Today Breaking News

मऊ से मुख्तार अंसारी की जगह बेटे को क्यों मिला टिकट? जानें सपा का गेम प्लान

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मऊ. यूपी विधानसभा चुनाव में गैंगस्टर से नेता बने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. मऊ विधानसभा सीट से मुख्तार अंसारी की बजाय उनके 29 वर्षीय बेटे अब्बास अंसारी को सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने अपना उम्मीदवार बनाया है. अब्बास अंसारी ने सपा-सुभासपा के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में सोमवार को अपना नामांकन भरा. पहले मुख्तार अंसारी के ही सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की खबर थी, मगर अचानक यूटर्न लेते हुए सुभासपा-सपा ने उनके बेटे अब्बास को टिकट दे दिया. माना जा रहा है कि ‘माफियायों की पार्टी’ वाले ब्रांड अथवा पार्टी को क्रिमिनल टैग से बचाने के लिए ही सपा ने यह दांव खेला है. वर्तमान में बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी मऊ के मौजूदा विधायक हैं.

दरअसल, मुख्तार अंसारी के जब से सपा-सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की खबर थी, तब से ही भाजपा हमलावर दिख रही धी. अपने चुनाव अभियानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने ‘अपराधियों को टिकट देने’ के लिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर लगातार निशाना साधा है. हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस आरोप का खंडन किया है और उन्होंने भाजपा पर इसी तरह का काउंटर आरोप लगाया.

1996 से मऊ सीट से पांच बार जीत चुकेमुख्तार अंसारी चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे. उनके वकील दरोगा सिंह ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि सांसदों/विधायकों की विशेष अदालत ने मुख्तार अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें जेल से नामांकन पत्र दाखिल करने की अनुमति दी थी. मुख्तार अंसारी के वकील ने मंगलवार को कहा था कि अब्बास को मैदान में उतारने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि उनके पिता मुख्तार अंसारी ‘बेटे को अपनी विरासत देना’ चाहते हैं.

हालांकि, सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अखिलेश यादव ने गैंगस्टरों की पार्टी होने के टैग से छुटकारा पाने के लिए आने वाले चुनावों में किसी भी विवादास्पद व्यक्ति को नहीं उतारने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के जाल में नहीं फंसने का अखिलेश जी का संकल्प रहा है. अगर मुख्तार, अतीक अहमद और इमरान मसूद ने चुनाव लड़ा होता, तो इससे भाजपा को मदद मिलती, क्योंकि अगर सपा उनकी सीटें जीत भी जाती, तो इससे पार्टी को अन्य सीटों पर बड़ा नुकसान होता.’ इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में इसका दावा किया.

मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाने वाले ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाले एसबीएसपी के टिकट पर अब्बास ने सोमवार को नामांकन दाखिल किया. सपा सूत्रों का कहना है कि हालांकि, राजभर ने अंसारी को मैदान में उतारने के लिए अखिलेश को मनाने की कोशिश की, लेकिन सपा प्रमुख ‘हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण’ से बचने के लिए सहमत नहीं हुए. मऊ में मुस्लिम और राजभर मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है और अब्बास के एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार होने के कारण सपा नेताओं को यहां “बड़ी जीत” की उम्मीद है. बसपा ने मऊ से अपनी यूपी इकाई के प्रमुख भीम राजभर को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने पहली बार चुनाव लड़ रहे अशोक सिंह को टिकट दिया है.

मुख्तार अंसारी गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने में हिस्ट्रीशीटर रहे हैं और उनके खिलाफ लखनऊ, गाजीपुर और मऊ समेत कई जिलों के विभिन्न थानों में 38 मामले दर्ज हैं. हालांकि, इनमें से ज्यादातर मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस ने यूपी पुलिस के हवाले से बताया कि ‘अंसारी के गिरोह’ के 96 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से 85 पर गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. उनके 72 सहयोगियों के शस्त्र लाइसेंस रद्द या निलंबित कर दिए गए हैं, जबकि पुलिस ने मुख्तार अंसारी और उनके सहयोगियों से जुड़ी 192 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त, कुर्क, मुक्त या ध्वस्त कर दिया है.

'