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बनारस में घाट किनारे गंगा का पानी हुआ काला, तकनीकी टीम जांच कर देगी रिपोर्ट

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. गंगा के निर्मलीकरण को लेकर सरकार की ओर से संकल्प दिखाया जा रहा है लेकिन स्थानीय स्तर पर लापरवाही बरकरार है। इसका ही खामियाजा गंगा प्रदूषण के रूप में सामने आ रहा है। मणिकर्णिका घाट से राजघाट की ओर शुक्रवार को गंगा का पानी किनारे की ओर काला नजर आया। इसे देख स्थानीय लोग हैरान रह गए। किसी ने कहा कि यह सीवेज के कारण हुआ है तो किसी ने महाश्मशान से निकली राख को जिम्मेदार बताया।

हालांकि, देर शाम तक बहस के बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका कि गंगा का किनारा कैसे काला हो गया। मणिकर्णिका घाट, ङ्क्षसधिया घाट, बालाजी घाट, रामघाट, गंगा महल घाट से किनारे गंगा का पानी काला देखा गया। सबसे अधिक काला पानी गंगा महल घाट के पास था। इस बाबत जल निगम के गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक एसके रंजन ने कहा कि फिलहाल, गंगा में पक्के घाट की ओर से कोई सीवेज नहीं जा रहा है। जलासेन घाट का पंप भी मुकम्मल तौर पर चल रहा है। 

तकनीकी जानकारी साझा की। कहा कि यदि पंप बंद हो जाता है तो सीवेज बैक फ्लो करता है। 24 घंटे सातों दिन पंप कर सीवेज को दीनापुर स्थित एसटीपी तक भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि गंगा का पानी काला हुआ है तो कोई दूसरा कारण हो सकता है। दूसरी ओर घाट किनारे कुछ जानकार लोगों का कहना है कि बहाव कम होने से किनारे की गंदगी, महाश्मशान घाट से निकली राख बह नहीं रही है। 

बहाव कम होने का कारण श्रीकाशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए ललिता घाट पर बनाया गया प्लेटफार्म है जिसे किनारे गंगा में घुस कर बनाया गया है। इससे किनारे की ओर बहाव कम हुआ है। इससे राख व अन्य गंदगी के कारण गंगा का पानी काला नजर आ रहा है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शहर की सीवर लाइन गंगा की ओर आती है। बहुत सी ऐसी लाइनें जो अब भी बंद नहीं हुई हैं, जिसके चलते गंदगी गंगा में जा रही है। बहाव कम होने से किनारे काला पानी नजर आ रहा है।

काले पानी की कराएं जांच

परियोजना प्रबंधक एसके रंजन ने कहा कि यदि गंगा का पानी किनारे की ओर काला हो गया है तो उसकी तकनीकी टीम भेजकर जांच कराएंगे। इसके बाद स्पष्ट हो सकेगा कि पानी काला क्यों हुआ है।

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