गाजीपुर का सैदपुर सीट : परिसीमन बदलने के बाद से सुभाष पासी का कब्जा, 1996 के बाद नहीं खुल सका भाजपा का खाता
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. वर्ष 2012 में स्थानीय विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन बदला तो वाराणसी का हिस्सा हट गया और सादात व देवकली ब्लाक को शामिल कर लिया गया। परिसीमन बदलने के बाद ही यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई। वर्ष 2012 व 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुभाष पासी ने जीत का पताका फहराया है। हालांकि अब विधायक सुभाष पासी ने चुनाव से पहले पाला बदल लिया है और भाजपा का दामन थाम लिया।
वर्ष 1952 से 2012 तक सैदपुर विधानसभा क्षेत्र में सैदपुर के अलावा वाराणसी के चोलापुर व हरहुआ ब्लाक के गांव भी शामिल थे। वर्ष 2012 में परिसीमन बदला तो वाराणसी का हिस्सा कट गया। राजनीतिज्ञों के अनुसार सैदपुर ब्लाक के 98 गांव के अलावा देवकली ब्लाक के 74 व सादात ब्लाक के 42 गांव शामिल हैं।
कुल मिलाकर विधानसभा क्षेत्र में 214 गांव है और 426 बूथ है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस विधानसभा में अब लड़ाई भाजपा, सपा व बसपा के बीच होती है। हालांकि सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद से इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है। वर्ष 2017 में मोदी लहर में भी सपा के प्रत्याशी ने यहां से जीत हासिल की थी। पूर्व के परिणामों पर नजर डाले तो आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए पहले चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कमला यादव ने जीत हासिल की थी। 1957 में हुए दूसरे चुनाव में कांग्रेस के आत्माराम पांडेय ने जीत हासिल की।
1962 में आत्माराम पांडेय को हराकर कमला यादव पुन: विधायक बने। 1967 में कांग्रेस से लड़कर आत्माराम पांडेय ने दूसरी बार विधानसभा में कदम रखा। 1969 में रामकरन दादा भारतीय क्रांति दल से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 1974 में कांग्रेस के प्रभुनारायण सिंह ने रामकरन दादा को हरा दिया। 1977 में जनता दल के उदयनारायण सिंह विधायक बने।
1980 में रामकरन दादा ने वापसी की और दूसरी बार विधायक बने। 1984 व 1989 में जनता दल के राजीत यादव लगातार दो बार चुनाव जीतें। 1991 में भाजपा का खाता खुला और डा महेंद्रनाथ पांडेय विधायक बने। 1993 में विधानसभा में पहली बार हाथी चली और बसपा के लालजी चौहान विधायक बने। 1996 में डा महेंद्रनाथ पांडेय दूसरी बार भाजपा से विधायक बने। 2002 में बसपा के डा कैलाशनाथ यादव ने डा महेंद्रनाथ पांडेय को हरा दिया। 2004 में हुए उपचुनाव में सपा का खाता खुला और राजनाथ यादव विधायक बने। 2007 में बसपा के दीनानाथ पांडेय ने जीत दर्ज की। 2012 में परिसीमन बदलने के बाद सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो गई। स्थानीय विधानसभा क्षेत्र की जनता ने कामवेश हर दल के लोगों को मौका दिया है.