किसान के बेटे ने बनाया अनोखा इलेक्ट्रानिक चश्मा, अब दृष्टिहीन भी पढ़ सकेंगे अखबार और किताबें
गाजीपुर न्यूज़ टीम, रायबरेली. दसवीं कक्षा के छात्र ने ऐसा इलेक्ट्रानिक चश्मा तैयार किया है, जिससे दृष्टिहीनों की दुनिया बदल जाएगी। इस चश्मे का प्रयोग करके वे सामने आने वाले शख्स को पहचान सकेंगे। यही नहीं, व अखबार व किताबें भी पढ़ सकेंगे। छात्र की इस खोज को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी सराहा है।महराजगंज के हसनपुर निवासी किसान मार्तंड श्रीवास्तव के पुत्र नैतिक श्रीवास्तव ने ये हाईटेक चश्मा बनाया है। गांव में दृष्टिहीनों रामसेवक को देखने के बाद उन्हें ये आइडिया आया।
दिसंबर 2020 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उनकी इस खोज को पसंद किया और चश्मा बनाने के लिए दस हजार रुपये की धनराशि भी भेजी। छात्र ने स्कूल के कंप्यूटर और विज्ञान के शिक्षकों की मदद से इसे महज चार से पांच हजार रुपये में तैयार भी कर दिया। पहले दृष्टिहीनों के लिए जो चश्मे बने थे, उसमें सिर्फ दूरी का पता चलता था। मसलन दृष्टिहीनों के सामने कितनी दूरी पर कोई शख्स है, खंभा है या कुछ और.. चश्मे से यही पता चलता था। नैतिक ने इसमें दो नए बदलाव किए हैं। पहला टेक्स्ट यानी पढ़ाई करने की डिवाइस और दूसरा फेस रीडिंग। इलेक्ट्रानिक चश्मे में कंप्यूटिंग डिवाइस, कैमरा और अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाया है।
चश्मा पढ़ाएगा अखबार और किताबेंः इस चश्मे में लगे कैमरा और कंप्यूटिंग डिवाइस से दृष्टिहीन अखबार और किताबों में लिखी बातें भी समझ सकेंगे। कैमरे से किताब में लिखी सामग्री कंप्यूटिंग डिवाइस में प्रेषित होगी और वहीं से साउंड में बदल जाएगी, जोकि दृष्टिहीन को सुनाई देगी। इसी तरह लोगों को पहचाने के लिए उसका चेहरा कैमरे से कंप्यूटिंग डिवाइस में जाएगा और नाम चश्मा लगाने वाले को सुनाई देगा। सामने वाला कितनी दूरी पर खड़ा है, इसके बारे में भी चश्मे से पता चल जाएगा।
इंजीनियर बनने की चाहः प्रतिभावान छात्र नैतिक इस बार दसवीं की बोर्ड परीक्षा में बैठेंगे। वे इंजीनियर बनना चाहते हैं। बताया कि इंजीनियरिंगग करने के बाद अगर मौका मिला तो वे वैज्ञानिक बनना चाहेंगे और जन उपयोगी खोज करेंगे। नैतिक की इस उपलब्धि से उनका पूरा परिवार और संस्थान के शिक्षक भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।