आवारा घूम रहे पशुओं से छुटकारे के लिए उप्र सरकार का बड़ा आदेश, 10 जनवरी तक सभी पहुंचेंगे आश्रय स्थल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आवारा घूम रहे पशुओं को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। गांवों और शहरों के साथ ही आसपास घूमने वाले निराश्रित पशुओं को आश्रय मिलने जा रहा है। प्रदेश के चार लाख निराश्रित पशुओं को हर हाल में 10 जनवरी तक आश्रय स्थलों में पहुंचाने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। हर ग्राम पंचायत में कम से कम दस पशुओं को आश्रय दिलाने और शहरों में घूम रहे शत प्रतिशत पशुओं को पकड़ने का आदेश दिया गया है।
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग की ओर से सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को इस संबंध में पत्र भेजा गया है, इसमें लिखा है कि गोवंशीय का संरक्षण व भरण-पोषण सरकार की प्राथमिकता है। जिलों में स्थापित अस्थायी आश्रय स्थलों में संरक्षित करने के लिए दो जनवरी 2019 को व्यापक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अब तक सात लाख 80 निराश्रितों को संरक्षित किया जा चुका है, किंतु अब भी करीब चार लाख पशु इधर-उधर भटक रहे हैं। इससे किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाने की आशंका के साथ ही सड़क व रेल मार्गों पर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। शीतलहर का प्रकोप शुरू है ऐसे में अभियान के तहत उन्हें संरक्षित किया जाए।
निर्देश है कि दस जनवरी तक विशेष अभियान चलाकर निकट के स्थायी या अस्थायी आश्रय स्थलों में पशुओं को भेजा जाए। हर ग्राम पंचायत को कम से कम दस पशु संरक्षित करने का लक्ष्य दिया जाए, साथ ही उस गांव के आसपास निराश्रित पशु मुक्त हो गया है। इसी तरह से नगरीय क्षेत्रों में शत प्रतिशत पशुओं को आश्रय स्थल भिजवाया जाए। ऐसी ग्राम सभा जो निराश्रित पशुओं से मुक्त होगी उसे प्रशस्तिपत्र डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के बाद की जाएगी। उस गांव को पशुपालन की ओर से केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से आच्छादित किया जाएगा। जिलास्तर पर सभी विभागों से समन्वय बनाकर अन्य योजनाएं भी लागू कराई जाएंगी। इस कार्य में जनप्रतिनिधियों, समाजसेवी संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा। अभियान के संचालन के लिए खंड विकास अधिकारी या तहसीलदार को नोडल अधिकारी नामित किया जाए।
ग्राम पंचायतों व नगरीय निकायों को देना होगा प्रमाणपत्र : अभियान के अंत में 11 जनवरी को सभी ग्राम पंचायतों व नगरीय निकायों को इस आशय का प्रमाणपत्र देना होगा कि हर गांव सभा की ओर से निराश्रित गोवंशीयों को सहभागिता योजना के तहत संरक्षित किया जा चुका है। निराश्रितों को पकड़ने के लिए स्थानीय निकायों या संस्थाओं को तकनीकी सहयोग दिया जाएगा। उनकी टैगिंग व बधियाकरण का अनिवार्य रूप से हो। पशुपालन विभाग की ओर से संरक्षित पशुओं की चिकित्सा व्यवस्था कराई जाए। गोआश्रय स्थलों पर हरे चारे की उपलब्धता के लिए तकनीकी परामर्श दिया जाएगा। साथ ही चारा बीज की उपलब्धता मनरेगा आदि योजनाओं से दिलाई जाएगी।