अब्दुल्ला आजम ने कमिश्नर और BJP नेताओं से जताया जान का खतरा, कहा- मेरी हो सकती है हत्या
गाजीपुर न्यूज़ टीम, रामपुर. सांसद आजम खां के बेटे एवं स्वार टांडा विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी अब्दुल्ला आजम ने कहा कि कमिश्नर रामपुर का चुनाव प्रभावित कर रहे हैं। भाजपा नेताओं के साथ मिलकर साजिश रच रहे हैं। उनके साथ कोई सड़क हादसा हो सकता है या हमला कराकर हत्या कराई जा सकती है। किसी फर्जी मुकदमे में फंसाकर दोबारा जेल भेजा जा सकता है। उन्होंने कमिश्नर को मुरादाबाद से हटाकर दूसरे अधिकारी की नियुक्ति की मांग की। समाजावादी पार्टी के प्रत्याशियों ने रविवार दोपहर सपा कार्यालय पर मीडिया से बात की।
इस दौरान अब्दुल्ला आजम ने कहा कि रामपुर में सपा के लोगों को डराया जा रहा है। 60 हजार लोगों को रेड कार्ड जारी कर दिए गए हैं। इनमें तमाम लोग सपा के ही हैं। पुलिस इन लोगों के घरों पर जाकर धमका रही है कि अगर मतदान वाले दिन घर से निकले तो नीले कर दिए जाओगे। पुलिस ने घोर असमाजिक तत्वों की भी सूची बनाई है। इसमें भी सपा के ही लोग शामिल किए हैं। ऐसे हालात में लोग वोट कैसे डाल पाएंगे।
चुनाव आयोग को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। कमिश्नर का फौरन स्थानांतरण करना चाहिए। इस संबंध में सपा के केंद्रीय कार्यालय की ओर से चुनाव आयोग में शिकायत भी कराई गई है। वह खुद भी प्रत्याशी की हैसियत से शिकायत करेंगे। इस दौरान सपा के चमरौआ विधानसभा सीट से प्रत्याशी विधायक नसीर खां और मिलक से प्रत्याशी पूर्व विधायक विजय सिंह भी मौजूद रहे।
मंडलायुक्त को न हटाया जाए : शहर कांग्रेस कमेटी के महासचिव सुहेल खां ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल्ला आजम लगातार मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस समय मंडलायुक्त को हटाना बहुत गलत होगा, क्योंकि मंडलायुक्त बहुत ईमानदार और साफ छवि के व्यक्ति हैं। इस संबंध में उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र भेजा है। इसमें कहा है कि मंडलायुक्त जब रामपुर के जिलाधिकारी थे तो उनके द्वारा किए गए कार्यों की लोग आज भी सरहाना करते हैं।
सपा प्रत्याशी अब्दुल्ला आजम खुद जेल से जमानत पर आए हैं। उन पर 43 मुकदमे दर्ज हैं। वह अब ईमानदार मंडलायुक्त को हटाने की मांग कर रहे हैं। शहर अध्यक्ष नोमान खां ने मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि मंडल आयुक्त से लेकर जनपद के सभी अधिकारी ईमानदार हैं। चुनाव इन्हीं की देखरेख में कराया जाए। किसी भी अधिकारी को न हटाए जाए।