जब गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ से हार गई थी बीजेपी, जानें क्या है पूरा किस्सा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 20 साल पहले एक समय ऐसा भी आया था, जब योगी आदित्यनाथ से बीजेपी हार गई थी। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2002 में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था और खुद मंच लगाकर सभाएं की थी। नतीजा यह रहा कि यह सीट बीजेपी बुरी तरह हार गई।
गोरखपुर शहर सीट पर चार बार से बीजेपी का परचम लहराने वाले शिव प्रताप शुक्ल (वर्तमान राज्य सभा सदस्य) अपना पांचवा चुनाव डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल से बुरी तरह हारे थे। गोरखपुर शहर सीट 1989 में भगवामय हो चला था। साल 1989 में बीजेपी ने गोरखपुर शहर से शिव प्रताप शुक्ला को विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया। इसके बाद जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा। गोरखपुर से चार बार लगातार शिव प्रताप शुक्ला विधायक बने। पांचवी बार जब गोरखनाथ मंदिर खुलकर शिव प्रताप शुक्ला के विरोध में आया तब जाकर लगातार जीत दर्ज करने वाले विधायक की सीट खतरे में आई।
मंदिर हुआ खिलाफ और हार गई बीजेपी
साल 2002 में बीजेपी प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ल की जीत मुश्किल में आ गई। गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन उत्तराधिकारी और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतार दिया। मंदिर ने हिन्दू महासभा के प्रत्याशी डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को समर्थन देकर मैदान में उतार दिया। नतीजा यह रहा कि मंदिर समर्थित उम्मीदवार डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल ने बीजेपी के शिवप्रताप का विजय रथ रोक दिया।
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के डॉ. अग्रवाल 38830 वोट पाकर जीत गए। समाजवादी पार्टी के प्रमोद टेकरीवाल 20382 वोट पाकर दूसरे जबकि चार बार लगातार जीतने वाले शिव प्रताप शुक्ला 14509 वोट पाकर ही संतोष किये। 2007 में बीजेपी ने शिवप्रताप शुक्ला की बजाय हिन्दू महासभा से जीत हासिल करने वाले डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को अपने सिंबल पर उतारा। डॉ.अग्रवाल ने 49714 वोट पाकर बीजेपी का परचम लहराया। फिर 2012 और 2017 में भी बीजेपी ने डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।
चुनावों में गोरखनाथ मंदिर की रहती महत्वपूर्ण भूमिका
गोरखनाथ मंदिर की वजह से गोरखपुर सदर की सीट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। राम मंदिर आंदोलन से लेकर आज तक लगातार गोरखनाथ मंदिर की भूमिका सभी चुनावों में बनी रही है। योगी आदित्यनाथ के गोरखनाथ मंदिर पीठाधीश्वर चुने जाने के बाद गोरखपुर सदर की सीट गोरखनाथ मंदिर से सीधे प्रभावित होने वाली सीट बन गई। मंदिर पीठाधीश्वर चुने जाने के पूर्व भी योगी आदित्यनाथ का प्रभाव गोरखनाथ मंदिर की वजह से गोरखपुर सदर के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी रहा है। गोरखपुर सदर पर पूरे उत्तर प्रदेश की निगाह लगी रहती है।
योगी का सपोर्ट तो जीत तय
गोरखपुर में अभी तक चाहे मेयर के चुनाव हो या फिर लोकसभा और विधानसभा आज हर इलेक्शन में योगी का सपोर्ट प्रत्याशी की जीत की राह पक्का करता है। जिस प्रत्याशी को योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए उसके साथ जनता भी चल पड़ती है। गोरखपुर में योगी हर दल से ऊपर उठकर हैं, समय-समय पर इसका उन्होंने आभास भी कराया है।