रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आंच के बीच माचिस की कीमतों में भी लगी आग, 2 रुपये हो गई कीमत
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच बाजार में माचिस की लौ भी धधक रही है। यह तब है जब लोगों को एक माचिस की कीमत एक रुपये नहीं बल्कि दोगुनी कीमत यानी दो रुपये देने पड़ रहे हैं। राहत की बात ये है कि विकल्प में एक रुपये की माचिस बाजार में मौजूद है।
फर्क सिर्फ इतना है कि एक रुपये की माचिस में 30 तीली और दो रुपये की माचिस में ग्राहकों को 50 तीली मिल रही है। युद्ध का असर अगर बाजार के व्यापारियों के के हिसाब से देखा जाय तो उनका मानना है कि माचिस में लगने वाले बहुत सारे कच्चे माल दूसरे देशों से मंगाए जाते हैं ऐसे में 70 फीसद बाजार में मौजूद एक रुपये की माचिस दो रुपये का स्थान ले लेगी। इससे घाटा का सौदा नियंत्रित किया जा सकेगा।
पूर्वांचल के किसान माचिस के सर्वप्रथम वितरक गोपालदास अग्रवाल हैं कि लगातार 65 वर्षों से पूर्वांचल में माचिस की बिक्री की जा रही है। विकास के चलते जलाने के लिए बैटरी और इलेक्ट्रिक चालित उपकरणों के बाजार में आने के कारण माचिस की बिक्री पर जरूर असर पड़ा है। मतलब साफ है कि 20 फीसद की जगह सात से 10 फीसद बढ़ोतरी के साथ माचिस की बिक्री में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
माचिस में कई ऐसे कच्चे माल हैं जिसका उपयोग बाहर से मंगाकर किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से पोटैशियम क्लोराइड, पोटैशियम ब्यक्रोमैट, सल्फर, कैसीन, पैराफिन वैक्स, स्पलिंट, डुप्लेक्स बोर्ड, क्राफ्ट पेपर, एलडीपीई, अमोनिया सॉल्युशम, मैंगनीज, ग्लास पावडर, आयरन ऑक्सीड, जिलेटिन शामिल है। इन कच्चे माल के दामों में हुए बढ़ोतरी के चलते माचिस के दाम में बढ़ोतरी की गई है। बनारस में हर महीने दो करोड़ बंडल चेन्नई से मंगाया जाता है। एक बण्डल में छह सौ माचिस होते हैं। प्रकार आग लागने वाली माचिस की कीमतों में दोगुना तक इजाफा घरों की चूल्हे को भी बड़ी मशक्कत से सुलगा रही है।