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जिला गाजीपुर, जहां सियासत- माफिया गठजोड़ की होती है चर्चा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर और शहीदों की धरती गाजीपुर में एक बार फिर विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो गई है। शहीद वीर अब्दुल हमीद की धरती गाजीपुर में इन दिनों सियासी माहौल गर्म है। आरंभिक दौर में स्वतंत्रता सेनानी और कम्युनिस्ट नेता सरजू पांडेय ने सियासी पगडंडी पर चलने वालों को ईमानदारी की राह दिखाई। हालांकि, बीच के कालखंड में राजनीतिक दल-माफिया के गठबंधन ने गाजीपुर जिले की छवि धूमिल भी की। एक बार फिर 2022 का सियासी समर योद्धाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

कांग्रेस ने सबसे पहले सदर व जखनियां से अपने प्रत्याशी उतार दिए हैैं। सपा को अपने गढ़ में दोबारा वापसी के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा तो पिछले चुनाव में गठबंधन के साथी सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अलग होने के बाद अपनी सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की बड़ी चुनौती भगवा ब्रिगेड के सामने होगी। सरकार ने माफिया पर खूब बुलडोजर भी चलाया है। अब जनता की बारी है। गाजीपुर की सभी सात सीटों की राजनीतिक तस्वीर को रेखांकित करती ये रिपोर्ट...।

1- सदर सीट - रामलहर में पहली बार खिला था कमल

क्षेत्र की विशेषताएं: एशिया की सबसे बड़ी अफीम फैक्ट्री, लार्ड कार्नवालिस का मकबरा, पवहारी बाबा आश्रम व बाबा गंगादास आश्रम, रवींद्र नाथ टैगोर का स्मारक। पवाहारी आश्रम में स्वामी विवेकानंद का आगमन।

राजनीतिक इतिहास: वर्ष 1951 के पहले चुनाव में गाजीपुर सदर में वेस्ट, साउथ ईस्ट, साउथ वेस्ट, सेंट्रल कम मुहम्मदाबाद नार्थ ईस्ट सीटें थीं। सेंट्रल से सोशलिस्ट पार्टी के जमुना विधायक रहे। 1957 में सीपीआइ से पब्बर राम चुने गए। 1991 की रामलहर में पहली बार भाजपा का खाता खुला और उदय प्रताप सिंह विधायक चुने गए। 2007 में सपा की शादाब फातिमा, 2012 में सपा के विजय मिश्रा जीते। 2017 में भाजपा की डा. संगीता बलवंत को 91,604 व सपा के राजेश कुशवाहा को 59,036 वोट मिले। डा. संगीता प्रदेश की सहकारिता राज्यमंत्री भी हैैं।

सामाजिक समीकरण: सीट पर क्षत्रिय, मल्लाह, कुशवाहा, वैश्य, हरिजन,यादव, मुस्लिम, राजपूत वोटर निर्णायक हैं।

मौजूदा परिदृश्य: फिलहाल प्रत्याशियों के नाम को लेकर खींचतान चल रही है। इस सीट से सपा से पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह, राजेश कुशवाहा व पूर्व मंत्री शादाब फातिमा (प्रसपा) सहित दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। भाजपा से अंदरखाने कई दावेदारों में बसपा छोड़कर आए विजय मिश्रा का नाम भी है। कांग्रेस ने लौटन राम निषाद को प्रत्याशी बनाया है, इसे लेकर भी चर्चाएं तेज हैैं।

कुल वोटर - 3,43,857

2- मुहम्मदाबाद - अंसारी बंधुओं का रहा दबदबा

क्षेत्र की विशेषताएं: शहीद पार्क। विदेश भेजी जाती है मटर व मिर्च।

राजनीतिक इतिहास: कांग्रेस से विजय सिंह पांच बार विधायक रहे। इन्हें बीच में हार का भी सामना करना पड़ा। बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी 1985-2002 तक विधायक रहे। पहले कम्युनिस्ट पार्टी से जीते। फिर पार्टी बदली। 2002 में भाजपा के कृष्णानंद राय ने अंसारी बंधु का व्यूह भेदा। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद 2006 के उपचुनाव में उनकी पत्नी अलका राय विधायक बनीं। 2007 व 2012 में मुख्तार के ही बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने चुनाव जीता। 2017 में भाजपा की अलका राय ने उन्हें हराया। अलका को 1,22,156 व बसपा के सिबगतुल्लाह अंसारी को 89,429 वोट मिले।

