Ghazipur News : एक रुपये की पर्ची, 2500 की जांच
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिला महिला अस्पताल की पैथोलाजी पिछले 20 दिनों से ठप पड़ी है। केमिकल व किट सहित कई आवश्यक संसाधनों के अभाव में रक्त आदि जांच नहीं हो पा रही हैं। बहुत उम्मीद लेकर महिला अस्पताल आने वालीं गरीब तबके की महिलाओं को एक रुपये में पर्ची तो मिल जाती है, लेकिन चिकित्सक के परामर्श के बाद बाहर निजी पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटरों पर जांच कराने में 1500 से 2500 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। दवा का खर्च अलग से।
जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की देखरेख, जांच व सुरक्षित प्रसव कराना सरकारी की जिम्मेदारी है। यह सब निश्शुल्क करने का प्रविधान है। इस योजना को सफलता पूर्वक लागू कराने में जिला महिला अस्पताल की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार जिला अस्पताल में जांच से लेकर उपचार तक सभी व्यवस्थाएं दी गई हैं, लेकिन यहां का जिला महिला अस्पताल सभी सुविधाओं से संतृप्त नहीं है।
महिला अस्पताल में प्रतिदिन 150 से 250 ओपीडी पर्ची कटती है। 50 से 70 महिलाएं रक्त और अन्य जांच कराने के लिए आती हैं। लेकिन जांच में काम आने वाले केमिकल व किट 20 दिन पहले ही समाप्त हो जाते हैं। यहां तक की सीरींज भी मरीज के तीमारदार को बाहर से खरीद कर लानी पड़ रही है। फिलहाल यहां बीडीआरएल, टाइफाइड, मलेरिया व ब्लड ग्रुप आदि की ही जांच हो पा रही है। ऐसे में एक रुपये की पर्ची पर गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण जांच व उपचार करने का सरकार का दावा विफल होता नजर आ रहा है।
15 साल से नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड :
जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करीब 15 साल से बंद है। रेडियोलाजिस्ट की तैनाती होती है तो अल्ट्रासाउंड मशीन ठीक नहीं रहती और जब तब अल्ट्रासाउंड मशीन की रिपेयरिग होती है या नई लगाई जाती है, रेडियोलाजिस्ट का स्थानांतरण हो जाता है। फिर अगले रेडियोलाजिस्ट जब तक आते हैं, रखे-रखे मशीन फिर से खराब हो चुकी होती है। जब तक जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल एक परिसर में थे, जिला अस्पताल के ही अल्ट्रासाउंड केंद्र में महिलाओं की जांच हो जाती थी। जिला अस्पताल के गोराबाजार जाने के बाद महिलाओं को निजी केंद्रों पर जाना पड़ता है।
निजी लैब में जांच का रेट
सीबीसी : 350
हेपटाइटिस बी : 150
यूरिन आरएम : 100
प्रेगनेंसी : 50
एचसीबी : 400
थायराइड : 600
अल्ट्रासाउंड : 700
पैथोलाजी में काम आने वाले कुछ केमिकल व किट समाप्त हो गए हैं, जिससे जांच नहीं हो पा रही हैं। पत्र के माध्यम से उसकी मांग मेडिकल कालेज को भेजी गई है, जैसे ही सामान मिलेगा, जांच शुरू कर दी जाएगी।
- डा. तारकेश्वर, सीएमएस जिला महिला अस्पताल।