बीएचयू में होगी भूत विद्या की पढ़ाई, आयुर्वेद संकाय के डॉ. सुशील दुबे ने तैयार की रूपरेखा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में अब भूतविद्या की भी पढ़ाई होगी। संकाय प्रमुख प्रो. केएन द्विवेदी ने बताया है कि आयुर्वेद संकाय की ओर से अष्टांग आयुर्वेद की स्थापना के लिए देश में पहली बार प्रयास किया गया था। इसी के तहत निमित तीन नए पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहे हैं।
तीन नए पाठ्यक्रम में भूतविद्या/ग्रह/मानस, रसायन व वाजीकरण विषय शामिल है। इसको संकाय के पीपपी से पास करते हुए पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी ने अकेडमिक काउंसिल में 10 जून 2019 को प्रस्ताव को पास कराया था7 इसके बाद 30 नवंबर 2019 को एग्जीक्यूटिव काउंसिल से अनुमोदन प्राप्त होने के बाद संकाय में तीन नए पाठ्यक्रमों का आवेदन किया गया था।
इसमें देश-विदेश से भी छात्रों ने आवेदन किया था। ज्ञात हो कि इन विषयों के संचालन हेतु तीन नए यूनिट्स का भी सृजन किया गया है, जो भविष्य में विभाग के रूप में विकसित हो सकते हैं। हालांकि इस कोर्स को लेकर जब विवाद होने लगा तो इसमें रूकावट आ गई थी। हालांकि अब इसको हरी झंडी मिल गई है।
संकाय प्रमुख प्रो. केएन द्विवेदी ने बताया कि तीन विषयों के प्रस्ताव पर सरकार में विचार विमर्श करने के बाद 16 फरवरी 2022 को गजट नोटिफिकेशन कर दिया गया है। इसमें तीनों पाठ्यक्रमों एवं नाड़ी परीक्षा, प्रकृति परीक्षा को संचालित किए जाने के लिए राजपत्र जारी किया है । जिस प्रकार पाठ्यक्रम की स्थापना के लिए आयुर्वेद संकाय प्रयास किया था, हमारे कार्यकाल में पाठ्यक्रम व नाड़ी, प्रकृति परीक्षा यथा शीघ्र आरम्भ किया जायेगा।
हमारे छात्र इस समय देश सहित विदेशों में आयुर्वेद के उच्चतम पदों पर आसीन होकर विधा की गरिमा को बढ़ा रहे हैं जो जनहित एवं देशहित के साथ ही साथ आयुर्वेद हित में उत्कृष्ट कार्य हो रहा है । इसी प्रकार पूर्व में भी आयुर्वेद वेलनेस सेंटर की स्थापना एवं मसाज कोर्स की शुरुआत किया गया था जिसको भी भारत सरकार द्वारा मान्यता मिल चुकी है।
आयुर्वेद संकाय के वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि उन्होंने 12 दिसंबर 2019 को प्रस्ताव प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी के माध्यम से आयुष मंत्रालय में भेजा था। दुबे ने बताया कि मंत्रालय ने उन्हें नौ जनवरी 2020 को पत्राचार करते हुए ओपीडी चलाने के लिए मंजूरी थी। प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी ने कहा कि भूत विद्या सहित तीनों कोर्स शुरू होने से अष्टांग आयुर्वेद का मौलिक स्वरूप विकसित होगा व माज को स्वस्थ रखने की दिशा में इन विधाओं का प्रयोग एक नये रूप में विकसित होगा।