सामाजिक समीकरण: भूमिहार बिरादरी के अधिक मतदाता। दलित, यादव, कुशवाहा, ब्राह्मïण, वैश्य मतदाता भी निर्णायक हैं।

मौजूदा परिदृश्य: इस चर्चित सीट पर भाजपा की मौजूदा विधायक अलका राय की प्रमुख दावेदारी है। पूर्व विधायक पशुपति नाथ राय, बिहार में नौकरी से इस्तीफा देकर आए मनोज राय भी टिकट की दौड़ में हैं। वहीं बसपा छोड़ सपा में आए अंसारी बंधुओं में से किसी एक का फिर चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है। बसपा ने माधवेंद्र राय को प्रभारी बनाया है।

कुल वोटर - 4,05,829

3- जमानियां - सपा के कद्दावर ओमप्रकाश सिंह को मिली थी हार

क्षेत्र की विशेषताएं: गंगा और कर्मनाशा नदी के बीच स्थित चंदौली व बिहार के बक्सर, कैमूर से सटा क्षेत्र धान का कटोरा के नाम से विख्यात है।

राजनीतिक इतिहास: आजादी के बाद जमानियां स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र रहा, लेकिन वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद दिलदारनगर का बड़ा हिस्सा इसमें समाहित कर दिया गया। हालांकि रेवतीपुर ब्लाक के 21 गांव मुहम्मदाबाद में चले गए। पहले कांग्रेस का गढ़ रहा। 1985 के बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ नहीं लगी। 1991 में भाजपा की शारदा चौहान जीतीं, जो कल्याण ङ्क्षसह की सरकार में राज्यमंत्री बनीं। वहीं जमानियां-दिलदारनगर सीट पर सपा के कद्दावर नेता ओमप्रकाश सिंह छह बार विधायक व मंत्री रहे। 2017 में भाजपा की सुनीता सिंह से हार गए।

सामाजिक समीकरण: क्षत्रिय, दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक हैं।

मौजूदा परिदृश्य: सभी दलों में टिकट को लेकर द्वंद्व जारी है। भाजपा विधायक सुनीता सिंह के अलावा पूर्व विधायक सिंहासन के पुत्र अमित सिंह मुन्ना, मानवेंद्र सिंह, दिलदारनगर चेयरमैन अविनाश जायसवाल की दावेदारी है। सपा से ओमप्रकाश सिंह व पूर्व डीआइजी (निबंधन) ओमप्रकाश यादव दावेदार हैं। बसपा से परवेज खान के नाम की चर्चा है।

कुल वोटर - 4,09,960

4- जहूराबाद - ओमप्रकाश राजभर को पहली बार मिली जीत

क्षेत्र की विशेषताएं: कासिमाबाद का किला, बहादुरगंज की गन फैक्ट्री, पूर्वांचल सहकारी कताई मिल, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे।

राजनीतिक इतिहास: वर्ष 2002 और 2007 के चुनावों में बसपा का जोर दिखा। दोनों बार कालीचरण राजभर जीते। परिसीमन के बाद भौगोलिक स्थिति बदली। मुहम्मदाबाद के बलिया सीमा से सटे दर्जनभर से अधिक गांव शामिल होने से जातीय समीकरण भी बदले। वर्ष 2012 में सपा प्रत्याशी शादाब फातिमा ने बसपा को हराकर सपा का खाता खोला। 2017 में भाजपा की सहयोगी रही सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर विधायक चुने गए।

सामाजिक समीकरण: दलित व राजभर के साथ ही यादव, राजपूत, मुस्लिम, बिंद, मल्लाह मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैैं।

मौजूदा परिदृश्य : भाजपा से गठबंधन कर ओमप्रकाश राजभर वर्ष 2017 में पहली विधायक तो जरूर बने, लेकिन इस बार का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है। सपा से सुभासपा और प्रसपा के बीच सीट को लेकर पेच फंसा है। प्रसपा की शादाब फातिमा की इस सीट से भी दावेदारी की चर्चा है। सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर तो दावेदार हैं ही। सपा से रमेश पांडेय, महेंद्र चौहान, सानंद सिंह के नाम चर्चा में हैैं। बसपा से भाजपा में आए कालीचरण राजभर, रामप्रताप ङ्क्षसह ङ्क्षपटू, राजकुमार ङ्क्षसह प्रमुख दावेदार हैं।

