100 सीटों की मांग करने वाले अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल एक सीट पर क्यों सिमटे!
गाजीपुर न्यूज़ टीम, इटावा. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद जिस तरह से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव केवल एक सीट पर चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं, यह राजनीतिक हलकों में चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है. पीएसपीएल प्रमुख शिवपाल उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की जसवंतनगर विधासनसभा सीट से सपा गठबंधन के उम्मीदवार बनाये गये है जो सपा के साइकिल चुनाव चिन्ह से लड़ रहे है. इसी सीट से शिवपाल के बेटे आदित्य के चुनाव मैदान में उतरने की अटकले लगाई जा रही थी, लेकिन आदित्य के चुनाव लड़ने की सभांवनाए कम हो गयी है. कोई राजनीतिक विश्लेषक यह नहीं समझ पा रहा है कि आखिरकार चुनाव से पहले 100 से अधिक सीटों की मांग करने वाले शिवपाल केवल एक सीट पर कैसे मान गए हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं खुद शिवपाल सिंह यादव की पार्टीपीएसपीएल के नेता और कार्यकर्ता भी सकते में बने हुए हैं. लेकिन कोई भी कुछ खुल कर के बोल पाने की स्थिति में नहीं है. खुद पीएसपीएल प्रमुख शिवपाल भी अपने भतीजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कहते हुए दिखाई दे रहे हैं. केवल इतना ही नहीं उन्होंने अपने बड़े भाई और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के मुकाबले अखिलेश यादव को अब समाजवादी पार्टी का नया नेता भी मान लिया है. शिवपाल साफ़ तौर पर कई दफा इस बात को भी कह चुके हैं कि अब समाजवादी पार्टी के नए नेता उनके भतीजे अखिलेश यादव हो चुके हैं और उनका अखिलेश को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना एक मात्र लक्ष्य है.
‘साइकिल’ पर चुनाव लड़ेंगे शिवपाल
वैसे शिवपाल सिंह यादव इस बात को भी कई दफा बोल चुके हैं कि वह पारिवारिक एकता के लिए किसी भी तरह का समर्पण देने के लिए तैयार है हो ना हो यही एक मात्र वो वजह हो जिसके चलते शिवपाल ने अपने कदम पीछे खींच लिए हो. विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता जिस ढंग से शिवपाल सिंह यादव की बेहिसाब तारीफ करने में जुटे हुए थे. उससे यह बात राजनीतिक हलकों में चर्चा के केंद्र में बनती चली जा रही थी कि कहीं भाजपा से शिवपाल की नजदीकी तो नहीं है. कुछ ऐसे ही सवालों से शिवपाल का परेशान होना लाजिमी रहा होगा.
शिवपाल यादव की पार्टी को लगा बड़ा झटका
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर अगर नजर डालें तो पाएंगे शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने पिछले साल से ही जबरदस्त तैयारियां शुरू कर दी थीं. उत्तर प्रदेश में राजनीति को करीब से समझने वाले डॉ शांतनु मौर्य कहते हैं कि शिवपाल यादव ने तो अपने राजनीतिक गठबंधन से पहले ही कई सीटों पर प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने की न सिर्फ हामी भरी थी बल्कि उनका टिकट तक फाइनल कर दिया था. लेकिन जब समझौता समाजवादी पार्टी से हुआ तो शिवपाल यादव की पार्टी से टिकट की चाह रखने वाले ऐसे कई बड़े-बड़े नेताओं का अब फिलहाल कोई राजनीतिक भविष्य नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि समाजवादी पार्टी शिवपाल यादव की पार्टी में पद और कद रखने वाले नेताओं को फिलहाल टिकट देने के मूड में नजर नहीं आ रही है.