जवान बेटे को मोक्ष के लिए काशी में छोड़ा, एक साल बाद मिलन पर छलके आंसू
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. दोनों पैरों में लकवा...मानसिक स्थिति भी खराब। जवान बेटे की यह स्थिति गरीब परिवार से देखी नहीं जा रही थी। चाहते हुए भी जब इलाज नहीं करा सके तो दिल पर पत्थर रखकर बेटे को काशी में लाकर सड़क किनारे ही छोड़ दिया। मंशा केवल इतनी थी कि बेटे को मोक्ष मिल जाए। लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था।
सड़क किनारे पड़े युवक को एक समाजसेवी ने अपना घर आश्रम पहुंचाया। यहां इलाज के साथ सेवा हुई तो युवक धीरे-धीरे ठीक होने लगा। उसकी मानसिक स्थिति भी बेहतर हो गई। उसके बताए पते पर संपर्क कर जब परिवार वालों को जानकारी दी गई तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
एक साल बाद बेटे के सही सलामत होने और मानसिक स्थित भी ठीक होने की जानकारी मिली तो भागते हुए काशी पहुंच गए। बेटे को सामने देखा तो खुशी के मारे रो पड़े। करीब एक साल बाद वाराणसी के सामने घाट स्थित अपना घर आश्रम में बुधवार को बाप-बेटे का सुखद मिलन हुआ।
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के रहने वाले 27 वर्षीय जोगेंद्र द्विवेदी की। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के जागेंद्र द्विवेदी को दोनों पैरों में लकवा मार गया था। इसके कारण उनकी मानसिक स्थिति भी बिगड़ गई थी।
परिवार वालों से जोगेंद्र की स्थित देखी नहीं जा रही थी। उसे मोक्ष दिलाने के लिए परिजन जोगेंद्र को काशी में छोड़ गये। यहां मंडलीय अस्पताल के पास पास कई दिनों तक पड़े रहे जोगेंद्र के बारे में समाजसेवी अमन कबीर को जानकारी हुई। अमन कबीर ने जोगेंद्र को लावारिस लोगों की सेवा करने वाले अपना घर आश्रम में पहुंचाया।
आश्रम में जागेंद्र की सेवा शुरू हुई। उसका इलाज कराया गया। इसके बाद धीर-धीरे उसकी मानसिक स्थित ठीक होने लगी। उसने अपना पता बताया। इसके बाद वाराणसी के ही शिवदत्त द्विवेदी ने जागेंद्र का पता ढूंढ़ने में मदद की। गरीब परिवार से आश्रम के लोगों ने संपर्क किया।
पिता बुधवार को आश्रम पहुंचे। बेटे को देख लिपट कर रोने लगे। जागेंद्र से काफी देर तक बातचीत के बाद भी पिता को उसके स्वस्थ होने का विश्वास ही नहीं हो पा रहा था। उन्हें जोगेंद्र को दी जा रही एक महीने की दवा दी गई और आगे भी दवा का आश्वासन देकर विदा किया गया।