वाराणसी में अब मार्च में गंगा की लहरों पर उतरेगा ‘सी प्लेन’, आचार संहिता ने लगा दी ब्रेक
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. काशी में गंगा की लहरों से ‘सी प्लेन’ उड़ान भरने की उम्मीद पर अभी विराम नहीं लगा है। मार्च बाद इस पर काम तेजी से होने की उम्मीद जताई जा रही है। जिले में इसके लिए गठित सात सदस्यीय टीम का कहना है कि कार्य होने तय हैं पर अब सब कुछ आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही होंगे। आचार संहिता नहीं लगी होती तो दिसंबर में ही इसका उद्घाटन हो गया होता।
बहरहाल, नमामि गंगे से अर्थ गंगा की राह पर काशी पहले ही निकल पड़ी है। गंगा की लहरों पर जलयान, जलपोत, रो पैक्स पहले से ही चल रहे हैं। नावें सीएनजी से संचालित हो रही हैं। सी प्लेन उड़ाने की तैयारी भी थी लेकिन इसी बीच महत्वाकांक्षी परियोजना श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य स्वरूप के लोकार्पण की तैयारी की वजह से इसे टाल दिया गया। जबकि डीएम की ओर से गठित सात सदस्यीय टीम की ओर से सी प्लेन उड़ान बाबत सौंपी गई फिजिबिलिटी रिपोर्ट अगस्त में ही शासन को भेज दिया था। इसमें कहा गया है कि बनारस से सी प्लेन संचालन को लेकर कोई तकनीकी बाधा नहीं है। काशी से सी प्लेन संचालन के बाद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा वहीं रोजगार के कई द्वार खुलेंंगे। काशी की इकोनामी को रफ्तार भी मिलेगी।
मथुरा, प्रयागराज व अयोध्या की राह होगी आसान
सी प्लेन के उड़ान से बनारस की इकोनामी को रफ्तार मिलेगी। पर्यटन की राह सुगम होगी। सी प्लेन काशी से मथुरा-अयोध्या व प्रयागराज तक उड़ान भरेगा। रूट आदि का निर्धारण भी हो चुका है।
फिजिबिलिटी रिपोर्ट में सब ओके
प्लेन संचालन के बाबत गठित सात सदस्यीय कमेटी में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, पीडब्ल्यूडी, प्रभागीय वनाधिकारी, बंधी प्रखंड, संभागीय परिवहन अधिकारी, पर्यटन व वीडीए के अधिकारियों को शामिल हैं। टीम ने सी प्लेन उड़ान को लेकर अध्ययन किया था । इसके बाद फिजिबिलिटी रिपोर्ट डीएम को सौंपी थी। कमेटी ने सी प्लेन के उड़ान को लेकर किसी भी तरह के तकनीकी बाधा नहीं होने की बात कही है। बताया जा रहा है कि शासन ने सहमति दे दी है।
सी प्लेन की खासियत
-एक घंटे में 400 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
-प्लेन पानी और जमीन दोनों स्थान से उड़ान भर सकता और लैैंड कर सकता है।
-उड़ान भरने व लैंड को एक किलोमीटर का दायरा बिना बाधा के जरूरत होती है।
-कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार बनारस में खिड़किया घाट, राजघाट और सामने घाट के बीच और सामने घाट से विश्वसुंदरी पुल के बीच इस तरह का स्पेस मौजूद है।
-प्लेन में एक साथ 10 से 15 लोग बैठ सकते हैैं।
-पानी से उड़ान भरने के लिए फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है। यह काफी हल्का होता है और इस कारण कम ईंधन खर्च होता है।
- 400 किलोमीटर तक के सफर के लिए एक व्यक्ति को लगभग 15 सौ रुपये किराया चुकाने पड़ेंगे।
-देश में पहली सी प्लेन सेवा गुजरात में अक्टूबर 2020 में अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से केवडिया के बीच शुरू हुई थी।