अब टाटा की हुई एयर इंडिया, पहले दिन यात्रियों को मिली यह सुविधा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. टाटा समूह ने 68 साल बाद सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया का स्वामित्व हासिल कर लिया। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले टाटा समूह ने घाटे में चल रही एयरलाइन एयर इंडिया का अधिग्रहण कर कई साल से इसकी बिक्री के लिए किए जा रहे असफल प्रयासों पर विराम लगा दिया है। सरकार ने दो दशकों से अधिक समय और तीन प्रयासों के बाद आखिरकार अपनी प्रमुख राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेच दिया। एयर इंडिया अब अपने संस्थापक टाटा समूह के पास लौट गयी है।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि एयर इंडिया का प्रभार रणनीतिक साझेदार की अगुवाई वाले नए निदेशक मंडल ने ले लिया है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश लेनदेन आज पूरा हो गया है, जिसमें सरकार को रणनीतिक साझेदार (मैसर्स टैलेस प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी) से 2,700 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
एयर इंडिया और एआईएक्सएल के 15,300 रुपये के कर्ज के दायित्व समेत एयर इंडिया के शेयर (एयर इंडिया और इसकी अनुषंगी एआईएक्सएल के 100 प्रतिशत शेयर और एआईएसएटीएस के 50 प्रतिशत शेयर) को रणनीतिक भागीदार को स्थानांतरित किए गए है। एयर इंडिया की संस्थापक टाटा समूह के लिए फिर से इसकी उड़ान में कम चुनौतियां नहीं है। मौजूदा समय में देश में कई विमानन कंपनियां जिनसे एयर एयर इंडिया को होड़ लेनी होगी और फिर से साबित करना होगा।
पीएम से हुई मुलाकात
इस अधिग्रहण के आधिकारित तौर पर पूरा होने के पहले एन. चंद्रशेखरन ने गुरुवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। बाद में उन्होंने एयर इंडिया के मुख्यालय का दौरा भी किया। चंद्रशेखरन ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद एयर इंडिया पर सरकार के फैसले के साथ देश की आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार के सुधारों की सराहना की।
एसबीआई कंसोर्टियम से मिलेगा कर्ज
भारतीय स्टेट बैंक यानि एसबीआई के नेतृत्व में कर्ज देने वालों का एक संघ घाटे में चल रही एयर इंडिया के सुचारु परिचालन के लिए टाटा समूह को ऋण प्रदान करने पर सहमत हो गया है। जानकारी के मुताबिक ये संघ कंपनी की जरूरतों के मुताबिक निश्चित अवधि और कार्यशील पूंजी ऋण दोनों देने पर सहमत हो गया है।
राह नहीं आसान
23 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज चुकाना है टाटा को एयर इंडिया का
11 फीसदी रह गई है घरेलू विमानन बाजार में एयर इंडिया की हिस्सेदारी घटकर
बाजार में कौन आगे
48 फीसदी हिस्सेदारी के साथ इंडिगो सबसे बड़ी घरेलू विमानन कंपनी
16 फीसदी हिस्सेदारी के साथ स्पाइसजेट दूसरी सबसे बड़ी कंपनी
11 फीसदी हिस्सेदारी के साथ एयर इंडिया और गोएयर तीसरे स्थान पर
07 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय बाजार में एयर एशिया इंडिया की
06 फीसदी हिस्सेदारी विस्तारा एयरलाइंस की भारतीय बाजार में
01 फीसदी हिस्सेदारी अन्य कंपनियों की भारतीय बाजार में
एक झटके में टाटा का 24 फीसदी बाजार पर कब्जा
मौजूदा समय में एयर इंडिया की भारतीय बाजार में भले ही हिस्सेदारी घटकर 11 फीसदी रह गई है लेकिन टाटा समूह के पास जाते ही इसने टाटा समूह को भारतीय विमानन बाजार में 24 फीसदी हिस्सेदारी पर कब्जा दिला दिया है। विमानन क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस की संयुक्त हिस्सेदारी वाली विस्तारा एयरलाइंस का छह फीसदी बाजार पर कब्जा है। जबकि, टाटा की भागीदारी वाली सस्ती एयरलाइंस एयर एशिया इंडिया की सात फीसदी हिस्सेदारी है। इस तरह टाटा समूह एक झटके में भारतीय विमानन में 24 फीसदी बाजार पर काबिज हो गया है।
पहले दिन से ही बेहतर भोजन सेवा शुरू की
टाटा समूह ने एयर इंडिया की कमान संभालने के साथ ही ऑपरेशन में बदलाव शुरू कर दिया है। पहले दिन टाटा समूह ने एयर इंडिया की मुंबई से चार उड़ानें शुरू कीं। इन चार फ्लाइट्स में उन्नत भोजन सेवा शुरू की गई। शुक्रवार को कई अन्य फ्लाइट्स में यह सेवा शुरू की जाएगी। इसके पहले ज्यादातर घरेलू एयरलाइन ने खर्च घटाने को लेकर खान-पान सेवा में कटौती करती रहती हैं।
विमानन बाजार में बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी
एयरलाइन के लिए सफल बोली लगाने वाली कंपनी को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग एवं पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशी हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण हासिल होगा। इसके अलावा, कंपनी को एयरलाइन की कम लागत वाली सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100 प्रतिशत और एआईएसएटीएस का 50 प्रतिशत स्वामित्व मिल गया।
किसने क्या कहा?
