पूर्व विधायक कालीचरण राजभर ने भाजपा का दामन थामा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर/लखनऊ. पूर्व विधायक कालीचरण राजभर ने एक बार फिर पलटी मारते हुए रविवार को भाजपा की सदस्यता ले ली। लखनऊ में कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले पूर्व विधायक कालीचरण जहूराबाद से बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछले फरवरी माह में ही बसपा छोड़कर उन्होंने सपा की सदस्यता ग्रहण किया था। सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से सपा का गठबंधन होने के बाद से ही सपा में उम्मीद खत्म होता देख वह भाजपा में जमीन तलाश रहे थे। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सपा-बसपा से ज्यादा भाजपा में भूचाल आता दिख रहा है।
मालूम हो कि सबसे पहले 2002 में सुखदेव राजभर की कृपा से बसपा ने जहूराबाद से प्रत्याशी बनाया था। उस समय सबसे ज्यादा भाजपाइयों के समर्थन से ही बसपा से निर्वाचित होने में सफल रहे। उस समय भाजपा वालों को सपा प्रत्याशी शिवपूजन चौहान को हर हाल में रोकना था और उसमें वह हद से ज्यादा सफल रहे।
इसके बाद कालीचरण ने 2007 में एक बार फिर बसपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में सफल रहे। लगातार दो बार से विधायक रहने के बाद वह 2012 और 2017 का चुनाव हार गए। 2012 में शादाब फातिमा सपा की उम्मीदवार थी उनके हाथों पराजित हुए थे। जबकि 2017 में भाजपा और सुभासपा के गठबंधन में ओमप्रकाश राजभर ने जहूराबाद से जीत हासिल किया था। उस चुनाव में कालीचरण दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद उनका धीरे-धीरे स्वास्थ्य भी गड़बड़ होने लगा और जहूराबाद की राजनीति में उनका प्रभाव कम हो गया।
पिछले फरवरी माह में पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव के सहयोग से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले और सपा की सदस्यता ले ली। उस समय कालीचरण ने कहा था कि अखिलेश यादव में ही प्रदेश का भविष्य दिख रहा है। वह ज्यादा दिन तक सपा में नहीं रह सके और जैसे ही सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एवं उनकी पार्टी का सपा से गठबंधन हुआ कालीचरण भाजपा में अपना भविष्य तलाशने में जुट गए थे।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर विजय यात्रा के दौरान अखिलेश यादव के कार्यक्रम के समय भी वह कहीं दिखाई नहीं दिए थे। तभी से कयास लगाया जाने लगा था कि वह किसी पार्टी में सेवा न करते हुए किसी भी तरह से चुनाव लड़ने की जगह तलाश रहे हैं। वह जगह आज रविवार को लखनऊ में मिल ही गई। भाजपा की सदस्यता लेते ही उन्होंने जहूराबाद की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है।
मालूम हो कि जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र में बसपा ने दूधनाथ उर्फ बुझारत राजभर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं जहूराबाद के विधायक सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का सपा के गठबंधन से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। अब कालीचरण के भाजपा में आने के बाद भाजपा से टिकट के दावेदारों में खलबली मच गई है। आने वाले समय में भाजपा से अगर कालीचरण राजभर मैदान में आते हैं तो इसका खामियाजा किसी दूसरे दल को नहीं बल्कि भाजपा को ही भुगतना पड़ेगा।
पूर्व विधायक को सदस्यता दिलाने में कैबिनेट मंत्री की अहम भूमिका
कासिमाबाद। पूर्व विधायक कालीचरण राजभर को सपा से भाजपा की सदस्यता दिलाने में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर एवं प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने अहम भूमिका निभाई है। अनिल राजभर जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र में सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यहां से विधायक ओमप्रकाश राजभर को घेरने के लिए काफी लंबे समय से लगे हुए हैं। अब तक उन्होंने जहूराबाद में लगभग दस वर्षों से भाजपा के लिए दिन-रात काम कर रहे रामप्रताप सिंह पिंटू एवं उनके छोटे भाई शिवप्रताप सिंह छोटू को आगे कर ओमप्रकाश राजभर को जहूराबाद में घेरने का काम किया है।
यही नहीं कैबिनेट मंत्री ने जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र को गोद लेकर यहां की सभी समस्याओं के निराकरण के साथ विकास करने का वादा किया था लेकिन जहूराबाद को अब तक कुछ दे नहीं पाए हैं। अब देखना है कि अनिल राजभर पूर्व विधायक कालीचरण की तरफ खड़े दिखाई देते हैं या रामप्रताप की तरफ।