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एग्जिट पोल में लौट रही 'बाबा' की सरकार... जानें यूपी चुनाव के हर फेज में कैसे बदली BJP के पक्ष में हवा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. यूपी में बीजेपी बनाम सपा में कांटे की टक्‍कर की तमाम अटकलें फिजूल साबित हुई हैं। तमाम एग्जिट पोलों के अनुमानों को सही मान लें तो प्रदेश में योगी सरकार स्‍पष्‍ट बहुमत के साथ लौटती दिख रही है। सूबे में पहले के मुकाबले यह चुनाव कई मायनों में अलग था। मुद्दा न राम मंदिर था। न जात-पात। न बिजली-सड़क। बिल्‍कुल अलग तरह के मुद्दे थे। 

मुद्दा पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में किसानों का गुस्‍सा था। महंगाई का था। कोरोना था। रोजगार था। हालांकि, एग्जिट पोल के रुझानों को देखकर साफ लगता है कि राज्‍य के लोगों ने योगी आदित्‍यनाथ पर भरोसा जताया है। यह चुनाव हर फेज के साथ ट्विस्‍ट करता गया है। अंत तक पहुंचते-पहुंचते लोगों का रुझान ब‍िल्‍कुल बदल गया।

अगर हम एग्जिट पोल्‍स का थोड़ा गहराई से विश्‍लेषण करें तो एक अनुमान लगा पाएंगे कि ये चुनाव कैसे-कैसे आगे बढ़े। यूपी में इस बार सात चरणों में चुनाव हुआ। 10 फरवरी को पहले चरण में 58 सीटों, 14 फरवरी को दूसरे चरण में 55 सीटों, 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 सीटों, 23 फरवरी को चौथे चरण में 59 सीटों, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 61 सीटों, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान हुआ।

पहले और दूसरे चरण में पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश की ज्‍यादातर सीटों पर मतदान हुआ। उदाहरण के लिए हम टाइम्‍स-नाउ नवभारत के सर्वे को लेते हैं। इसके एग्जिट पोल में पहले चरण में बीजेपी को 31, सपा को 23, कांग्रेस को 2, बीएसपी को 1 और अन्‍य को 1 सीट मिलती दिख रही है। दूसरे चरण में बीजेपी को 31, सपा को 20, कांग्रेस को 2 और बीएसपी को 2 सीटें मिलने की उम्‍मीद है।

पहले-दूसरे चरण में हावी रहा क‍िसानों का मुद्दा

ये आंकड़े बताते हैं कि पहले से दूसरे चरण में ही हालात बदल गए। पहले चरण में किसान आंदोलन का मुद्दा गरम था। सोने पर सुहागा यह हुआ कि यूपी चुनाव की शुरुआत वहां से हुई जहां इसका असर सबसे ज्‍यादा था। तीन विवादित कृषि कानूनों पर सरकार ने बेशक कदम वापस लिए। लेकिन, अंदर से किसानों का गुस्‍सा खत्‍म नहीं हुआ था। सपा ने राष्‍ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन कर बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दीं। इसने मुस्लिम वोटरों के साथ जाट वोटरों के एक वर्ग को भी बीजेपी के विरोध में वोट देने के लिए बढ़ावा दिया। बीजेपी ने यह भांप लिया और चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल करने के लिए जाट वोटरों को समझाने-बुझाने के प्रयास तेज कर दिए। वोटिंग पैटर्न में शायद यह रिफलेक्‍ट भी हुआ। बीजेपी ये प्रयास नहीं करती तो नुकसान कहीं ज्‍यादा हो सकता था।

टाइम्‍स नाउ ने तीसरे चरण में बीजेपी को 32, सपा को 23, कांग्रेस को 2, बीएसपी को 1 और अन्‍य को एक सीट मिलने की उम्मीद जताई है। शुरू से चुनाव में बीजेपी बनाम एसपी की टक्‍कर थी। तीसरे चरण के चुनाव में भी दोनों ही पार्टियों में फासला बहुत ज्‍यादा नहीं है।

तीसरे चरण में सियासी दलों ने मुस्लिम-जाट बेल्ट से निकलकर सेंट्रल यूपी के यादवलैंड और बुंदेलखंड की सीटों पर जोर आजमाइश की। वोटरों के बदलते समीकरण के साथ ही चुनावी मुद्दों और भाषणों की टोन भी बदल गई। ध्रुवीकरण की कोशिशों वाले धार्मिक-भावनात्मक बयानों की बयार चली।

2017 में सत्ता में रहने के बावजूद भी सपा ने अपने गढ़ में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया था। उसे महज 8 सीटें मिली थीं। वहीं, गठबंधन सहयोगी कांग्रेस केवल एक सीट जीत पाई थी। यादव परिवार का विवाद पार्टी पर भारी पड़ा था। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच चली वर्चस्व की लड़ाई ने ऐसा बिखराव किया कि पार्टी की जमीन ही खिसक गई। एटा, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा जैसे जिलों में भी एसपी को करारा झटका लगा था। हालांकि, इस बार नंबर सुधरते दिख रहे हैं।

धीरे-धीरे ध्रुवीकरण की तरफ बढ़ी कहानी

इस दौरान देश में हिजाब मुद्दे पर भी सियासत गरम हो गई थी। वैसे तो यह कर्नाटक से जुड़ा मसला था। लेकिन, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इससे ध्रुवीकरण जरूर हुआ।

चौथे चरण के चुनाव आते-आते स्थितियां और बदलीं। ये बीजेपी के पक्ष में ज्‍यादा मुड़ गईं। यह बात पोल के आंकड़ों से पता चलती हैं। इस चरण में बीजेपी 38 और सपा को 18 सीटें मिलती दिख रही हैं। यह फासला काफी बड़ा है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि इस चरण में अवध क्षेत्र में मतदान हुआ था। यह बीजेपी के असर वाला क्षेत्र है।

पांचवें चरण में अवध के साथ पूर्वांचल के कई जिले दांव पर थे। इनमें अयोध्‍या, चित्रकूट, बहराइच श्रावस्‍ती जैसे जिले शामिल थे। पांचवें चरण में 61 सीटों में से बीजेपी को 38 और एसपी को 20 सीटें मिलते दिख रही हैं। इस चरण में भी चुनावी टोन आक्रामक थी। मुद्दों को हिंदुओं की धार्मिक आस्‍था के साथ जोड़ा गया।

छठे चरण के चुनाव में बीजेपी 29 और एसपी को 24 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं, सातवें चरण में बीजेपी को 26 और एसपी को 23 सीटें दी गई हैं। इन दोनों फेज में भी टक्‍कर हिंदू और मुस्लिम मुद्दों पर हुई। ये दोनों फेज आते-आते चुनाव के तेवर बदल चुके थे।

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