यूक्रेन में फंसे बनारस के बेटे की वतन वापसी के लिए स्वजन परेशान, PM-CM से लगाई गुहार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए गए बेटे नजरुल हक की घर वापसी को लेकर स्वजन परेशान हैं। बेटा बार्डर पर फंसा हैं। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री से लगायत लखनऊ के सीएमओ को फैक्स कर वतन वापसी की गुहार लगाई हैं।
वाराणसी जिले के मिर्जामुराद थानांतर्गत कल्लीपुर गांव निवासी कोटेदार अब्दुल हक के चार पुत्रों में दूसरे नम्बर का बेटा नजरुल हक यूक्रेन के टर्नोपिल में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा हैं। हमले को देखते हुए वापसी हेतु 24 फरवरी का टिकट लिया था।एअरपोर्ट पहुंचने से पूर्व ही धमाका होने के कारण रास्ते से वापस हो गया। शनिवार की देररात स्वजनों से मोबाइल पर हुई बातचीत में बताया कि रोमैना बार्डर पर आकर फंसा हूं।
यहां नेटवर्क की समस्या के साथ ही तापमान भी काफी ठंड हैं। मोबाइल नेटवर्क न मिलने से रविवार को स्वजनों की उससे बातचीत नही हो सकी।स्वजनों ने बताया कि बेटे ने वाट्सएप मैसेज कर लखनऊ के सीएमओ आफिस को सभी प्रमाण पत्र भेजने का संदेश भेजा हैं। सीएमओ के यहां से कागजात जाने पर ही बार्डर पर एंट्री मिलेगी।स्वजनों ने सीएमओ के यहां भी कागजात फैक्स कर दिया।नजरुल के साथ वाराणसी के तीन अन्य छात्र भी बार्डर पर फंसे हुए हैं।
ब्रेड आलू खाकर छात्र बंकर में काट रहे दिन रात
यूक्रेन पर हमले के बाद वहां के माहौल में फंसे बच्चों के घर स्वजनों का खाना और सोना हराम हो गया। दहशत और आतंक के साये में रह रहे बच्चों की मां के आंसू नहीं रुक रहे हैं। यूक्रेन के सेंट्रल कीव में बंकर में फंसे 22 छात्र बिस्किट, ब्रेड आलू और पानी पर दिन रात काट रहे हैं। लंका क्षेत्र के भगवानपुर का रहनेवाला उत्तम चतुर्वेदी रविवार की सुबह वीडियो काल पर पिता बृजभूषण चतुर्वेदी और मां सविता से बात किया।
उत्तम ने अपने पिता को बताया कि वह अन्य साथियों के साथ 30 फिट नीचे बने बंकर में सुरक्षित है लेकिन लगातार गोली बारूद की गड़गड़ाहट से छात्र काफी दहशत में हैं जिन्हें परिवार के लोग हिम्मत दे रहे हैं। उत्तम ने बताया कि खाने की समस्या और पानी के लिए लोग परेशान होने लगे हैं। डर और दहशत के कारण बच्चे बंकर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं । पिता बृजभूषण ने बताया कि वीडियो काल पर इतना ज्यादा अंधेरा था कि चेहरा भी साफ नही दिख रहा था।बेटे की आवाज सुनकर खुद को संभाला लेकिन पत्नी फफक पड़ी।
बेटी चंद्रा की आवाज सुनने को तरस गए मां के कान, भगवान का स्मरण और प्रधानमंत्री से उम्मीद
यूक्रेन के हालात सुनकर वहां फंसी बेटी चंद्रा और उसको लेने के लिए बर्लिन में इतंजार कर रहे इकलौते बेटे वेंकटेश के लिए गुरुधाम की रहनेवाली विभा सोनी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।विभा ने बताया की दो दिन से बेटी के आवाज सुनने को कान तरस गए हैं। विभा ने बताया कि बेटे से बात हुई है उसने बताया कि जहां पर चंद्रा है वहीं से कुछ दूरी पर पंजाब के रहनेवाले परिवारों ने सोसाइटी बनाकर जगह जगह फंसे छात्रों को खाना और मदद पहुंचा रहे हैं।विभा ने सोसाइटी के लोगों को बंकर में फंसे छात्रों को खाने की सामग्री पहुंचाने के लिए बेटे से मैसेज कराया है। विभा ने कहा कि अब तो भगवान का ही सहारा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही बच्चों को सुरक्षित ला सकते हैं। चंद्रा को खाने की दिक्कत नहीं है लेकिन फोन से संपर्क नहीं हो रहा है इसलिए परिवार के लोग परेशान हैं।