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बड़े दावे खूब किए अब परिणाम देने की चुनौती छोटे दलों के सामने

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पिछले छह महीने से भाजपा व अन्य गठबंधन से जुड़े छोटे दलों के बड़े-बड़े दावों की परीक्षा की घड़ी आ गई है। जातीय मतों के हवाले से बड़े दलों का साथ पाने वाले इन दलों के सामने दल और गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में बिरादरी को एकजुट खड़ा करने की बड़ी चुनौती है। प्रदर्शन के आधार पर ही इन दलों के नेताओं की राजनीति की दशा-दिशा तय होगी। इन दलों के प्रभाव व प्रदर्शन पर गठबंधन के प्रमुख दलों की नजरें भी लगी हैं। प्रदर्शन के आधार पर ही इन दलों के नेताओं को सरकार में समायोजित होने का मौका मिलेगा। 

148 सीटों पर असर का दावा है अद (एस) का

जातीय मतों में पैठ के कारण ही 2014 आम चुनाव से ही अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (सोनेलाल) भाजपा का हिस्सा है। गठबंधन राजनीति के बाद इस दल के पास  9 विधायक, दो सांसद व एक एमएलसी हैं। अनुप्रिया पटेल खुद केंद्र सरकार में राज्यमंत्री के पद पर हैं। इनकी पार्टी का दावा है कि प्रदेश की 148 सीटें ऐसी हैं, जहां पर स्वजातीय वोटर चुनाव में नतीजे तय करते हैं। इनमें से भी 89 सीटें ऐसी हैं, जहां कुर्मी मतदाताओं की संख्या 60 हजार से अधिक है। पूर्वांचल, बुंदेलखंड व मध्य यूपी में इस दल ने अपना मजबूत नेटवर्क तैयार कर रखा है। इस दल का दावा है कि राज्य में कुर्मी मतदाताओं की तादाद 12 फीसदी के बीच है।

163 पर असर, 62 पर पूरी पकड़ का दावा सुभासपा का

ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा इस चुनाव में सपा के साथ है। प्रदेश के राजभर मतों में इस दल की मजबूत पैठ मानी जा रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन में रहने पर इस दल से चार विधायक चुने गए थे। वर्ष 2019 आमचुनाव से ठीक पहले भाजपा से अलग होने के बाद राजभर ने पूर्वांचल की कई सीटों पर प्रत्याशी उतारे। कई सीटों पर इस दल के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। इस दल के नेता राजभर बिरादरी की संख्या 4 फीसदी होने का दावा करते हैं। इसके अलावा अर्कवंशी और कई अन्य छोटी जातियों को अपने से जोड़ कर अपनी ताकत को बताने का काम करते हैं। करीब 163 सीटों पर प्रभाव का दावा करते हैं। इनमें से 62 सीटें ऐसी बताते हैं, जहां पर राजभर 35 से 90 हजार के बीच हैं।

70 सीटों पर परिणाम देने का दावा निषाद पार्टी का

डॉ. संजय निषाद की पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में आई है। डॉ. संजय निषाद भी राज्य के मझवारा बिरादरी को एकजुट करने का दावा करते हैं। लंबे समय से इस बिरादरी के आरक्षण की लड़ाई राज्य में लड़ रहे हैं। इनका दावा है कि प्रदेश में मछुआ बाहुल्य 165 सीटें हैं, जिनमें से 70 सीटें ऐसी हैं जहां पर यह बिरादरी निर्णायक है। डॉ. संजय निषाद इस बिरादरी की तादाद 10.05 फीसदी होने का दावा करते हैं।

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