बलिया में सपा ने खोले तीन सीटों के पत्ते, पुराने उम्मीदवारों पर जताया भरोसा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को पूर्वांचल की सीटों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। इसमें जनपद की तीन सीटों पर नाम फाइनल कर दिए गए हैं। पार्टी ने पुराने प्रत्याशियों पर भरोसा जताते हुए उन्हें एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। वर्ष 2017 की तरह इस बार भी बांसडीह से नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, फेफना से पूर्व विधायक संग्राम सिंह यादव व सिकंदरपुर से पूर्व मंत्री मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ही चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार बांसडीह छोड़कर दोनों सीटों पर सपा को हार का सामना करना पड़ा था। तीन नामों की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं को जनपद की शेष चार सीटों को लेकर अब बेसब्री से इंतजार है।
आठ बार विधायक रह चुके हैं रामगोविंद चौधरी
68 वर्षीय रामगोविंद चौधरी सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के गाेसाईपुर के रहने वाले हैं। इन्होंने पहली बार 1977 में चिलकहर विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इमरजेंसी के बाद दौरान जेल से रिहाई होने पर चुनावी जंग में वे विजयी हुए। इसके बाद वहां से लगातार 1980, 1985 में जनता पार्टी से ही जीते। 1989 के चुनाव में जनता दल से व पांचवीं बार फिर 1991 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर विजयी रहे। 1993 व 1996 का चुनाव भी जनता पार्टी से चिलकहर से लड़े लेकिन पराजित हो गए। 2002 का चुनाव बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से सजपा के टिकट पर लड़े और विजयी रहे। 2007 के चुनाव में सपा के टिकट से बसपा के शिवशंकर चौहान से हार गए। फिर 2012 व 2017 में सपा के टिकट पर लड़े व विधायक बने। पार्टी ने उनहें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया। पढ़ाई के समय भी छात्र राजनीति में ही चंद्रशेखर के करीब आए और 1977 में देश में लगे आपातकाल में जेपी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और जेल गए। सपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।
सपा के सिंबल पर छठवीं बार चुनाव लड़ेंगे रिजवी
सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के सिवानकला निवासी 58 वर्षीय मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने 1980 में ठाकुर शिव मंगल सिंह के सानिध्य में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उन्होंने जल्द ही लोकदल में अपनी अलग पहचान बना ली। एक दशक तक लोकदल के बैनर तले राजनीति करने वाले रिजवी सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। 1995 में सपा के जिलाध्यक्ष बनाए गए। 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर सिकंदरपुर से चुनाव लड़े लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2002 में पार्टी ने पुनः उन्हें उम्मीदवार बनाया। इस बार वे समता पार्टी के राजधारी सिंह को मात देकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। वर्ष 2007 में बसपा के भगवान पाठक से चुनाव हारने के बाद पुनः 2012 में विधायक चुने गए। 2015 में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री भी बने। वर्ष 2017 में भाजपा के संजय यादव से इनको हार का सामना करना पड़ा।
ब्लाक प्रमुखी, विधानसभा, लोकसभा चुनाव में हाथ आजमा चुके हैं संग्राम
फेफना में मोहान की मठिय (चेरुइयां) के रने वाले संग्राम सिंह यादव युवावस्था से ही राजनीतिक व्यक्ति रहे हैं। ब्लाक प्रमुखी, विधानसभा, लोकसभा व एमएलसी के चुनावों में हाथ आजमा चुके हैं। वे एक बार केवल चिलकहर विधानसभा क्षेत्र से बसपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर 17 माह के लिए विधायक बने थे। 1991 में कोपाचीट (अब फेफना) से बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़े और हार गए। 1993 में चिलकहर से बसपा के ही सिंबल पर चुनाव जीते। संयोग से विधानसभा 17 महीने ही चली। इसके बाद संग्राम 1996 व 2002 में चिलकहर से सपा से लड़े लेकिन जीन नहीं मिली। 2008 में बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़े। यहां भी कामयाबी से दूर रहे। 2012 में कौमी एकता व भासपा गठबंधन से पुनः फेफना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन फिर हार का सामना करना पड़ा। 2017 में सपा से पुनः फेफना से मैदान में उतरे। इस बार भी सफलता नहीं मिली लेकिन वे दूसरे नंबर पर रहे।