वाराणसी में पूर्व बड़ागांव थानाध्यक्ष महेश पांडेय के खिलाफ मानवाधिकार हनन का मुकदमा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. पूर्व बड़ागांव थानाध्यक्ष महेश पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उनके ऊपर करीब ढाई साल पहले एक मामले में मुकदमा दर्ज नहीं करने और लापरवाही बरतने का आरोप है। परेशान पीड़ित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में उनके खिलाफ शिकायत की थी। आरोप सही मिलने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एसपी ग्रामीण को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। आदेश में क्रम में पूर्व थानाध्यक्ष के खिलाफ बड़ागांव थाने में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू हो गई है। मामला एक किशोरी के गायब होने का है।
बड़ागांव थाना क्षेत्र के रायपुर अनेई गांव के दलित परिवार की एक किशोरी परसादपुर निवासी अपने रिश्तेदार के यहां रहती थी। 10 जून-2019 को किशोरी अचानक गायब हो गई थी। इसकी जानकारी होते ही किशोरी के पिता मुंबई से अपने गांव रायपुर अनेई आए और 12 जून-2019 को बड़ागांव थाने में शिकायत दर्ज कराने गए। बड़ागांव थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष महेश पांडेय ने तहरीर तो लिया लेकिन किशोरी के गायब होने को लेकर मुकदमा दर्ज नहीं किया और कहा कि वह किसी लड़के के साथ कहीं चली गई होगी। जाइए खुद तलाश करिए, पुलिस आपकी कोई मदद नहीं कर सकती है।
किशोरी के पिता वापस मुंबई लौट गए और अपने संगे-संबंधियों समेत अन्य स्थानों पर तलाश की लेकिन कहीं पता नहीं चला। परेशान होकर 26 जून- 2019 को बड़ागांव थाने पहुंचे। तब जाकर बड़ागांव थाने में आरोपित गुफरान के खिलाफ अपहरण सहित कई आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया। तत्कालीन थानाध्यक्ष महेश पांडेय के व्यवहार से दुखी होकर किशोरी के पिता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में गुहार लगाई थी। जांच में यह सामने आया कि महेश पांडेय ने किशोरी के पिता की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज करने में लापरवाही बरती और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने किशोरी को बरामद करने और अपहरण के आरोपित को गिरफ्तार करने में रुचि नहीं दिखाई।
जांच में दोष उजागर होने पर उत्तर प्रदेश अपराध अनुसंधान शाखा के निरीक्षक चंद्रिका राम की तहरीर पर थानाध्यक्ष महेश पांडेय के खिलाफ बड़ागांव थाने में भारतीय दंड संहिता और एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। बड़ागांव पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। मुकदमा दर्ज होने से पुलिस कर्मियों में अफरा-तफरी मची है।