मार्च तक पूरा हो जाएगा भटनी-पिवकोल बाइपास रेलमार्ग, छपरा-वाराणसी मार्ग पर ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. भटनी में अब छपरा-वाराणसी रूट पर चलने वाली ट्रेनों के इंजन की दिशा नहीं बदलनी पड़ेगी। क्षमता के साथ छपरा-वाराणसी मार्ग पर ट्रेनों की संख्या तो बढ़ेगी ही समय की भी बचत होगी। मैन पावर के साथ रेलवे के खर्चों में भी कमी आएगी। भटनी-पिवकोल बाइपास रेलमार्ग निर्धारित समय मार्च 2022 तक पूरा हो जाएगा। इसके लिए वर्ष 2022-23 के बजट में और पांच करोड़ रुपये मिले हैं।
भटनी-पिवकोल बाइपास रेलमार्ग के लिए मिले पांच करोड़
जानकारों के अनुसार भटनी-औड़िहार दोहरीकरण पूरा होने के बाद ही नया बाइपास रेलमार्ग खुल पाएगा। दोहरीकरण के लिए भी बजट में 350 करोड़ रुपये का प्रावधान है। ऐसे में इस कार्य में भी तेजी आएगी। दोनों निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भटनी और पिवकोल स्टेशन पर नान इंटरलाकिंग होगी। वैसे भी 41 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे लगभग सात किमी भटनी- पिवकोल बाइपास रेलमार्ग का कार्य अंतिम चरण में है। बजट मिल जाने से कार्य में और तेजी आएगी।
यह रेल लाइन भटनी से एकडंगा, साहोपार, महदेवा, चांदपार, सोनरापार, मिश्रौली से होते हुए पिवकोल के बीच बिछ रही है। इस मार्ग पर कुल चार पुल हैं, जिसमें तीन छोटे (अंडरपास) और एक बड़ा पुल शामिल हैं। भटनी से पिवकोचल के बीच बाइपास मार्ग मुख्य रेलमार्ग से दो किमी अधिक होगा, लेकिन ट्रेनों का संचालन दुरुस्त हो जाएगा।
बदलनी नहीं पड़ेगी छपरा-वाराणसी रूट पर चलने वाली ट्रेनों के इंजन की दिशा, आसान होगी राह
यहां जान लें कि भटनी से पीवकोल और सलेमपुर के रास्ते वाराणसी जाने के लिए रेल लाइन तो है। लेकिन बिहार से आने वाली ट्रेनों के लिए यह रेललाइन सीधी नहीं है। भटनी पहुंचने वाली ट्रेनों के इंजन को रेक के आगे या पीछे करना पड़ता है। इंजन को बदलने में ही अतिरिक्त समय लग जाता है। जबकि ट्रेनों का ठहराव दो से पांच मिनट का ही होता है। ऐसे में जब बाइपास लाइन बन जाएगी तो इन ट्रेनों के ठहराव समय में लगभग आधे घंटे की बचत होगी।
बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रेलमार्ग की बदली जाएंगी पटरियां
आम बजट में पूर्वोत्तर रेलवे को पर्याप्त धन मिला है। निर्माण कार्यों, संरक्षा, यात्री सुविधाओं और रेल लाइनो के लिए पिछले साल के सापेक्ष 41 प्रतिशत अधिक धन मिला है। जिसमें सिर्फ संरक्षा को मजबूत करने के लिए ही 48 प्रतिशत अधिक बजट है। इस वर्ष ट्रैक रिन्यूवल के लिए 370 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि पिछले साल 250 करोड़ ही रुपये मिले थे। इस धन से गोरखपुर-बाराबंकी, गोरखपुर-छपरा और गोरखपुर कैंट-पनियहवा रेलमार्ग के अलावा लूप लाइनों (साइड वाली रेल लाइनों) की पटरियां बदली जाएंगी। 52 की जगह 60 किलोग्राम की रेल लाइनें व चौड़े व मजबूत स्लीपर लगाए जाएंगे।