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CM योगी के गढ़ में बीजेपी को इतिहास दोहराने की चुनौती, विपक्ष पलटवार की तैयारी में

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. राजधानी भले लखनऊ हो, लेकिन पांच वर्ष तक सत्ता का केंद्र रहा पूर्वांचल का गोरखपुर और बस्ती मंडल 2022 विधानसभा के महासमर में नये तेवर और कलेवर संग उतरेंगे। अपना दल और सुभासपा के साथ मिलकर 2017 में विपक्षी दलों का लगभग सफाया करने वाली भाजपा इस बार अपनी झोली में सभी सीटें समेटने की तैयारी में है तो सपा, बसपा और कांग्रेस पूरी तरह पलटवार की। आम आदमी पार्टी भी खम ठोंक रही। भाजपा विकास के मुद्दे पर मैदान में है तो विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी और सस्ती बिजली को लेकर।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की झोली में आई थी बस्ती मंडल की सभी सीटें

दल कोई भी हो, पूर्वांचल के इस क्षेत्र में लड़ाई कभी आसान नहीं रही। 2017 के पहले यहां के मतदाता लहर के साथ बहे तो, लेकिन सीटों का बंटवारा करके। किसी को एकमुश्त नहीं जिताया। 2012 में सपा को 19 और 2007 में बसपा को 18 सीटें ही दीं। 2017 विधानसभा चुनाव ऐसा रहा, जब 41 में 37 सीटें भाजपा गठबंधन के हिस्से आईं। तब बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीर नगर की सभी 13 और गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज व कुशीनगर की 28 में 24 सीटें भाजपा ने जीतीं।

ऐसे में इस चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा ही दांव पर है। उसके सामने यह साबित करने की चुनौती है कि सरकार के रूप में वह सबका प्रिय बनी और पूर्वांचल उसका गढ़ हो गया है। वहीं, 2012 में देवरिया के साथ बस्ती मंडल के जिलों में परचम बुलंद करने वाली समाजवादी पार्टी को मतदाताओं के सामने साबित करना होगा कि उसने बेहतर विपक्ष की भूमिका निभाई है। कांग्रेस और बसपा कितनी चुनौती देंगे, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन यह जरूर है कि सभी अपने पुराने दिन पाने की कोशिश में जुटे हैैं।

काडर-चेहरा सबके लिए चुनौती

यूं तो हर पार्टी को अपने काडर वोट पर भरोसा होता है, लेकिन 2017 के चुनाव में विश्वास टूटा भी है। काडर वोट बचाना चुनौती तो होगी ही, दलों के सामने चेहरे भी चुनौती रहेंगे। भाजपा कुछ विधायकों के टिकट काट सकती है। वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस कुछ सीटों पर नये चेहरे उतार सकती है।

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