मुख्तार अंसारी की जगह बेटे अब्बास को टिकट के पीछे की समझें रणनीति
गाजीपुर न्यूज़ टीम, मऊ. जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी परंपरागत सीट मऊ सदर से उनके बेटे अब्बास अंसारी ने सपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सोमवार को नामांकन दाखिल किया। मुख्तार अंसारी वर्ष 1996 से लगातार पांच बार से इस सीट से विधायक रहे हैं। इस बार बीजेपी ने मऊ सदर से अशोक सिंह को, बसपा ने भीम राजभर को और कांग्रेस ने माधवेंद्र बहादुर सिंह को उतारा है।
अब्बास 2017 के विधानसभा चुनाव में घोसी से बसपा के टिकट पर किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें बीजेपी के फागू चौहान से हार का सामना करना पड़ा था। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से पर्चा दाखिल करने के बाद अब्बास ने मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने के कारणों पर पूछे जाने पर कहा, "देश में आज लोकतंत्र खतरे में है। साजिश रची जा रही थी, जिसकी वजह से मेरे पिता नामांकन नहीं दाखिल कर पाए। ऐसी स्थिति में मेरे पिता ने मुझे विरासत सौंपी है और मैं इसे आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोडूंगा।"
अब्बास भले ही अपने पिता के चुनाव नहीं लड़ने के लिए इशारों-इशारों में प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी की घेरेबंदी से बचने के लिए सपा गठबंधन ने यह रास्ता निकाला है। भाजपा मुख्तार अंसारी को लेकर लगातार सपा पर हमलावर है। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से लेकर सीएम योगी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाषणों में माफिया और गुंडाराज को लेकर सपा को घेर रहे हैं। बीजेपी के आक्रामक रुख को देखते हुए मुख्तार की जगह उनके बेटे अब्बास को उतारने का फैसला माना जा रहा है।
सपा को आशंका है कि मुख्तार अंसारी के उसके गठबंधन से उतरने पर बीजेपी और ज्यादा आक्रामक होगी और इसी को बड़ा मुद्दा बना सकती है। यही नहीं, सपा को इस बात की भी आशंका है कि मुख्तार को मुद्दा बनाने से हिन्दू-मुसलमान वाला एजेंडा भी हावी हो सकता है, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
अनुराग ठाकुर ने क्या कहा था
दूसरे चरण के चुनाव से पहले बरेली पहुंचे केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि सपा को पहले चरण में ही नाहिद हसन की याद आ गई। पांचवें और छठे चरण तक सपा अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी को भी याद करेगी। समाजवादी पार्टी के साथ जाने का मतलब अपराधियों का साथ देना है।
भाजपा ने मऊ सदर सीट से इस बार मन्ना सिंह के चचेरे भाई अशोक सिंह को मैदान में उतारा है। ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की 2009 में एके-47 से गोलियां बरसा कर हत्या कर दी गई थी। इसमें विधायक मुख्तार अंसारी समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। हालांकि बाद में गवाह के मुकर जाने से मुख्तार बरी हो गए थे।
पहले कहा गया था कि अब्बास और मुख्तार दोनों की तरफ से नामांकन किया जाएगा। इस सवाल पर अब्बास ने कहा कि बाप-बेटे में क्या अंतर है, हमने आज नामांकन दाखिल कर दिया है। अब पिता नामांकन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मेरी जन्मभूमि थी, अब कर्मभूमि भी होगी।
मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने के लिए शासन-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए अब्बास ने कहा, "हर कदम पर अवरोध डाले जा रहे हैं। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी इलाज नहीं होन रहा है। सत्ता और सरकार के लोग प्रताड़ित करके उनका मनोबल तोड़ना चाहते हैं लेकिन हमारे साथ आवाम है।"