Today Breaking News

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्था देखने पहुंचे मुख्य सचिव, बीएचयू में संगोष्‍ठी में हुए शामिल

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्था देखने और शिवरात्रि की तैयारी को लेकर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा गुरुवार की रात बनारस पहुंच चुके हैं। शुक्रवार को दोपहर में पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल भी बनारस पहुंचे। दोनों अधिकारी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का निरीक्षण करने के साथ सुरक्षा को लेकर स्थानीय अधिकारियों से चर्चा करेेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का विस्तार होने के साथ सुरक्षा व्यवस्था नए सिरे से होनी है। इसको लेकर भी नए सुरक्षा प्वाइंट और मजबूत करने को लेकर रणनीति बनेगी। एक दिन पहले गुरुवार को पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने अपने कैंप कार्यालय में अधीनस्थों संग बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की थी।

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशी में श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हो गई है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर सभी खुफिया एजेंसी और सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है। शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु जलाभिषेक करने के साथ पंचकोस यात्रा करते हैं। एक मार्च को शिवरात्रि को देखते हुए मुख्य सचिव और डीजीपी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्था परखने के साथ दिशा-निर्देश देंगे। गत बुधवार को गंगा द्वार खुलने के साथ नाव से श्रद्धालु श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करने पहुंचने लगे हैं, इसको देखते भी सुरक्षा के इंतजाम किए जाने हैं। 

गंगा द्वार की प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं की किन-किन प्वाइंट पर जांच की जाएगी, कहां-कहां सुरक्षा कर्मी तैनात किए जाएंगे। कहां सिविल पुलिस, सीआरपीएफ और कमांडों तैनात होंगे इसको लेकर भी चर्चा होगी। जिला प्रशासन और श्रीकाशी विश्वनाथ धाम प्रशासन से भी सुरक्षा को लेकर चर्चा की जाएगी। पहले की अपेक्षा नया क्या है और श्रद्धालुओं को किस तरह की परेशानी हो रही है और क्या सुविधा मिल रही है। आगे और क्या बेहतर किया जाए जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो। हालांकि, खिड़किया, राजघाट और अस्सी घाट से श्रद्धालु नाव के जरिए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचेंगे। तीनों स्थानों पर जल पुलिस के अलावा पिकेट पुलिस लगाने की तैयारी है।

बीएचयू में जन-जागरूकता अभियान के लिए संगोष्ठी : आयुर्वेद संकाय, बीएचयू की ओर से विज्ञान संस्थान के महामना सेमिनार कांप्लेक्स में गिलोय जन-जागरुकता अभियान के तहत स्वास्थ्य संवर्धन संगोष्ठी शुरू की गई। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने किया। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में औषधीय पौधों के हितग्राहियों, अौषधीय पौधों के कृषिकरण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। दावा किया गया है कि वाराणसी व मीरजापुर मंडल में दो लाख गिलोय के पौधों का वितरण किया गया है। इसमें किसानों, समाजिक कार्यकर्ताओं, एफपीओ, एनजीओ को प्रशिक्षण देते हुए औषधीय पौधों का वितरण भी किया गया। आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों के द्वारा दी जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों को प्रत्येक रोगाधिकार को प्रोफार्मा पर भर कर एक वृहत डेटा बैंक तैयार किया जाएगा।

कार्यक्रम में कोविड से बचाव के दृष्टिकोण से सबसे पहले आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट शिरीषादी काढ़ा को देने की बात की गई। कहा कि आयुर्वेद में आहार को महाऔषधी कहा गया है इसलिए भोजन की व्यवस्था आयुर्वेद के विधि-विधान से क्रमवार रखा गया है। विशेषज्ञों ने बताया कि अश्वगंधा, जो विशेष रूप से शारीरिक बल बढ़ाने के लिए है। वहीं तुलसी से भूताग्नि, विषम ज्वर नाशक व श्वांस-खांसी से बचाव होता है। 

शंखपुष्पी से बुद्धि मेधा वर्धक व गिलोय से अमृत के समान गुणकारी औषधियों के बारे में बताया गया। राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, 14 औषधीय फूलों की खेती, औषधीय निर्माण एवं जन-मानस में जागरूकता के लिए बीएचयू में एक केंद्र के रूप में शुरुआत किए जाने पर विचार किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से हाल ही में कोविड के नियमों में दी गई छूट के तहत लोगों को बचाव के लिए खाने एवं पांचों पौधों के उपयोग के लिए जानकारी दी गई। 

ताकि भविष्य में कोविड जैसी अन्य महामारियों के प्रकोप से बचाव हो सके। मालूम हो कि आयुर्वेद संकाय के 100 वर्ष पूर्ण कर रहा है। ऐसे में इस संकाय के द्वारा बनाए गए विचारों को सरकार के पास भेजा जाएगा। इस मौके पर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर सुधीर के जैन, रेक्टर प्रोफेसर पीके शुक्ला, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बीआर मित्तल, आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख यामिनी भूषण त्रिपाठी, प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय, प्रोफेसर शिवजी गुप्ता, प्रोफेसर नीलम गुप्ता आदि मौजूद थे।

'