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मौर्य, पूर्वांचल और गोमतीनगर एक्सप्रेस में अब नहीं लगेंगे झटके, रेलवे ने की यह विशेष व्यवस्था

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. रेल यात्रियों के राहत भरी खबर है। अब उन्हें मौर्य, पूर्वांचल और गोमतीनगर एक्सप्रेस में भी झटके नहीं लगेंगे। सफर सुहाना तो होगा ही, दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इन ट्रेनों में अति आधुनिक लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड को सात जोड़ी रेक मंगाने का प्रस्ताव भेजा है।

परंपरागत की जगह लगेंगे अति आधुनिक एलएचबी कोच, पूर्वोत्तर रेलवे ने शुरू की तैयारी

जानकारों के अनुसार परंपरागत कोचों में चेन वाली कपलिंग लगती है, इससे यात्रियों को झटके लगते रहते हैं। दुर्घटना के समय नुकसान भी अधिक होता है। नए वाले कोचों में सेंटर बफर कपलिंग (सीबीसी) के चलते झटके नहीं लगते। दुर्घटना के समय बोगियां एक दूसरे पर नहीं चढ़तीं। क्षति कम होती है। बोगियों के अंदर पर्याप्त जगह मिलती है। गेट और टायलेट सुविधाजनक होते हैं।

यात्रियों को अतिरिक्त सुविधाएं मिलती हैं। बर्थ बढ़ने के साथ रेलवे की कमाई भी बढ़ जाती है। इन कोचों के रखरखाव में भी कम खर्च लगता है। पुराने कोचों की मरम्मत 3500 किमी पर होती है। नए कोच 4000 किमी चलने के बाद ही वाशिंग पिट में जाते हैं। फिलहाल, पूर्वोत्तर रेलवे के 33 जोड़ी ट्रेनों में एलएचबी कोच लग रहे हैं। आने वाले दिनों में सभी एक्सप्रेस ट्रेनों में लगाने की योजना है। वैसे भी भारतीय रेलवे स्तर पर सिर्फ एलएचबी कोचों का ही निर्माण हो रहा है। पुराने परंपरागत कोच बनने बंद हो गए हैं।

सभी ट्रेनों से पुराने कोच हट जाएंगे

आने वाले दिनों में 10 से 20 वर्ष के परंपरागत कोच सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाड़ी) में ही लगाए जाएंगे। धीरे-धीरे सभी ट्रेनों से परंपरागत पुराने कोच हट जाएंगे। 20 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कोचों को कबाड़ घोषित कर दिया जा रहा है। इन कोचों को परिवर्तित कर न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन (एनएमजी) बनाए जा रहे हैं। जिनका उपयोग आटोमोबाइल्स की ढुलाई में किया जा रहा है।

यांत्रिक कारखाना में शेड बनाने के लिए मिले 74 लाख

यांत्रिक कारखाना गोरखपुर में एलएचबी कोच की मरम्मत के लिए आधुनिक शेड का निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 के आम बजट में शेड निर्माण के लिए लगभग 74 लाख रुपये मिले हैं। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। निर्माण पूरा होते ही बड़ी संख्या में एलएचबी कोचों की मरम्मत होने लगेगी।

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