EIT Ka Rate Today: ईंट का भाव एक अप्रैल से होगा महंगा, जानें ईट का रेट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. आगामी एक अप्रैल से ईंट पर लगने वाले जीएसटी की दर में बदलाव के बाद आम लोगों को ईंट महंगे दामों (eit ka rate today) पर मिलने की संभावना है। अभी तक पांच फीसद जीएसटी दर होने से ईंट साढ़े छह हजार रुपये प्रति हजार ईंट लोगों को मिल जाती थी, लेकिन अब 12 फीसद जीएसटी लागू होने से ईंट के दाम (eit ka rate today) में उछाल आएगा।
इसके साथ पीसीएफ और यूपीएसआइसी के बीच कोयला आपूर्ति का अधिकार तय नहीं होने से ईंट भट्ठों पर कोयला संकट बढ़ गया है। ईंट भट्ठा मालिक बीते दो साल से बाहर से कोयला मंगा रहे हैं। स्थिति यह है कि चंधासी और डेहरी आन सोन से कोयला मंगाना पड़ रहा है।
इंडोनेशिया और अमेरिका से आता है कोयला
चार दिन पहले अमेरिका से कोयले की एक रैक फैजाबाद पहुंची है। यह कोयला 20 हजार से 22 हजार रुपये प्रति टन पड़ता है। इंडोनेशिया और अमेरिका का कोयला समुद्र के रास्ते मंगाया जाता है जिसे कांडला और हल्दिया के बंदरगाह पर उतारा जाता है। यहां वैगन और ट्रक से ईंट भट्ठों पर कोयला पहुंचता है। तीसरा कोयला रानीगंज से मंगाया जाता है जिसकी कीमत 16 हजार रुपये प्रति टन है। कुछ कोयले 12-13 हजार प्रति टन भी मंगाए जाते हैं। कोयले का दाम उसकी ज्वलनशीलता पर निर्भर होती है। वहीं दूसरी ओर 2020-21 में जो कोयला तीन से चार लाख रुपये प्रति ट्रक था वह 2021-22 में 12 से 14 लाख रुपये प्रति ट्रक हो गया है।
बीते 50 साल में क्या-क्या बदला
1972 में ईंट 60 रुपये प्रति हजार
पथाई मजदूरी - दो रुपये प्रति हजार
कोयला - 150-200 रुपये प्रति टन
2022 में ईंट 13000 रुपये प्रति हजार
पथाई मजदूरी - 750 रुपये प्रति हजार
कोयला - 16000-22000 रुपये प्रति टन
जिलों में ईंट भट्ठों की संख्या
वाराणसी - 410
चंदौली - 250
भदोही - 250
गाजीपुर - 600
आजमगढ़ - 500
मऊ - 300
बलिया - 300
जौनपुर - 600
'विकास में ईंट की भूमिका महत्वपूर्ण है। ईंट पर बढ़ी हुई जीएसटी दर को सरकार वापस करे। बाहर से आने वाला कोयला उपलब्ध नहीं हो रहा है तो उत्तर प्रदेश सरकार शीघ्र देश का ही कोयला उपलब्ध कराए। इसका आम लोगों पर भी असर होगा।- कमलाकांत पांडेय, जिलाध्यक्ष, ईंट निर्माता परिषद वाराणसी।
'2019 में ईंट प्रति हजार साढ़े पांच हजार रुपये था। वर्तमान में साढ़े सात हजार रुपये प्रति हजार तक हो गया है। अभी तो कोयला का संकट है। सरकार शीघ्रता से कोयला की उपलब्धता बढा़ए। ईंट को जीएसटी की कंपाउंड योजना के अंतर्गत यानी पूर्ववत रखा जाए।- रमेश लालवानी, पूर्व अध्यक्ष, ईंट निर्माता समिति।