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अफसरों को डरा रही बांदा जेल की कुर्सी, क्यों नहीं कोई संभाल रहा पद

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बांदा. हाई स्क्यिोरिटी बांदा जेल। चार स्तर का कड़ा सुरक्षा घेरा। अब तक यहां बंद होने के नाम से ही अपराधी कांपते थे। लेकिन अब इस जेल का काम-काज संभालने के नाम पर अफसर डर रहे हैं। अक्टूबर से यह जेल अधीक्षक विहीन है। प्रभारी अधीक्षक जेल चला रहे हैं। जिसे भी अधीक्षक बनाकर भेजा गया, बीमार हो गया। 

ऐसे एक अफसर को तो शासन ने सस्पेंड कर दिया। सरकार ट्रांसफर, निलंबन कुछ भी करे, अफसर यहां तैनाती को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि माफिया विधायक मुख्तार अंसारी के बांदा जेल में बंद होने के बाद से कोई अधीक्षक यहां काम को राजी नहीं है।

सात अप्रैल को आया मुख्तार, तबसे चर्चा में जेल

मुख्तार अंसारी को पिछले साल सात अप्रैल की सुबह बांदा मंडल कारागार में  दाखिल किया गया था। उस वक्त जेलर प्रमोद त्रिपाठी यहां प्रभारी जेल अधीक्षक थे।  मई में उन्नाव से वरिष्ठ जेल अधीक्षक एके सिंह बांदा भेजे गए। उन्होंने किसी तरह चार महीने काटे फिर  मेडिकल लीव ले ली। और लौटे ही नहीं। उन्हें संपूर्णानंद कारगार प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ से अटैच कर दिया गया। 12 नवंबर को बरेली कारागार से तेजतर्रार अधीक्षक विजय विक्रम सिंह को बांदा मंडल कारगार ट्रांसफर किया गया। उन्होंने चार्ज नहीं संभाला। अंतत: 30 नवंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया। अब वह भी कारागार प्रशिक्षण संस्थान से अटैच हैं।

बागपत और चित्रकूट जेलों की गैंगवार ने डराया

माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी की वजह से कोई अफसर इस जेल में नहीं रुकना चाहता। बागपत में उसके करीबी मुन्ना बजरंगी और चित्रकूट में वसीम काला व मेराजुद्दीन की गैंगवार में हत्या हो चुकी है। उन मामलों में अफसर व जेल स्टाफ कार्रवाई की जद में फंसे। मुख्तार की सुरक्षा को खतरा और खुद मुख्तार के अपराध में सक्रिय होने की वजह से अफसर दोतरफा खतरा महसूस करते हैं।

चोर ने खोल दी जेल की पोल

छह जून की शाम कारागार से एक बंदी गायब हो गया। सात जून को दो सुरक्षा कर्मियों पर रिपोर्ट हुई। उसी शाम चार बजे नाटकीय ढंग से वह बंदी जेल के अंदर ही बरामद दर्शाया गया। चोरी के आरोपित ने 24 घंटे लापता रहकर हाई सिक्योरिटी जेल की सुरक्षा की पोल खोल दी।

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