जवाब दे रहे थे.
पत्रकारवार्त्ता खत्म होने के बाद डाक्टर मुकेश माथुर के मोबाइल पर एक फोन आया, जिसे सुन कर वे बहुत खुश हुए और सिया से बोले, ‘‘सुनो सिया, मैं ने एक लिंग बदले हुए एक लड़के से शादी की है. मेरे इस हिम्मती फैसले के लिए मुझे मानव कल्याण संस्था वाले एक अवार्ड दे रहे हैं,’’ डाक्टर मुकेश चहक रहे थे. उन को खुश देख कर सिया भी खुश हो गई.
2 दिन बाद ही डाक्टर मुकेश माथुर को जब अवार्ड मिल गया, तो उस ने अपने कुछ डाक्टर साथियों को इस खुशी में घर पर पार्टी के लिए बुलाया. सारा खाना बाहर से मंगवाया गया था और महंगी वाली शराब का दौर चल रहा था. मुकेश के सभी साथी नशे में झूमने लगे थे.
‘‘यार मुकेश, शराब तो तू ने पिला दी, पर शबाब के लिए अपनी उस ट्रांसजैंडर बीवी को ही बुला ले,’’ एक साथी ने कहा.
‘‘हां यार, बड़ा मूड हो रहा है,’’ दूसरे साथी ने कहा.
‘‘नहीं यार, भले ही वह ट्रांसजैंडर हो, पर है तो उस की बीवी ही,’’ दूसरे दोस्त ने बचाव किया.
‘‘इन ट्रांसजैंडर की भी क्या इज्जत और क्या बेइज्जती? ये तो ग्रुप सैक्स के लिए भी राजी हो जाते हैं.’’
कमाल की बात यह थी कि डाक्टर मुकेश माथुर उन सब की बातों का कोई विरोध नहीं कर रहे थे, बल्कि उन की हां में हां मिला रहे थे.
दीवार के पीछे खड़ी सिया यह सब सुन रही थी. उस की आंखों से आंसू बह रहे थे. इतने में सिया ने अपनी पीठ पर किसी का मजबूत हाथ महसूस किया. ये डाक्टर मुकेश माथुर थे.
मुकेश सिया को घसीटते हुए अपने साथियों के सामने ले गए और बोले, ‘‘लो दोस्तो, शराब के बाद शबाब… मजे ले लो इस के.’’
‘‘यह आप क्या कर रहे हैं, मैं आप की पत्नी हूं.’’
डाक्टर मुकेश माथुर बड़ी जोर से हंस पड़े, ‘‘अरे ओ… मैं ने तुझ जैसे हिजड़े सौरी, ट्रांसजैंडर से शादी इसलिए की है कि मुझे समाज में सम्मान मिल सके, अवार्ड मिल सके… और मैं एक हिजड़े का उद्धार करने वाले डाक्टर के रूप मे जाना जाऊं,’’ नशे में डाक्टर मुकेश माथुर बुरी तरह हावी हो रहे थे, जबकि डाक्टर मुकेश के साथी सिया के कपड़े खींचने में लगे हुए थे.
कुछ ही देर में सिया उन सब के सामने नंगी खड़ी हुई फफक रही थी. वह हाथों से अपने सीने को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी कि एक आदमी ने उसे बिस्तर पर गिरा लिया.
उस के बाद सभी लोगों ने बारीबारी से सिया के साथ मुंह काला किया और इस घटना का वीडियो भी बनाया, ताकि इस रेप की यादें ताजा रहें.
अगली सुबह जब सिया को होश आया, तब कमरे में कोई नहीं था, सिर्फ शराब और सिगरेट की बदबू थी.
सिया ने किसी तरह से कपड़े पहने और उस की नजर आईने के टूटे हुए टुकड़ों पर पड़ी, जो उसे चिढ़ा रहे थे मानो कह रहे हों कि तू एक हिजड़ा है, तू एक ट्रांसजैंडर है और तुझे समाज वाले इज्जत की नजर से कभी नहीं देखेंगे, बड़ी चली थी शादी करने…
सिया ने भरे मन से टूटे आईने का एक टुकड़ा उठाया और अपनी कलाई की नस को काट लिया. उस की कलाई से खून तेजी से टपकने लगा था. सिया के कानों में अब भी आवाजें गूंज रही थीं… ‘ट्रांसजैंडर, हिजड़ा… हिजड़ा…’