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अखिलेश यादव के करीबियों के यहां आयकर की छापेमारी जारी, जानें दूसरे दिन कहां-कहां हुई कार्रवाई

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. आयकर विभाग की छापेमारी बुधवार को भी जारी रही। मंगलवार को बागपत, आगरा और नोएडा में छापे डाले गए थे। समाजवादी पार्टी के मुखिया के करीबी कहे वाले लोगों के यहां यह छापेमार कार्रवाई की गई। बागपत के गांव महरमपुर में बिल्डर अजय चौधरी उर्फ संजू के फार्म हाउस पर दूसरे दिन बुधवार को भी आयकर विभाग की टीम जांच-पड़ताल में जुटी रही। नोएडा में रहने वाले एसीई कंपनी के चेयरमैन अजय चौधरी का पैतृक गांव महरमपुर है। यहां अजय का 40 बीघे का आलीशान फार्म हाउस है। बता दें कि मंगलवार सुबह 10 बजे कुछ ग्रामीणों ने आयकर विभाग के दो सदस्यों का विरोध किया था। इसे देखते हुए रात में पीएसी बुला ली गई थी। हालांकि देर रात पीएसी वापस चली गई थी।

आगरा शहर के चार जूता कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर विभाग की जांच शाखा की कार्रवाई बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही। टीम ने तीन ठिकानों की जांच पूरी कर ली, लेकिन 12 ठिकानों से अधिकारी साक्ष्य तलाशने में जुटे रहे। उन्हें एक ही पते पर चल रही कई कंपनियों के कागजात, लीज डीड, रेंटल इनकम समेत तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां हाथ लगी हैं, जिनकी जांच की जा रही है। ज्यादातर कंपनियां जूता कारोबार से जुड़ी हैं। कुछ कंपनियों में उनकी साझेदारी है, जबकि कुछ कंपनियों में बाहरी लोगों द्वारा निवेश की जानकारी भी मिल रही है। फिलहाल अधिकारी बरामद कागजातों की गहराई से छानबीन कर रहे हैं। आयकर विभाग की टीम ने मंगलवार सुबह छह बजे जूता कारोबारी मानसी चंद्रा, मनु अलघ, विजय आहूजा व राजेश सहगल उर्फ सहगल के यहां छापा मारा है।

नोएडा में ऐस ग्रुप व रुद्रा बिल्डर की मुसीबत बढ़ सकती है, क्योंकि आयकर विभाग की अब तक की छापेमारी में तमाम बोगस कंपनियों की जानकारी सामने आई है, जिसके जरिये 100-100 करोड़ रुपये को ट्रांजेक्शन के जरिये घुमाया गया है। ब्लैक मनी को व्हाइट में तब्दील करने का काम किया गया है। तमाम बोगस कंपनियों में लोन दिखाकर मूल कंपनियों के पैसे को इधर से उधर किए जाने का प्रमाण मिला है। ऐसी कंपनियों को सूचीबद्ध कर आयकर की टीम आलाधिकारियों के पास भेज रही है, जिसके बाद अब आयकर विभाग की टीम दोनों बिल्डरों की सभी 26 कंपनियों के पिछले दस वर्ष का डाटा खंगाल सकती है। समाचार लिखे जाने तक कार्रवाई जारी थी।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि पल पल की कार्रवाई नोएडा से लेकर कानपुर, लखनऊ व दिल्ली को भेजी जा रही है। रुपये इधर उधर करने की पुष्टि के बाद अब कंपनियों का तीन वर्ष से अधिक का डाटा खंगालने का काम शुरू हो चुका है। चूंकि किसी भी कंपनी का तीन वर्ष से अधिक का सर्च नहीं किया जा सकता है लेकिन वर्ष 2014 में बने नियम के अनुसार यदि एक कंपनी के बीच 50 लाख रुपये से अधिक के ट्रांजेक्शन की पुष्टि होती है तो उस कंपनी के दस वर्ष का रिकार्ड खंगालने का अधिकार आयकर विभाग की टीम को है। ऐसे में वर्ष 2010 में यह कंपनियां बनाई गई हैं, इसलिए वर्ष 2013 तक आसानी से डाटा खंगालने का काम किया जा सकता है। वहीं ऐस ग्रुप की तमाम कंपनियों में ग्रुप सीएमडी के भाई प्रताप राठी निदेशक होने की पुष्टि हो रही है।

ऐस ग्रुप के सीएमडी समेत एक निदेशक नहीं मिले : दो दिन से जारी आयकर सर्च में अभी तक ऐस ग्रुप सीएमडी समेत एक निदेशक नहीं मिल सके हैं। ऐसे में छापे की कार्रवाई लंबी ख‍िंचने की संभावना बढ़ गई है। दोनों निदेशक के शहर से बाहर होने की बात लगातार अधिकारियों को बताई जा रही है।

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