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जब मुख्तार अंसारी को चाय वाले ने दी थी चुनाव में चुनौती, विधायक टी शॉप के नाम से मशहूर हो गई दुकान

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के नवाबगंज इलाके में शंकर टी स्टाल है। इस दुकान को विधायक जी के चाय की दुकान के तौर पर भी जाना जाता है। इस दुकान के मालिक शंकर जायसवाल ने 1994 में गाजीपुर में हुआ उपचुनाव लड़ा था। इसी उपचुनाव में मुख्तार अन्सारी ने गाजीपुर की सदर विधानसभा सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा था।

मुख्तार अंसारी के राजनीतिक सफर का यह पहला चुनाव था। नवाबगंज इलाके के रहने वाले शंकर जायसवाल ने साल इस उपचुनाव में निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था। शंकर उस दौर को याद करते हुए बताते हें कि उस समय कुछ शुभचिंतकों के कहने पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।

चुनाव के लिए खर्चा कैसे जुटाया इस पर शंकर ने बताया कि उप चुनाव लड़ने में उन्होंने कुल 25 हजार रुपए खर्च हुए थे। इसके लिए कुछ पैसे उन्होंने अपनी बचत किए धन से और बाकी पैसों का चंदे से जुगाड़ किया था। इसी चुनाव में मुख्तार अंसारी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से सदर सीट पर चुनाव लड़े थे।

असल में 1993 के विधानसभा चुनावों में एसपी-बीएसपी ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक गठबंधन किया था। चुनावों के ठीक पहले बीएसपी उम्मीदवार विश्वनाथ मुनीब की हत्या हो गई थी। इस कारण गाजीपुर के विधानसभा चुनाव को टाल दिया गया था। उपचुनाव में तत्कालीन प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजबहादुर ने चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी से उदयप्रताप और कांग्रेस से अमिताभ अनिल दुबे उम्मीदवार थे। उपचुनाव में बीएसपी के राजबहादुर विजयी हुए थे और मुख्तार को दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था।

इस चुनाव में भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने मुख्तार के लिए प्रचार करने वास्ते गाजीपुर में कैम्प किया था। मुख्तार के हक में शुरुआती सियासी फिजा भी बन गई थी। लेकिन, चुनावों के ठीक गाजीपुर होम्‍योपैथी कालेज परिसर में मुलायम सिंह की रैली हुई। यह रैली बीएसपी उम्मीदवार को जिताने में निर्णायक साबित हुई थी।

शंकर भले इस चुनाव में हार गए लेकिन चुनाव लड़ने के बाद अपनों के बीच विधायक जी के तौर पर मशहूर हो गए। आज भी उनकी दुकान को विधायक जी की दुकान के तौर पर जाना जाता है।

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