विदेश जाने वाले हवाई यात्रियों के लिए जरूरी खबर, इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर पाबंदी और बढ़ी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. ओमिक्रोन का खतरा बढ़ने के मद्देनजर नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी बढ़ा दी गई है। अब नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए (DGCA) ने निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों पर प्रतिबंध 31 जनवरी 2022 तक बढ़ा दिया है। इससे पहले, भारत ने कुछ शर्तों के साथ 15 दिसंबर से अनुसूचित वाणिज्यिक अंतर्राष्ट्रीय यात्री सेवाओं को फिर से शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।
हालांकि, 1 दिसंबर को DGCA ने कहा था कि वह कोविड-19 के ओमिक्रॉन स्वरूप से उभरने वाली स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और लगभग सामान्य अंतर्राष्ट्रीय उड़ान ऑपरेशन को फिर से शुरू करने पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। डीजीसीए ने अधिसूचना में अनुसूचित अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों पर प्रतिबंध 31 जनवरी, 2022 तक बढ़ा दिया।
23 मार्च 2020 से बंद हैं उड़ानें
यह प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय ऑल-कार्गो संचालन और विशेष रूप से डीजीसीए द्वारा अनुमोदित उड़ानों पर लागू नहीं होगा। यह भी कहा गया है कि अनुसूचित अंतर्राष्ट्रीय विमानों को मामले के आधार पर चयनित रूटों पर चलाने की इजाजत दी जा सकती है। भारत ने बीते साल 23 मार्च को कोविड-19 के फैलाव को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि बाद में कुछ देशों के साथ व्यवस्था के तहत उड़ान प्रतिबंधों में ढील दी गई।
एयर बबल समझौता
भारत ने इस समय 30 से अधिक देशों के साथ एयर बबल (Air Bubble) समझौते किए हैं। विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए देश पिछले एक साल से कई देशों में वंदे भारत की उड़ानें ऑपरेट कर रहा था। इस समय कई देशों ने या तो अपने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए हैं या आने वाले यात्रियों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है।
खुद करना होगा अनाउंसमेंट
केंद्र ने मंगलवार को भारत में आने वाले अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रियों द्वारा एयर सुविधा पोर्टल पर एक संपर्क रहित स्व-घोषणा अनिवार्य की। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, भारत में आने वाले सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ एयर सुविधा पोर्टल पर बोर्डिंग से पहले अपनी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति की घोषणा करना अनिवार्य है।
कौन से देश शामिल
मंत्रालय के अनुसार, जोखिम वाले देशों के सभी आवेदनों को एच और रेड बैंड के साथ पहचाना जाएगा, जबकि अन्य को ग्रीन के रूप में पहचाना जाएगा। जोखिम वाले सूची में 10 से अधिक देश हैं, जिनमें यूरोप, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना और चीन के देश शामिल हैं।