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क्या यूपी में बाहुबली नेताओं के दिन लद गए, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद चुनाव से आउट

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. एक दौर था जब यूपी की सियासत में बाहुबली नेताओं का बोलबाला हुआ करता था. लेकिन अब शायद समय के साथ राजनीति का रूप भी बदलाव की ओर है. अगर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की ही बात करें तो इस बार भाजपा कार्यकाल में योगी सरकार के निशाने पर रहे उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी खुद की जगह बेटे को समाजवादी गठबंधन से प्रत्याशी बना रहे हैं तो गुजरात जेल में बंद अतीक अहमद ने परिवार समेत चुनाव से दूरी बना ली है जबकि ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी ने उनकी पत्नी को बतौर उम्मीदवार चुनावी रणभूमि में उतार दिया था. ऐसे में सवाल ये है कि क्या यूपी में बाहुबली नेताओं के दिन लद गए हैं ?

पहले बात करते हैं कि मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी की जो करीब तीन दशकों के लंबे समय के बाद पहली बार चुनावी मैदान में नहीं होंगे. इस बार उन्हें अखिलेश यादव के गठबंधन साथी ओपी राजभर ने अपनी पार्टी सुहेलदेव समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था लेकिन उन्होंने अपनी सीट बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी. सपा गठबंधन से ही अब्बास अंसारी ने मऊ सदर सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया.

इससे पहले उनके पिता मुख्तार अंसारी इस सीट से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं लेकिन इस बार मुख्तार की राजनीतिक विरासत बेटे अब्बास के हाथ में है. अब हार जीत तो जनता तय करेगी लेकिन खुद मुख्तार ने चुनाव से आउट होकर संदेश दे दिया है कि अब वे राजनीति में शायद फिर कभी कदम नहीं रखेंगे.

अतीक अहमद तो परिवार को भी राजनीति में अब नहीं चाहते

बात करें बाहुबली अतीक अहमद की तो सालों तक पूर्वांचल की राजनीति पर मजबूत पकड़ रखने वाले अतीक अब खुद क्या परिवार के किसी सदस्य को भी चुनाव में उतारना नहीं चाहते. अतीक अहमद उन बाहुबली नेताओं में से एक हैं जो भाजपा कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ सरकार के निशाने पर रहे. फिलहाल अतीक अहमद गुजरात की जेल में बंद हैं लेकिन उनकी राजनीति बाहर आज भी जमी हुई थी.

इस बार भी प्रयागराज वेस्ट से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को उम्मीदवार भी बनाया था लेकिन नामांकन के अंतिम दिन तक उनकी ओर से पर्चा ही नहीं दाखिल किया गया. जबकि साल 1989 से साल 2017 तक अतीक अहमद और उनके परिवार के लोग प्रयागराज से चुनाव लड़ते रहे हैं. तीन दशकों में यह पहली बार है जब ना अतीक अहमद और ना ही उनके परिवार का कोई मेंबर चुनाव में उतर रहा है.

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