दूसरे चरण में कई सियासी दिग्गजों की होगी परीक्षा; जानें भाजपा-सपा की ताकत और कमजोरी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण में सोमवार को नौ जिलों की 55 सीटों पर मतदान होगा। वोट सुबह सात से शाम छह बजे तक डाले जाएंगे। दूसरे चरण में 2.02 करोड़ मतदाता 586 प्रत्याशियों की तकदीर का फैसला करेंगे। दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, रामपुर, बदायूं, बरेली और शाहजहांपुर जिलों में मतदान होगा। मुस्लिम बहुल सीटों के चलते दूसरा चरण भाजपा के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि मुस्लिम वोटर को साधने की भाजपा ने पुरजोर कोशिश की है। वहीं, सपा के लिए कानून-व्यवस्था का मुद्दा भारी पड़ सकता है।
यूपी विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में कई सियासी दिग्गजों की परीक्षा होगी। रामपुर एक बार फिर मो.आजम खां के परिवार और नवाब खानदान के बीच दिलचस्प जंग का साक्षी होगा। जेल में बंद आजम रामपुर से दसवीं बार विधान सभा पहुंचने के ख्वाहिशमंद हैं तो बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उनके सामने नवाब काजिम अली खान हैं। रामपुर की स्वार सीट से आजम के पुत्र अब्दुल्ला आजम की टक्कर काजिम अली खां के बेटे और अपना दल (एस) प्रत्याशी हैदर अली खां से होगी।
योगी सरकार के कद्दावर मंत्री सुरेश कुमार खन्ना शाहजहांपुर, राज्यमंत्री गुलाब देवी चंदौसी, बलदेव सिंह औलख रामपुर की बिलासपुर व छत्रपाल सिंह गंगवार बहेड़ी, महेश चंद्र गुप्ता बदायूं से चुनाव लड़ रहे हैं। मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सपा का दामन थामने वाले आयुष मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी सहारनपुर की नकुड़ सीट से मैदान में हैं। सपा सरकार में मंत्री रहे इकबाल महमूद संभल और महबूब अली अमरोहा सीट से ताल ठोंक रहे हैं।
दूसरे चरण में भाजपा की ताकत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटें इस चरण में हैं। कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा है।
दलित और पिछड़ी जातियों पर मजबूत पकड़ मानी जा रही है।
मुस्लिमों की लामबंदी से हिंदू बिरादरियों के भी एकजुट होने की संभावना।
दूसरे चरण में भाजपा की कमजोरी
कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
बसपा और कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव में इतना खराब रहा कि मत विभाजन की स्थिति में भी नहीं।
किसानों के प्रभाव वाला भी कुछ क्षेत्र, जो कृषि कानून विरोधी आंदोलन में सक्रिय रहे।
दूसरे चरण में सपा की ताकत
कई सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक भूमिका में है। मुस्लिमों की पसंद सपा नजर आ रही है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अन्य सीटों की तुलना में इन सीटों पर पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन।
तीन सौ यूनिट मुफ्त बिजली का दांव असरदायक हो सकता है।
दूसरे चरण में सपा की कमजोरी
मुस्लिम से गठजोड़ बनाने के लिए किसी दूसरी जाति का एकमुश्त वोट सपा के पास नहीं है।
ध्रुवीकरण जैसी स्थिति बनने पर अन्य जातियों की लामबंदी भाजपा का पलड़ा भारी करती है।
मतदाताओं को लुभाने के लिए अखिलेश यादव पार्टी के इकलौते चेहरे के रूप में सक्रिय।