टाटा समूह में एयर इंडिया को वापस पाकर हम काफी रोमांचित हैं। हम इसे विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने को प्रतिबद्ध हैं। टाटा समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुधारों को लेकर प्रतिबद्धता और भारत की उद्यमी भावना में भरोसे से पूरी तरह वाकिफ है।- एन चंद्रशेखरन, टाटा संस के चेयरमैन
यह वास्तव में उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से सफल निष्कर्ष पर लाया गया है। यह सरकार की क्षमता और भविष्य में गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से विनिवेश करने के संकल्प को साबित करता है। नए मालिकों को शुभकामनाएं। मुझे विश्वास है कि एयरलाइन उनके पंखों के नीचे खिलेगी और भारत में एक संपन्न और मजबूत नागरिक उड्डयन उद्योग का मार्ग प्रशस्त करेगी।- ज्योतिरादित्य सिंधिया, नागरिक उड्डयन मंत्री
आगे क्या होगा?
- एयर इंडिया पर टाटा समूह की छाप दिखाई देने लगेगी।
- एयर इंडिया का फ्लाइट ऑपरेशन बेहतर हो सकता है।
- किराए से लेकर खाने तक बेहतर होने की संभावना।
- विमानों के अंदर और बाहर की ब्रांडिंग में बदलाव होगा।
- टाटा समूह एयरलाइन कारोबार को एक यूनिट में विलय कर सकता है।
टाटा समूह के सामने चुनौतियां
- बीते एक दशक से एयर इंडिया भारी नुकसान में रही है।
- टाटा समूह को एयरलाइन का 23 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज चुकाना है।
- घरेलू विमानन बाजार में एयर इंडिया की हिस्सेदारी घटकर 11 फीसदी रह गई है।
- एयर इंडिया की कर्ज मुक्त एयरलाइन बनाना है।
- विमानन बाजार में एयर इंडिया की हिस्सेदारी को बढ़ाना है।
- अभी 48 फीसदी हिस्सेदारी के साथ इंडिगो सबसे बड़ी एयरलाइन है।
एयर इंडिया की घर वापसी की उड़ान
1932 में जेआरडी टाटा ने एयरलाइन की स्थापना की और इसका नाम टाटा एयरलाइंस रखा
।1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया
1948 में यूरोप के लिए उड़ान सेवाएं शुरू करने के साथ एयर इंडिया इंटरनेशनल को शुरू किया गया था
1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया
2000-01 में एयर इंडिया में सरकार की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की गई थी
2007-08 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से एयर इंडिया को हर साल नुकसान उठाना पड़ा
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ) के निजीकरण के प्रयास शुरू किए
जून 2017: मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने एयर इंडिया और उसकी पांच अनुषंगी कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश के विचार को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
मार्च 2018: सरकार ने एयर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेशकों से रुचि पत्र आमंत्रित किये
मई 2018: एयर इंडिया के लिए कोई बोली प्राप्त नहीं हुई
जनवरी 2020: सरकार ने एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बिक्री के लिए रुचि पत्र (ईओआई) जारी किया
अक्टूबर 2020: सरकार ने सौदे को आकर्षक बनाया; निवेशकों को एयर इंडिया के कर्ज की राशि के एक हिस्से की अदायगी की शर्त में ढील दी
मार्च 2021: तत्कालीन नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कोई विकल्प नहीं बचा है, हम या तो निजीकरण करेंगे या हम एयरलाइन को बंद कर देंगे
अप्रैल 2021: सरकार ने एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित करनी शुरू की। बोली लगाने की अंतिम तिथि 15 सितंबर थी।
सितंबर 2021: टाटा समूह, स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह ने वित्तीय बोली लगाईं
आठ अक्टूबर 2021: सरकार ने घोषणा की कि टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाई है।
25 अक्टूबर 2021: सरकार ने एयर इंडिया के हस्तांतरण के लिए टाटा समूह के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए।
27 जनवरी 2021: एयर इंडिया पूरी तरह टाटा समूह की हुई