कुल वोटर - 3,85,546

5- जंगीपुर - अब तक सपा का ही रहा कब्जा

क्षेत्र की विशेषताएं: पूर्वांचल की बड़ी सब्जी मंडी। ऐतिहासिक महारधाम।

राजनीतिक इतिहास : वर्ष 2012 के परिसिमन में नवसृजित जंगीपुर में दिलदारनगर, मुहम्मदाबाद, सदर विधानसभा के कई गांव कटकर आ गए। अब तक सपा के एक ही परिवार का कब्जा रहा है। 2012 में सपा के कैलाश यादव जीते और पंचायत राजमंत्री बने। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में इनकी पत्नी किसमतिया देवी जीतीं। 2017 में भी सपा के विरेंद्र यादव विजयी हुए।

सामाजिक समीकरण : यादव बहुल इस क्षेत्र में हरिजन, कुशवाहा व राजपूत मतदाता भी निर्णायक।

मौजूदा परिदृश्य : सपा विधायक विरेंद्र यादव प्रमुख दावेदार हैं, बसपा से मुकेश ङ्क्षसह का नाम है। भाजपा के राजनरेश कुशवाहा, कुंवर रमेश ङ्क्षसह पप्पू, योगेश सिंह, रिद्धिनाथ पांडेय दावेदारी की कतार में हैं।

कुल मतदाता - 3,53,046

6- सैदपुर (सु.) - लगातार दो बार सपा ने लहराया परचम

क्षेत्र की विशेषता: स्कन्द गुप्त का विजय स्तम्भ।

राजनीतिक इतिहास : वर्ष 1952 से 2012 तक इस क्षेत्र में वाराणसी के चोलापुर व हरहुआ के गांव भी शामिल थे। 1991 में सैदपुर से भाजपा के डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की थी। 1993 में यह सीट बसपा की झोली में चली गई। 1996 में भाजपा के डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने फिर वापसी की। उसके बाद 2002 और 2007 में बसपा का कब्जा रहा। 2012 में परिसीमन बदला तो वाराणसी का हिस्सा कटा और सीट आरक्षित हो गई। वर्ष 2012 व 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुभाष पासी जीते।

सामाजिक समीकरण : अनुसूचित जाति के साथ ही यादव, ब्राह्मण व वैश्य, राजभर, कुशवाहा मतदाता निर्णायक।

मौजूदा परिदृश्य : वर्ष 2017 में भाजपा लहर में भी इस सीट पर सपा जीती। हालांकि इस बार सपा विधायक सुभाष पासी पाला बदलकर भाजपा में आ गए हैं। पूर्व चेयरमैन शीला सोनकर भी दावेदारी में हैं। सपा से पूर्व विधायक सीसी सोनकर, अंकित भारती के नाम भी चर्चा में हैं। बसपा से डा. जितेंद्र कुमार का नाम चल रहा है।

कुल मतदाता- 3,73,304

7- जखनियां - 1957 से आज तक आरक्षित

क्षेत्र की विशेषताएं: परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद का गांव धामूपुर, महावीर चक्र विजेता पं. रामउग्रह पांडेय का गांव ऐमाबंशी। सिद्ध पीठ भुड़कुड़ा व हथियाराम मठ।

राजनीतिक इतिहास: यह सीट 1957 से आज तक आरक्षित है। कांग्रेस, भाकपा, सपा, बसपा इस सीट से जीतती रही है। कांग्रेस के देवराम गन्ना व आबकारी मंत्री भी रहे। भाजपा को इस सीट पर कभी जीत नहीं मिली। हालांकि 2017 में भाजपा से गठबंधन करने वाली सुभासपा के त्रिवेणी राम विधायक बने।

सामाजिक समीकरण : अनुसूचित जाति के साथ ही यादव, ब्राह्मïण, राजपूत, कुशवाहा मतदाता निर्णायक।

मौजूदा परिदृश्य: मौजूदा विधायक त्रिवेणी की पार्टी सुभासपा ने सपा से गठबंधन कर लिया है। अभी तय नहीं है कि यहां से सपा का प्रत्याशी होगा या सुभासपा का। सपा से पूर्व विधायक विजय कुमार, गरीब राम, भाजपा से ओमप्रकाश राम व बसपा से संजीव कुमार प्रमुख दावेदार हैं।

कुल मतदाता- 4,09,966

(मीडिया इनपुट्स के साथ )

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